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नरेंद्र मोदी की सरकार में छह मंत्रिपद महिलाओं के पास हैंं। यह अपने आप में एक उपलब्धि है कि इस सरकार में महिलाओं को केवल मौका ही नहीं मिला है बल्कि उन मंत्रालयों और विभागों को संभालने की जिम्मेदारी मिली है,जिन्हें महिला नेताओं की पहुंच से बाहर माना जाता था। विश्व व्यापार संगठन में दुनिया के कुछ सबसे ताकतवर देशोंं की ओर से जबरदस्त दबाव के बावजूद भारत के किसानों के भविष्य की आशंकाओं को सवार्ेपरि मानते हुए जिस आत्मविश्वास के साथ वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की बात दमदारी से रखी उससे उनके विरोधी भी छटपटा गए। सीतारमण के पास कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की जिम्मेदारी है,साथ ही वह वित्त राज्य मंत्री भी हैं। प्रस्तुत हैं उनसे पाञ्चजन्य की विशेष बातचीत के प्रमुख अंश:
जन-धन योजना के पीछे की कहानी क्या है?
देश की सर्वाधिक जनता, खास तौर पर गरीब लोग, बैंकिंग के दायरे में आएं ताकि वे अपनी मेहनत के पैसे को सहेज सकें और उन्हें सरकारी सुविधाओं का भरपूर लाभ मिले यह हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभालते ही इसे लागू करने के लिए विचार विमर्श शुरू कर दिया था। इस संदर्भ में सरकार के मंत्रियों व अधिकारियों के अलावा बैंकिंग क्षेत्र के बड़े अधिकारी, विशेषज्ञ और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ लंबे समय तक चर्चा हुई। इस बात को लेकर अधिकारियों में आशंका थी कि क्या 15 अगस्त के भाषण में इसका उल्लेख ठीक होगा? यह भी सवाल आया कि क्या देश के हर जिले में अगस्त के महीने में ही एक साथ इसकी शुरुआत संभव होगी? मगर प्रधानमंत्री ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी। उसके बाद हम इसे मूर्त रूप देने में जुट गए। पहले केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बुलाया गया मगर यह महसूस किया गया कि उनकी पहुंच हर गांव, कस्बे, झुग्गी झोपड़ी तक नहीं है। तो फिर निजी बैंकों और ग्रामीण बैंकों को भी शामिल करने का फैसला किया गया। बैंक मित्र बनाकर गरीबों को अपने गांव की चौपाल या बस्ती के नुक्कड़ पर ही बैंक सुविधाएं मुहैया कराने का सुझाव आया, छोटे व ग्रामीण बैंकों को तकनीकी सुविधा देने इत्यादि की बातें तय की गईं। सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों ने दिन-रात तमाम बारीकियों पर काम किया। मैंने खुद म्यांमार का अहम दौरा आखिरी वक्त पर रद्द कर दिया। हमें संतोष है कि चाहंे वह लॉचिंग के कार्यक्रम में शामिल हुए या नहीं लेकिन विरोधी दलों के मुख्यमंत्रियों ने भी फोन पर योजना का खुलकर स्वागत किया और भरपूर सहयोग का भरोसा भी दिलाया। भविष्य में गरीबों को हर सरकारी योजना का पूरा व भ्रष्टाचार मुक्त भरपूर लाभ मिले, इस दिशा में जन धन योजना एक ऐतिहासिक कदम साबित होगी।
विश्व व्यापार संगठन में आपके कडे़ रुख की राजनीतिक दलों, विशेषज्ञों और अन्य लोगों ने काफी आलोचना की है और इसे एक कूटनीतिक भूल करार दिया है। आप इसे कैसे देखती हैं?
जो लोग हमारे कदम की आलोचना कर रहे हैं उन्हें मैंने संसद के पटल पर ही बता दिया था कि हमने भूल सुधार का काम किया है। हमने 'ट्रेड फैसिलिटेशन' की दिशा में सब्सिडी पर समय सीमा स्वीकार कर ली और 'फूड स्टॉक होल्डिंग' के लिए समय सीमा की शर्त अनिश्चित छोड़ दी तो इससे हमारे किसानों के हितों पर जो कुठाराघात होता उसके लिए हम तैयार नहीं हैं।
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आपके मंत्रालयों के अंतर्गत और क्या अहम होने जा रहा है?
हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है व्यापार-व्यवसाय को सुगम बनाना। इसी ध्येय को पूरा करने के लिए हम बहुत जल्द कंपनी कानूनों में कई अहम बदलाव करने जा रहे हैंं। एक महीने के गहन विचार-विमर्श के बाद हम कुछ बेहद दूरगामी बदलाव की स्थिति में होंगे। उन संशोधनों को अंतिम रूप देने के बाद हम उन्हें संसद में लाएंगे। इससे हर व्यवसायी को, बड़ा हो या छोटा, अपने व्यापार को पूरी क्षमता तक विकसित करने का मौका मिलेगा। ल्ल
ठोस पहल
-पहले दिन में जन धन योजना के तहत खुले1. 5 करोड़ लोगों के खाते
-किसानों के हितों के चलते हाल ही में जेनेवा में विश्व व्यापार संगठन के तहत विश्व व्यापार समझौते की वार्ता खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर भारत के कड़े रुख के कारण टूटी। समझौते की शर्त थी कि भारत किसानों को सब्सिडी उपलब्ध न कराए।
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