विश्लेषण-फिर गर्त में पाकिस्तान?
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

विश्लेषण-फिर गर्त में पाकिस्तान?

by
Sep 1, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 01 Sep 2014 11:35:12

 

इमरान खान की तहरीके इंसाफ और तेज-तर्रार मौलवी ताहिरुल कादरी की पाकिस्तान अवामी तहरीक पार्टियों के इस्लामाबाद में डेरा जमाने और 'आजादी मार्च' निकालने के बीच पाकिस्तान एक बार फिर गंभीर अंदरूनी उठा-पटक से गुजर रहा है। पाकिस्तान की सेना इन नवाज विरोधी तत्वों के समर्थन में नरम बताई जा रही है। विरोधी नेताओं के 'मार्च' को खत्म कराने के लिए नवाज सरकार सर्वोच्च न्यायालय में गई है। ऐसे में भौगोलिक रूप से पाकिस्तान के बगल में मौजूद भारत को निगाहें चौकन्नी रखनी होंगी। सीमा पर पाकिस्तानी सेना के संघर्षविराम उल्लंघन को भी पूरी दमदारी से रोकना होगा। सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक की मानें तो 1971 से अब तक पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इतनी ज्यादा गोलाबारी पहले कभी नहीं की गई थी। घाटी में भी पाक प्रायोजित जिहादियों की हरकतें बढ़ गई हैं। उल्लेखनीय है कि जब कारगिल की लड़ाई पाकिस्तान सेना ने छेड़ी थी, उस वक्त नवाज प्रधानमंत्री थे, लेकिन उन्हें अपनी सेना की मंशा का पता तक नहीं था। इसलिए भारत में मोदी सरकार के लिए यह सही वक्त है जब वह भारत के सुरक्षा हिंतों को पुख्ता करने के अपने इरादे को मजबूती से प्रदर्शित कर सकती है। 25 अगस्त को होने जा रही विदेश सचिव स्तर की वार्ता से इंकार करना पाकिस्तान को यह साफ संदेश दे गया कि द्विपक्षीय वार्ता शिमला और लाहौर समझौतों में निर्देशित भारत-पाकिस्तान संबंधों के तहत ही बढ़ेगी।
दो शरीफों- इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री और रावलपिण्डी में सेना प्रमुख-के बीच मौजूदा तनातनी कश्मीर मुद्दे और तालिबान के प्रति रुख को लेकर है। दोनों मामलों में नवाज वार्ता चाहते हैं, तो सेना प्रमुख बंदूक इस्तेमाल करना चाहते हैं। इसके अलावा जनरल परवेज मुशर्रफ (नवाज के पुराने बैरी) पर चल रहे मुकदमे ने भी लोक-सैन्य सम्बंधों को काफी ठेस पहुंचाई है। 1947 में अपने गठन के बाद से आधे वक्त सेना की जेब में रहे पाकिस्तान में नवाज के चुनाव के बाद एक बार फिर लोकतंत्र का राज स्थापित करने की उम्मीद जगी थी। पाकिस्तान में घटती जा रही सिविल सोसायटी और इसके चाहने वालों में से कई को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नवाज हिंसाग्रस्त, कंगाली के कगार पर खड़े देश में लोकतंत्र को मजबूत बनाने में कामयाब हो पाएंगे। लेकिन आज पाकिस्तान के मौजूदा हालात देखकर वह उम्मीद हवा होती जा रही है। हालांकि मोदी के शपथ समारोह में नवाज के आने से शांति के कई इच्छुक बड़े खुश हुए थे, लेकिन नवाज आए तो पर सेना को नाराज करने के बाद। पाकिस्तान के सुरक्षा अधिष्ठान के कुछ तत्वों ने उनकी दिल्ली यात्रा को रोकने की कोशिश में 48 घंटे पहले ही आईएसआई के जरिए अफगानिस्तान में हेरात स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला कराया था। उनका मकसद कुछ बंधक बनाने का था ताकि नवाज की नाक और नीची हो जाए।
पाकिस्तान आज एक बार फिर उसी गर्त में जाता दिख रहा है। सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ के प्रधानमंत्री नवाज के चुनिंदा होने के बावजूद नवाज और सेना में अफगानिस्तान, भारत, जम्मू-कश्मीर तथा पाकिस्तान की अपनी ही आतंक से लड़ाई पर अहम नीतिगत मसलों पर ठन गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नए घटनाक्रम के बाद ऊंट किस करवट बैठता है। खेद की बात है कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई अपने आतंक विरोधी अभियानों में भी बड़ी होशियारी से काम करते हुए भारत विरोधी आतंकी तंजीमों, जैसे-जैशे मोहम्मद और हरकतुल मुजाहिद्दीन तथा सिपहे-साहिबा जैसे दूसरे सुन्नी गुटों को जमकर शह दे रही हैं। आईएसआई अफगानी तालिबानी नेटवर्क को हवा देकर, हिकमतयार और हक्कानी गुटों को भड़काकर अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों को उकसा रही है। अफगानिस्तान से अमरीकी सेना के पूरी तरह चले जाने के बाद बहुत संभावना है कि आईएसआई उनमें से कुछ तत्वों को जम्मू-कश्मीर में जिहाद के लिए जुटा देगी।
कश्मीर को सैन्य ताकत के बूते किसी तरह कब्जाने में नाकाम होने के बावजूद वे इस मुद्दे को जिलाए रखेंगे, क्योंकि इसे छोड़ना उनकी 'हार' के तौर पर देखा जाएगा। पाकिस्तानी सेना की मंशाओं को जानते हुए हमें आतंकी हरकतों और परमाणु बमों की धमकियों में बढ़ोतरी दिख सकती है। भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश (खासकर वाशिंगटन से) हो सकती है। लेकिन भारत के लिए वार्ता न करना भी एक कूटनीतिक विकल्प है। हमें विश्व, खासकर अमरीका को बता देना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान में से एक को चुन लो। जो पाकिस्तान-आतंकवाद के प्रायोजक-से मतलब रखना चाहते हैं उन्हें भारत के बाजारों में दखल देने की मनाही होनी चाहिए। पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं और चीन के लिए भारत के बाजार आज बड़ा आकर्षण हैं, इसलिए उन्हें चुनना होगा कि वे कहां जाना चाहते हैं। इससे पाकिस्तान पर दबाव निश्चित ही बढ़ जाएगा। -मारुफ रजा, लेखक राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ हैं

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Uttarakhand Kanwar Yatra-2025

Kanwar Yatra-2025: उत्तराखंड पुलिस की व्यापक तैयारियां, हरिद्वार में 7,000 जवान तैनात

Marathi Language Dispute

Marathi Language Dispute: ‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

‘पाञ्चजन्य’ ने 2022 में ही कर दिया था मौलाना छांगुर के मंसूबों का खुलासा

Europe Migrant crisis:

Europe Migrant crisis: ब्रिटेन-फ्रांस के बीच ‘वन इन, वन आउट’ डील, जानिए क्या होगा असर?

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Uttarakhand Kanwar Yatra-2025

Kanwar Yatra-2025: उत्तराखंड पुलिस की व्यापक तैयारियां, हरिद्वार में 7,000 जवान तैनात

Marathi Language Dispute

Marathi Language Dispute: ‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

‘पाञ्चजन्य’ ने 2022 में ही कर दिया था मौलाना छांगुर के मंसूबों का खुलासा

Europe Migrant crisis:

Europe Migrant crisis: ब्रिटेन-फ्रांस के बीच ‘वन इन, वन आउट’ डील, जानिए क्या होगा असर?

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies