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इस्लामाबाद की सड़कों पर इमरान-कादरी समर्थकों के हुजूमों को चीरकर दो और बड़ी खबरें सामने आई हैं। बाद में आई खबर पहले। 29 अगस्त को असंतोष की तपिश झेल रहे बलूचिस्तान सूबे के क्वेटा में आवारां जिले में इस्लामी फिरके जिकरी समुदाय की एक मस्जिद में तीन बंदूकधारियों ने शाम की नमाज पढ़ रहे लोगों पर अंधाधंुध गोलियां बरसा कर 6 को मार डाला और 7 बुरी तरह घायल हो गए। जिकरी हैं तो मुस्लिम पर सुन्नी नहीं हैं सो वहां अल्पसंख्यक माने जाते हैं। गुटों के झगड़ों और जिहादी आतंक से झुलस रहे इस सूबे में अल्पसंख्यकों पर हमले बेहद आम हो चले हैं। अभी हफ्ता-दस दिन पहले इलाके की दीवारों पर कई जगह जिकरियों और हिन्दुओं के लिए धमकियां लिखी देखी गई थीं कि या तो इस्लाम कबूल कर लो या जान से हाथ धोओ।
हिन्दुओं के लिए तो पाकिस्तान दिन ब दिन जहन्नुम बनता जा रहा है। इस बात को पुख्ता करती है वहीं से आई ये दूसरी खबर। हुआ यूं कि रावलपिण्डी में चकलाला ग्रेसी लाइंस में आजादी के पहले से एक बड़ा पुराना बालकनाथ वाल्मीकि मंदिर है। उस इलाके में बसे 60 हिन्दू परिवार वहां पूजा-अर्चना करते आ रहे थे। इलाका रावलपिण्डी सेना छावनी के क्षेत्र के अंदर है। अब अचानक 12 अगस्त को छावनी का फरमान हुआ कि फौजी बैरकें बनानी है, मंदिर तोड़ना है, जगह चाहिए। हिन्दू तो सब सन्न। यह क्या नया बखेड़ा है! सब इकट्ठे हुए, सलाह मशविरा किया, तय पाया गया कि अदालत का दरवाजा खटखटाया जाए। लिहाजा सब इकट्ठे हो कर गए अदालत। अर्जी दी। स्टे ऑर्डर मिल गया। छावनी को फिलहाल मंदिर तोड़ने से रोक दिया गया। छावनी के उस फरमान को लेकर हिन्दू मोहल्ले के माहौल में बड़ा गुस्सा है। हिन्दुओं को वहां दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रख दिया गया है जिनके न कोई अधिकार हैं, न कोई दुख-दर्द सुनने वाला। बोर्ड अपने फरमान पर आमादा दिखता है और बहुत संभव है कि अदालत का आदेश निरस्त कराने की जुगत में भिड़ा हुआ है। उधर पाकिस्तान के दूसरे सूबों से हिन्दू लड़कियों को बहला-फुसलाकर मुस्लिम लड़कों से निकाह पढ़ाने और झूठे बयान दिलाने में कट्टरवादी लगे ही हैं, ऐसी खबरों का तांता रुका नहीं है। खौफ के साए में जी रहे कुछ हिन्दू मौका पाकर भारत भी आए हैं। ल्ल ब्यूरो
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