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अंक संदर्भ : 10 अगस्त, 2014
आवरण कथा 'पागलपन की पाठशाला' इस्लाम जगत की उस सचाई से अवगत कराती है,जिसे आज पूरी दुनिया देख रही है। पागलपन के शिकार आतंंकी मुसलमान आज संपूर्ण मानवता के लिए संकट बनते जा रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि कट्टरपंथियों द्वारा इस जहर को उच्च शिक्षित नवयुवाओं में भी घोलने का कार्य किया जा रहा है। आज पूरी दुनिया इस्लामी आतंक को देख रही है कि कैसे यह एक कौम पूरी मानवता और अन्य देशों के लिए खतरा है। —कमलेश कुमार ओझा, ओझौली(बिहार)
लीक से हटकर
कांग्रेस की हुड्डा सरकार वंशवादी पार्टी की सोनिया पाठशाला से इतना तो सीखने का हक रखती है कि कैसे फूट डाल के राज किया जा सके। पंजाब,हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में हुड्डा सरकार ने षड्यंत्रपूर्ण तरीके से वोट बैंक के लालच में सिख भाइयों को बांटने का प्रयास किया है। लेकिन इसका खामियाजा उन्हें आने वाले दिनों में मिल जायेगा।—हरिओम जोशी, भिण्ड,(म.प्र.)
बंद हो यह प्रथा
शरीर को पसीना-पसीना करने वाली भयंकर गर्मी में हम जब प्राय: ढीले तथा कम से कम वस्त्र पहनना चाहते हैं,उस समय हमारा एक बुद्धिजीवी वर्ग ,बंद गले पर बैंड बांधे,काले गाउन पहने हुए देखा जा सकता है। भारत में क्या इस बात की जरूरत है कि गर्मियों में भी न्यायालय से जुड़े लोगों को ऐसे वस्त्रों को पहनना ही है? या हम जानबूझकर अंग्रेजी परपंरा को आगे बढ़ाते चले आ रहे हैं। असल में ऐसे पोशाकों की हमारे देश में जरूरत ही नहीं रही है। लेकिन फिर भी कुछ अंग्रेजियत को पालने-पोसने वाले लोगों ने ऐसी परंपराओं को सींचने का काम किया है। मेरी राय है कि ऐसी प्रथा को तत्काल प्रभाव से बंद करना चाहिए जो अंग्रेजियत की याद दिलाती हों।—कुलदीप सिंह, जड़ौदा,सहारनपुर(उ.प्र.)
विवादों की मल्लिका
जैसा कि अरुंधती रॉय हमेशा अपने विवादास्पद बयानों के लिए मशहूर रही हैं। सेकुलर जमात की अगुआ अरुंधती कोई भी ऐसा मौका नहीं छोड़ती जब वह देश के करोड़ों-करोड़ हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस न पहुंचाती हों। यह वही अरुंधती रॉय हैं,जो देश में खूनी खेल खेल रहे नक्सलवादियों की हिमायती हैं। कश्मीर के जिहादियों को क्रान्तिकारी बताना उनकी खोखली मानसिकता को उजागर करता है। देश के लोगों को समझना चाहिए कि यह लोग समाजसेवा के नाम पर देश के साथ द्रोह कर रहे हैं। असल में इन लोगों का मकसद कुछ और ही है।—नवचन्द्र तिवारी, चिलकहर,बलिया(उ.प्र.)
दिशा से विमुख होता समाज
आज अधिकतर हिन्दू समाज पाश्चात्य सभ्यता के जाल में फंसता जा रहा है। जिस देश की संस्कृति गाय को पालने की रही वह आज कुत्ता पालने पर जोर दे रहा है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति को किस प्रकार षड्यंत्रपूर्ण तरीके से नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। हम सभी को स्वयं इस दिशा में आगे आना होगा और जहां भी हम रहते हैं उन क्षेत्रों में समाज को जाग्रत करना होगा। तभी इस देश में भारतीय संस्कृति पुन:स्थापित हो सकेगी।—भूपाल सिंह,
ग्वालियर(म.प्र.)
सुनियोजित था दंगा
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जो दंगा हुआ वह पूर्वसुनियोजित था। आज यह बात पूरा देश जान चुका है। इस दंगे को भड़काने में कांग्रेस नेता इमरान मसूद और सपा नेता पप्पू अकरम का हाथ है यह भी सहारनपुर के लोग जान चुके हैं। लेकिन इतना सब होने के बाद भी उत्तर प्रदेश की सपा सरकार इन लोगों को बचाने पर तुली है। असल में इस दंगे की जड़ में जाए तो स्पष्ट होता है कि इन दंगों के पीछे स्वयं सपा का ही हाथ है। मुस्लिम तुष्टीकरण पर अमादा सपा की कारगुजारियां आज पूरे प्रदेश में दिखाई दे रही हैं। प्रदेश का ऐसा कोई भी स्थान नहीं है जहां मुसलमान आज दंगों के लिए तैयार न दिखते हों, ऐसा क्यों? क्या उन पर सपा का कानून नहीं चलता या वे कानून की जद में नहीं आते? इसी कारण पूरे प्रदेश में मुसलमानों के हौसले बढ़े हुए हैं और वे छोटी सी बात को दंगे में तब्दील कर देते हैं।—शशिकान्त त्रिपाठी, तिवारीपुर,गोरखपुर(उ.प्र.)
पड़ोसी का सम्मान
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हिमालय की गोद में बसे नेपाल में भारत और नेपाल के पुरातन धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि 'सीमा सेतु है अवरोध नहीं।' इस कथन ने भारतीय अवधारणा 'वसुधैव कुटुंम्बकम्'को महिमा मंडित किया है। भारत की कभी भी विस्तारवाद में रुचि नहीं रही है एवं भारत ने सदैव पड़ोसियों की संप्रभुता का सम्मान किया है। श्री नरेन्द्र मोदी का यह कहना कि सीमा सेतु है उन राष्ट्रों के लिए एक चेतावनी है जो अपने विस्तार के लिए हरदम दूसरों को परेशान करते रहते हैं।—भरतचंद्र नायक, भोपाल(म.प्र.)
झूठ बोलते हैं नेता जी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सफल नेपाल यात्रा की हर जगह प्रशंसा हो रही है,लेकिन उनकी यह यात्रा विपक्षी दलों को हजम नहीं हो रही। प.बंगाल में भाजपा के बढ़ते जनाधार से चिंतित तृणमूल के एक सांसद ने श्री मोदी पर आरोप लगाया कि उनके द्वारा नेपाल के मंदिर में पूजा तो की गई,लेकिन उन्होंने ईद की शुभकामनाएं नहीं दीं। इस घटना से पता चलता है कि कैसे यह सांसद और उनकी पार्टी मुसलमानों के वोट बटोरने के लिए मुसलमानों को भड़का रहे हंै और शुभकामना के नाम पर झूठ बोलकर यह प्रचारित कर रहे हैं कि मोदी ने मुसलमानों के त्योहार पर देश के लोगों को शुभकामनाएं नहीं दीं। जबकि सच तो यह है कि नरेन्द्र मोदी ने सम्पूर्ण देशवासियों को ईद की शुभकामनाएं दीं। अपनी पोल खुलने के बाद नेताजी अब अपना मुुंह छुपाते फिर रहे हैं।— उमेश प्रसाद सिंह,लक्ष्मीनगर,(दिल्ली)
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