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विश्व हिन्दू परिषद् अपने स्थापना काल से ही देश के सामाजिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक नेतृत्व में हिन्दू समाज को आगे ले जाने के लिए कटिबद्ध रहा है। विहिप ने विश्व भर में फैले हिन्दुओं को अपनी कालजयी समृद्ध विरासत के प्रचार प्रसार के साथ-साथ उन्हें एकजुट करने का अद्भुत प्रयत्न किया। विहिप अपने द्वारा लिए गए संकल्प को अनवरत आगे बढ़ा रही है और धर्माचायोंर् के द्वारा सेवा प्रकल्प के माध्यम से विश्वभर में हिन्दुओं के स्वावलम्बन एवं स्वाभिमान के साथ उनके कल्याण के लिए तत्पर है। वैश्विक हिन्दू पुनरुोदय के माध्यम से विश्व भर में फैले हिन्दू युवाओं को शिक्षा के द्वारा अपनी जड़ों की ओर लौटाने के प्रयास किये जा रहे हैं। विश्व भर में हिन्दुत्व को स्थापित करने के लिए हिन्दू युवाओं को आकर्षित करना अनिवार्य है। इन्हीं शिक्षित और अपने व्यवसाय में पारंगत हिन्दू युवाओं द्वारा विश्वभर में हिन्दू समाज को एक बड़े आकार में स्थापित करने में सहायता मिलेगी। विश्वभर में विहिप द्वारा हिन्दू धर्म एवं भारतीय परम्परा से जुड़े हुए कार्यक्रमों के साथ सप्ताहांत कक्षाएं संचालित की जाती हैं और युवा शिविर चलाए जाते हैं जिनमें हिन्दू बच्चे अपने समृद्ध हिन्दू समाज के इतिहास और उसकी विरासत से परिचित होते हैं। हिन्दू बच्चे आत्मविश्वास से आगे बढ़ते हैं और गर्व के साथ अपनी हिन्दू पहचान को विश्व समुदाय के सम्मुख रखने में नहीं हिचकते।
आज के वैश्विक युग में भारत से भी हमारे युवा -युवतियां उच्च एवं प्राविधिक शिक्षा के लिए विदेशों में जा रहे है और साथ ही विदेशों में रह रहे भारतवंशियों के बच्चे भी विश्व के अलग-अलग देशों के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रविष्ट हो रहे हैं। विहिप कई देशों के शैक्षिक परिसरों में इन बच्चों से आत्मीयता का सम्पर्क जोड़ती है। उत्तरी अमरीका, यूरोप, अफ्रीका, दक्षिणी और दक्षिणी पर्वी एशिया, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड और फिजी जैसे देश इनमें शामिल हैं। इन परिसरों के साथ-साथ ये छात्र स्थानीय स्तर पर विहिप की गतिविधियों के प्रति सकारात्मक भाव से आकर्षित होते हैं।
लोकतंत्र के लिए और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हिन्दुओं के योगदान के उदाहरण मलेशिया, श्रीलंका,बंगलादेश, मॉरीशस, फिजी, इण्डोनेशिया आदि देशों में चलाए जाते हैं। विश्व भर में हिन्दू आज शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान और तकनीकी, व्यवसाय आदि विभिन्न क्षेत्रों में अमरीका कनाडा, इंग्लैण्ड, यूरोपीय क्षेत्र, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। विहिप द्वारा विश्व के अलग-अलग कोनों में विभिन्न अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में जिन अलग-अलग राष्ट्राध्यक्षों, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्रियों ने भाग लिया। उनमें 1989 में इंग्लैण्ड की प्रधानमंत्री, 1995 दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मण्डेला मार्गरेट थैचर 2000 में त्रिनिदाद और टोबेगो के प्रधानमंत्री वासुदेव पाण्डेय, 2003 में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे, और 2007 में न्यूजीलैण्ड के प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क आदि शामिल हैं।
विहिप वर्गगत, क्षेत्रगत और भाषागत भेदों से ऊपर उठकर सारे विश्व के हिन्दुओं को पहचान देकर एकजुट करने में संलग्न लीन है। विहिप ने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जिन महत्वपूर्ण हिन्दू सम्मेलनों का आयोजन किया उनमें प्रमुख हैं- 1984 जाफना (श्रीलंका) में हिन्दू सम्मेलन, 1985, कोपेनहेगन (डेनमार्क) यूरोपीय हिन्दू सम्मेलन, 1986 हेग (नीदरलैण्ड),1987 सिंगापुर एशिया- पेसेफिक सम्मेलन, 1988 में नेपाल विश्व हिन्दू सम्मेलन, 1989 मिल्टन केन्स (ब्रिटेन) विराट हिन्दू सम्मेलन),1992 फ्रैकफर्ट (जर्मनी), यूरोपीय हिन्दू सम्मेलन, 1993 वाशिंगटन डी.सी., विजन 2000 स्वामी विवेकानन्द ऐतिहासिक शिकागो सम्भाषण, 1995 डरबन (द. अफ्रीका) विश्व हिन्दू सम्मेलन,1998 नैरोबी (केन्या) आल अफ्रीका हिन्दू सम्मेलन, 2000 त्रिनिदाद और टोबेगो विश्व हिन्दू सम्मेलन, 2003 कोलम्बो (श्रीलंका) विश्व हिन्दू सम्मेलन।
2006 से 2012 तक प्रति वर्ष अमरीका में हिन्दू मन्दिर कार्यकारिणी सम्मेलन, 2007, 2008, 2010, 2012 ऑकलैण्ड, न्यूजीलैण्ड में न्यूजीलैण्ड राष्ट्रीय हिन्दू सम्मेलन, 2008, 2009, 2014, सिडनी (आस्ट्रेलिया),आस्ट्रलियाई राष्ट्रीय हिन्दू सम्मेलन, 2013 टोरन्टो (कनाडा) हिन्दू मन्दिर कार्यकारिणी सम्मेलन, 2014 फिजी राष्ट्रीय हिन्दू सम्मेलन।
विश्व भर में हिन्दू भव्य मन्दिरों का निर्माण कर रहे हैं जो कि हिन्दू गतिविधियों को बढ़ाने के साथ वैश्विक हिन्दू पुनरोदय के प्रतीक हैं। हिन्दू युवा एवं बच्चे पूरी दुनिया में कला सहित अनेक विधाओं हिन्दू संस्कृति के विषय में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। हिन्दुओं के सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक संगठन बन रहे हैं। हिन्दुओं के शैक्षणिक संस्थान वर्तमान और भविष्य में हिन्दू धर्म की नींव और मजबूत करेंगे। वैश्विक हिन्दू समुदाय और पूरे आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ 21वीं शताब्दी में और ऊर्जस्वी एवं युवा होकर आगे की ओर कदम बढ़ाएगा। विहिप अपने स्वर्णजयंती वर्ष में अपने संकल्पों को क्रियान्वित करने के लिए अहर्निश प्रयत्न करेगी। ल्ल
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