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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक पू. श्री गुरुजी की प्रेरणा से व पूज्य संतों के आशीर्वाद से 1964 विहिप का गठन हुआ। जम्मू-कश्मीर के भारत विलय में श्री गुरुजी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। परन्तु उस समय की राष्ट्रीय राजनीति का नेतृत्व कर रहे नेताओं के गलत निर्णय के कारण हिन्दू समाज का शोषण प्रारम्भ हो गया। मुगलिया सल्तनत की क्रूर घटनाएं पुन: जम्मू-कश्मीर में दोहराई जाने लगीं, जबरन धर्म परिवर्तन, हिन्दू मां बहन, बेटियों का शील भंग, हिन्दू धर्मस्थलों को तोड़ना यह आम बात हो गई। यहां तक कि हिन्दुओं के आस्था केन्द्रों को भी नष्ट करने का भरपूर प्रयास इन आसुरी शक्तियों के द्वारा किया गया।
राष्ट्रवादी शक्तियों ने अलगाववादियों का जमकर मुकाबला करने का संकल्प किया। जो अभी भी जारी है। विश्व हिन्दू परिषद् इन्हीं राष्ट्रवादी संगठनों में से एक अग्रणी संगठन है, जो इस प्रदेश के हिन्दुओं के आत्मबल बढ़ाने हेतु सतत प्रयासरत है। हिन्दू नवयुवकों, नवयुवतियों को प्रशिक्षण देकर समाज, धर्म रक्षा में लगाया। मठ मन्दिरों के प्रमुखों, आचार्यों पूज्य सन्तों से आग्रह पूर्वक हिन्दू समाज का नेतृत्व करने हेतु आगे आने को कहा। विभिन्न मत-पंथ सम्प्रदायों को एक मंच पर लाकर भेदभाव की भावना समाप्त करने का उत्तम प्रयास किया। बजरंग दल व दुर्गावाहिनी के रूप में सशक्त युवा वर्ग हिन्दू समाज के रक्षार्थ खड़ा किया। अपने आस्था केन्द्रों का पुनर्निर्माण कर सुप्त हिन्दू समाज में एक नई ऊर्जा भरने का कार्य परिषद् अनथक प्रयासों से कर रही है। सैकड़ों की संख्या में धर्मान्तरित हो रहे बंधुओं को बचाया, साथ ही साथ किसी कारण इस्लाम-ईसाइयत स्वीकार कर लिए लोगों को घर वापस भी लेकर आए। हजारों गायों को कटने से बचाया, गो तस्करों से मुठभेंड़ में कई कार्यकर्ता घायल भी हुए, परन्तु उनके षड्यंत्र का पर्दाफाश समाज के समक्ष किया।
गोशालाओं के माध्यम से गोसेवा का प्रोत्साहन व प्रशिक्षण दिया जा रहा है 'गो नहीं कटने देंगे देश नहीं बंटने देंगे।' ऐसा संकल्प लेकर कार्यकर्ता राष्ट्रहित में कार्य कर रहे हैं। 80 के दशक में जिहादी आतंकवाद ने जम्मू-कश्मीर में पैर फैलाने शुरू किए। इस जिहाद, अलगाव आतंकवाद का शिकार पूरा प्रदेश हुआ। कई कार्यकर्ता वीरगति को भी प्राप्त हुए। सीमाओं पर रह रहे हिन्दू समाज ने पलायन शुरू कर दिया। उधर कश्मीर घाटी भी सुलग उठी। षड्यंत्रपूर्वक, बलपूर्वक पूरी घाटी से 3 लाख से ज्यादा हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा। ऐसी स्थिति में वहां हिन्दू समाज भयाक्रांत हो उठा हिन्दू संगठन चिन्तित हो उठे। विश्व हिन्दू परिषद् ने आन्दोलन छेड़ सरकार व समाज को जगाया, पलायन किए लोगों की उचित मदद की। जम्मू व पूरे देश में परिषद् ने आन्दोलन खड़ा कर हिन्दुओं को बचाने का आह्वान किया। जब-जब आतंकवादियों ने हिन्दुओं को पलायन के लिए बाध्य किया या नरसंहार किया, वहां परिषद् के कार्यकर्ताओं ने जान की परवाह न करते हुए हिन्दू समाज को पलायन से रोका ही नहीं बल्कि उसकी सुरक्षा के लिए भी कारगर कदम उठाए। राजौरी-पुंछ-किश्तवाड़ भद्रवाह जैसे आतंकवादग्रस्त क्षेत्र में भी धार्मिक गतिविधियों के द्वारा हिन्दू समाज के मनोबल को बढ़ाए रखा। पूरे देश को जम्मू-कश्मीर की वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लिए अमरनाथ यात्रा, बूढ़ा अमरनाथ यात्रा (पुंछ) सिधु दर्शन यात्रा कश्मीर लेह मचेल यात्रा आदि कई छोटी-बड़ी यात्राओं का शुभारम्भ कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आतंकवादियों की धमकी के बावजूद हजारों लोग हर वर्ष यात्रा में आ रहे हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम करते हुए परिषद् का आयाम एकल विद्यालय शिक्षा संस्कार का अलख जगा रहा है। वहां के लोग इस प्रकार के प्रकल्पों से जुड़कर कहते हैं हमें बच्चों के हाथों में कलम किताब चाहिए, हथियार नहीं। अमरनाथ आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए विहिप ने पूरे देश को खड़ा किया, 64 दिन बंद रहा, आखिर जमीन श्राईन बोर्ड को पुन: वापस मिली। इस ऐतिहासिक जीत में विहिप ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गिलानी जैसे अलगाववादी नेताओं को बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने जम्मू में कई बार भारत के खिलाफ बोलने पर सबक भी सिखाया है।
हिन्दू-बौद्ध समन्वय हेतू कई बार जम्मू लेह दिल्ली आदि कई शहरों में छोटे बड़े सम्मेलन आयोजित किए गए। आतंकवाद की कमर टूट चुकी हैं। भयाक्रांत हिन्दू समाज पुन अब गर्व से मस्तक उठा कर चल रहा है। धर्म ध्वजा पुन: लहराने को बेकरार है। आने वाले कुछ वषोंर् में हिन्दू समाज मजबूती से खड़ा होकर वहां हिन्दू विचारों का नेतृत्व हर क्षेत्र में तो ऐसा प्रयास विश्व हिन्दू परिषद् का रहने वाला है। ल्ल
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