विश्व हिन्दू परिषद : स्वर्णजयन्ती - जहां दिखा अंधेरा वहां जलाया दीया
July 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

विश्व हिन्दू परिषद : स्वर्णजयन्ती – जहां दिखा अंधेरा वहां जलाया दीया

by
Aug 16, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 16 Aug 2014 15:23:00

 

देश में कुछ सेकुलर नेता, बुद्धिजीवी और पत्रकार ऐसे हैं, जो विश्व हिन्दू परिषद् का नाम सुनते ही मंुह बिदका लेते हैं। ऐसे सेकुलरों को एक बार विश्व हिन्दू परिषद् की देखरेख में चलने वाले उन कायार्ें को जरूर देखना चाहिए जिनके जरिए लाखों लोगों के जीवन पर छाया अंधेरा छंट रहा है। विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ता हर उस जगह पर दीया जला रहे हैं, जहां अंधेरा छाया है। देश का ऐसा कोई कोना नहीं है, जहां विश्व हिन्दू परिषद् के समाजोपयोगी कार्य नहीं चल रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद् के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री अरविन्द भाई ब्रह्मभट्ट कहते हैं कि इस समय शिक्षा, संस्कार, रोजगार, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्रों में कुल 57,407 प्रकल्प चल रहे हैं।
आजादी के 66 वर्ष बाद भी जहां सरकारें प्राथमिक शिक्षा की सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करा पाई हैं, वहां विश्व हिन्दू परिषद् के ग्राम शिक्षा मन्दिर (एकल विद्यालय) शिक्षा की लौ प्रज्वलित कर रहे हैं। इन शिक्षा मन्दिरों की संख्या करीब 50,000 है। इन शिक्षा मन्दिरों के माध्यम से अब तक लाखों बच्चे प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर आगे की पढ़ाई कर रहे हैं, तो हजारों बच्चेे देश की सेवा कर रहे हैं। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि यदि इन बच्चों को एकल विद्यालय में शिक्षा नहीं मिल पाती तो ये बच्चे जीवनभर अशिक्षित रहते। इन शिक्षा मन्दिरों में अभी भी लाखों बच्चे शिक्षा ले रहे हैं।
महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, गोवा, गुजरात, आंध्र प्रदेश, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नागालैण्ड और झारखण्ड के वनवासी क्षेत्रों में 108 छात्रावास भी हैं। पहला छात्रावास 1974 में महाराष्ट्र के तलासरी में शुरू हुआ था। इन छात्रावासों में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की पढ़ाई करने वाले वनवासी छात्र रहते हैं। इन छात्रों को रहना, खाना और पढ़ाई की अन्य सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। 40 वषोंर् में इन छात्रावासों से लाखों की संख्या में वनवासी छात्र पढ़-लिखकर स्वावलम्बी बने हैं।
कुष्ठ रोगियों के बच्चों को शिक्षा एवं संस्कार देने के लिए कई छात्रावास भी हैं। इनमें गुलबर्गा (कर्नाटक), कोटकपूरा (पंजाब) और हरिद्वार (उत्तराखण्ड) में संचालित छात्रावास प्रमुख हैं। हरिद्वार में बालकों के लिए 1 वात्सल्य वाटिका और 1 मातृ आंचल संस्कार केन्द्र हैं। युवक-युवतियों को स्वावलम्बी बनाने के लिए विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा सैकड़ों प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। इनमें सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र, कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र, महिला स्व-रोजगार केन्द्र, यांत्रिक प्रशिक्षण केन्द्र, गोशालाएं, पशु आवास आदि प्रमुख हैं। विश्व हिन्दू परिषद् के द्वारा प्रारंभिक शिक्षा से बारहवीं कक्षा तक के विद्यालय, कोचिंग सेन्टर, संस्कार मन्दिर, अध्ययन केन्द्र, पुस्तकालय, रात्रि विद्यालय, संस्कृत शिक्षा शिविर, संस्कृत विद्यालय, वेद विद्यालय आदि भी चलाए जाते हैं। नागपुर में रेलवे स्टेशन के पास ही 'प्लेटफॉर्म ज्ञान मन्दिर' नाम से एक नया प्रकल्प चल रहा है। यहां प्लेटफॉर्म पर जीवन-यापन करने वाले बच्चों के लिए रहने और पढ़ने की व्यवस्था है।
चिकित्सा क्षेत्र में कुल 1,063 प्रकल्प हैं। इनमें 14 बड़े अस्पताल, 120 औषधालय और 600 चल चिकित्सा वाहन आदि हैं। इन चिकित्सा प्रकल्पों से प्रतिदिन हजारों मरीज स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। बड़े अस्पताल अमदाबाद (गुजरात), नारायण गांव (महाराष्ट्र) और मडीकेरी (कर्नाटक) आदि जगहों पर हैं। इन अस्पतालों में सभी प्रकार की चिकित्सा पर रोगियों को 50 प्रतिशत की छूट दी जाती है। आर्थिक रूप से कमजोर रोगियों की चिकित्सा नि:शुल्क की जाती है। 10-10 बिस्तरों वाले तीन अस्पताल ओडिशा के सुन्दरगढ़ में 2 और कालाहाण्डी में 1 है। इसके अतिरिक्त ओडिशा में 'चरक स्वास्थ्य योजना' चलती है। इसके अन्तर्गत प्रतिवर्ष 250 वनवासी युवक-यवतियों का चयन किया जाता है। उन्हें तीन माह तक प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये युवा गांव-गांव में आवश्यक दवाइयों का वितरण करते हैं। इससे प्रतिदिन सैकड़ों रोगियों को प्राथमिक चिकित्सा मिलती है। वे मरीज भी लाभान्वित होते हैं, जो चिकित्सा के लिए दूर-दराज के अस्पतालों में किसी कारणवश नहीं जा पाते हैं। पणजी (गोवा) में 'रुग्णाश्रय' के नाम से एक बहुत बड़ी धर्मशाला भी है। यहां इलाज कराने के लिए आए रोगियों और उनके सहायकों के ठहरने की व्यवस्था है। इसके अलावा अनेक स्थानों पर वर्षभर में अनेक चिकित्सा शिविर भी लगाए जाते हैं। इन शिविरों से भी जन सामान्य को चिकित्सकीय मदद मिलती है।
सामाजिक क्षेत्र में कुल 142 प्रकल्प हैं। इनमें अनाथाश्रम, कानूनी सहायता केन्द्र, हिन्दू विवाह केन्द्र, महिला सहायता केन्द्र, धर्मशालाएं, कामकाजी महिला छात्रावास आदि भी हैं। कामकाजी महिलाओं के लिए केरल में एर्नाकुलम और एलापूजा में एक-एक छात्रावास है। इस प्रकल्प का उद्देश्य है गांवों से आकर शहरों में नौकरी करने वाली उन महिलाओं को आवास उपलब्ध कराना, जिनका शहर में कोई नहीं होता।
वृद्ध महिलाओं और असहाय माताओं को आश्रय देने के लिए मंगलौर (कर्नाटक), हडजून (गोवा) और नागपुर (महाराष्ट्र) में तीन केन्द्र हैं। इनमें उन लड़कियों को भी मुक्त कराके रखा जाता है, जिनका किसी असामाजिक तत्व ने अपहरण कर लिया हो।
पूर्वोत्तर भारत में विश्व हिन्दू परिषद् के 22 छात्रावास और 15 विद्यालय हैं। इनमें पूवार्ेत्तर के हिन्दू समाज के बच्चे रहते और पढ़ते हैं। इन प्रकल्पों के कारण पूवार्ेत्तर की विभिन्न जातियों के बीच की दूरी खत्म हुई है, उनमें एकता का भाव जगा है और भारत-भक्ति का संचार हुआ है। यह भी देखा गया है कि पूवार्ेत्तर के जिन भागों में विश्व हिन्दू परिषद् का काम है, वहां जातीय संघर्ष नहीं होते। कुछ वर्ष पूर्व जब पूवार्ेत्तर के अनेक स्थानों पर दिमासा और कार्बी जनजातियां आपस में लड़ रही थीं, उस समय भी विश्व हिन्दू परिषद् के प्रभाव वाले क्षेत्रों में इन जातियों के लोग आपसी भाईचारे के साथ रह रहे थे।
नागाओं के बीच भी विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ता कार्य कर रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद् की देखरेख में अनेक स्वयं सहायता समूह भी खड़े हुए हैं। केरल में 300 से अधिक स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं। इन्हीं कुछ समूहों द्वारा केरल के 20 गांवों में 'हर्बल प्लांटेशन' का काम चल रहा है। इसके अन्तर्गत लोग औषधीय पौधे लगाते हैं। इस प्रकार हर्बल ग्राम तैयार हो रहे हैं।
विश्व हिन्दू परिषद् मतान्तरित हो गए हिन्दुओं की घरवापसी के लिए भी कार्य करती है। इसके तहत अनगिनत लोग अब अपने मूल हिन्दू धर्म में वापस आ चुके हैं। वनवासी एवं अन्य वगोंर् के बच्चों को कथावाचक का प्रशिक्षण देकर उन्हें गांव-गांव में कथा करने भेजा जाता है। इससे स्थानीय लोगों में अपनी संस्कृति और धर्म के प्रति आस्था बढ़ी है।

215 न्यास और समितियां
विश्व हिन्दू परिषद् के सेवा प्रकल्पों को चलाने के लिए पूरे देश में 215 पंजीकृत न्यास और समितियां हैं। इनमें से 141 को सरकार की ओर से '80 जी' मिला हुआ है और 20 को एफ.सी.आर.ए. (फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेटिंग एक्ट)।
रियांग बच्चों के लिए सुविधाएं
मिजोरम से निकाले गए रियांग जनजाति के बच्चों की पढ़ाई के लिए पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात में नि:शुल्क विशेष सुविधाएं की गई हैं। बच्चों को बारहवीं तक की शिक्षा नि:शुल्क दिलाई जाती है। बारहवीं करने के बाद ये बच्चे अपने क्षेत्रों में शिक्षा और संस्कार देने का कार्य कर
रहे हैं।
चकमा और रियांग बालिकाओं के लिए छात्रावास
दो वर्ष से लश्कर (ग्वालियर) में चकमा और रियांग जनजाति की बालिकाओं के लिए एक विशेष छात्रावास शुरू किया गया है। यहां इस समय 55 लड़कियां रहती हैं। यहां इन बालिकाओं के लिए पढ़ने और रहने की नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर में आएदिन तरह-तरह की समस्याएं खड़ी होने से ये जनजातियां सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। इस हालत में लड़कियों की शिक्षा में काफी दिक्कतें आती हैं। इन दिक्कतों को देखते हुए ही विश्व हिन्दू परिषद् ने उन्हें पढ़ाने का निर्णय लिया है।  -अरुण कुमार सिंह

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

शुभांशु की ऐतिहासिक यात्रा और भारत की अंतरिक्ष रणनीति का नया युग : ‘स्पेस लीडर’ बनने की दिशा में अग्रसर भारत

सीएम धामी का पर्यटन से रोजगार पर फोकस, कहा- ‘मुझे पर्यटन में रोजगार की बढ़ती संख्या चाहिए’

बांग्लादेश से घुसपैठ : धुबरी रहा घुसपैठियों की पसंद, कांग्रेस ने दिया राजनीतिक संरक्षण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies