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– हमारे देश में रक्षा उत्पादन क्षेत्र में लगभग 40 आयुध कारखाने और सार्वजनिक क्षेत्र की 8 अन्य इकाइयां हैं। इन इकाइयों में लगभग 200 अरब रुपए की रक्षा सामग्री का उत्पादन होता है। जबकि अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों के लिए हमें विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है।
-मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमले से यह बात साबित हो चुकी है कि हमें अपनी समुद्री सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करन े की जरूरत है। हमारी तटवर्ती सीमा की लंबाई 75166 किलोमीटर है । इस विशाल तटवर्ती क्षेत्र की रक्षा के लिए नौसेना को सशक्त और सक्षम बनाना जरूरी है।
– परमाणु ऊर्जा संचालित आधुनिक पनडुब्बियों के बल पर चीन अंडमान समुद्री क्षेत्र में भारतीय सामरिक हितों के लिए चुनौती बन सकता है। इसके लिए भारत को ज्यादा से ज्यादा विमानवाहक पोतों और आधुनिक पनडुब्बियों की जरूरत है।
– भारत रक्षा पर सबसे अधिक खर्च करने वाले देशों में दसवें स्थान पर आता है ,लेकिन यह दुनियाभर में रक्षा बजट पर होने वाले खर्च का महज दो फीसद ही है। भारत का रक्षा बजट चीन की तुलना में आधे से भी कम है।
– पाकिस्तान व चीन सहित विश्व के कई देश भारत की तुलना में सुरक्षा पर अधिक धन खर्च कर रहे हैं। भारत रक्षा पर तीन फीसदी से कम ही खर्च कर रहा है। इसे बढ़ाने की आवश्यकता है
– चीन का रक्षा बजट भारत के मुकाबले साढ़े तीन गुना ज्यादा है। चीन ने अभी हाल ही में 132 अरब डालर रक्षा बजट घोषित किया है। अमरीका दुनिया के कुल रक्षा बजट का 41 प्रतिशत खर्च करता है।
– वर्ष 2014-15 के लिए रक्षा बजट को बढ़ाकर 229000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इससे पहले वर्ष 2013-14 के लिए भारत का रक्षा बजट 203672 करोड़ रुपये था। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 12.44 फीसद की ही वृद्धि की गई है, जबकि भारत को और अधिक रक्षा बजट की जरूरत है।
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