साक्षात्कार - 'जिहादी विचारधारा को रोकना देश के लिए चुनौती'
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साक्षात्कार – 'जिहादी विचारधारा को रोकना देश के लिए चुनौती'

by
Aug 2, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Aug 2014 16:18:09

मुंबई में पुलिस आयुक्त का पद छोड़कर भाजपा में शामिल होकर बागपत से सांसद बने पूर्व आईपीएस अधिकारी सत्यपाल सिंह से आतंकी संगठनों और उनकी कार्यशैली को लेकर पाञ्चजन्य संवाददाता आदित्य भारद्वाज ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश :
ल्ल आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की अभी क्या स्थिति है, क्या दिल्ली -पुलिस द्वारा यासीन भटकल के पकड़े जाने के बाद देश में आईएम का नेटवर्क ध्वस्त हो चुका है?
मेरा यह मानना है कि आईएम का कैडर पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, आईएम के बहुत से सरगना अभी गिरफ्तार नहीं हुए हैं। उनकी संख्या लगभग 30 से ज्यादा है। विभिन्न राज्यों की पुलिस जैसे दिल्ली पुलिस, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा पकड़े गए आतंकियों से पूछताछ में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं। इसलिए यह कहना सही नहीं होगा कि आईएम का नेटवर्क देश में पूरी तरह से खत्म हो चुका है। मुंबई के ठाणे से हाल ही में चार युवकों के इराक जाकर आतंकी संगठन आइएसआइएस में शामिल होने के संकेत मिले हैं। जिहादी विचारधारा से प्रेरित लोगों को बदलना देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।
ल्ल सिमी के बारे में आपका क्या कहना है?
सिमी पर 2001 में प्रतिबंध लगा था। उसके बाद से अभी तक सिमी पर प्रतिबंध जारी है। यहां तक कि एक राज्य सरकार के बड़े नेता ने यह भी कहा था कि सिमी के लोग आतंकी नहीं हो सकते। उनका ऐसा बयान बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। सिमी के लोग आज भी जिहादी विचारधारा को फैलाने का काम बखूबी कर रहे हैं। ऐसा पता चला है कि सिमी विभिन्न नामों से संगठन बनाकर काम करने में जुटा है। वह सांस्कृतिक या खेलकूद से जुड़े संगठन भी हो सकते हैं। सिमी बहुरूपिया बनकर लगातार काम कर रहा है।
ल्ल सांसद बनने से पहले आप मुंबई के पुलिस आयुक्त थे। पुलिस सेवा के दौरान आपने अनेक आतंकियों से पूछताछ की। युवाओं को आतंकी बनाने का कौन सा तरीका अपनाया जाता है कि एक भोला-भाला युवा भी आतंकी बन जाता है?
हमारी विभिन्न जांच एजेंसियों के पास हजारों आतंकियों से पूछताछ की रपट हैं। एक बार उच्चाधिकारियों के सामने मैंने इस बात को उठाया था। यदि कसाब का उदाहरण दें तो जब उससे हमने पूछताछ की तो उसने दो ऐसी बातें बताईं जिन्हें सुनकर लगा कि वास्तव में मजहब के नाम पर युवाओं को गुमराह किया जाता है। कसाब को पढ़ाया गया था कि उसे मरने के बाद जन्नत मिलेगी, जहां दुनिया की हर ऐश उसे मिलेगी और दूसरा यह है कि मजहब के नाम पर शहीद होने पर उसके जिस्म से बदबू नहीं आएगी, बल्कि मरने वाले के चेहरे पर नूर आ जाएगा। ये दोनों बातें सुनने पर कसाब को हकीकत दिखाने के लिए हमारी टीम उसे उस अस्पताल में लेकर गई, जहां पुलिस मुठभेड़ में मारे गए उसके साथियों के शव रखे हुए थे। वहां जाकर कसाब को मालूम हुआ था कि जिस बात को कहकर उसे और उसके साथियों को जिहाद के लिए तैयार किया गया था, वास्तव में वह कोरा झूठ ही साबित हो गई।
ल्ल देखने में आ रहा है कि पढ़े-लिखे युवा भी आतंकी बन रहे हैं। इस बारे में आपका क्या कहना है?
देखिए किसी इंजीनियर या डॉक्टर को जिहादी नहीं बनाया जा रहा है। मात्र कुछ महीने में पढ़े-लिखे युवाओं को आतंकी नहीं बनाया जाता, ऐसा मेरा मानना है। दरअसल उन्हें बचपन से वैसा माहौल तैयार करके दिया जाता है। उनके दिमाग में जिहादी विचार बचपन से ही भरे जाते हैं। ऐसे ही विचारों को दिमाग में लेकर वे पलते-बढ़ते हैं। इसके बाद वे विभिन्न प्रोफेशन में जाते हैं। इन सबको रोकने के लिए मदरसों और विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में शिक्षा का बेहतर माहौल दिया जाना चाहिए जिससे बच्चों के दिमाग में गलत बात घर न कर सके।
ल्ल हाल ही में एक न्यायालय ने दाऊद इब्राहिम की प्रॉपर्टी की कुर्की करने का आदेश दिया है। यदि हम अदालती आदेश की बात न करें तो क्या संभव है कि दाऊद, रियाज-इकबाल भटकल और हाफिज सईद जैसे लोगों को कूटनीति से पाकिस्तान से भारत लाया जा सकता है?
देखिए जब तक पाकिस्तान मदद के लिए आगे नहीं आएगा तब तक ऐसा संभव नहीं है। अमरीका ने ओसामा को पाकिस्तान में जाकर मारा था तो उसमें वहां के स्थानीय प्रशासन और लोगों की भूमिका निश्चित ही रही थी। वहां से मिले 'लोकल इनपुट' के आधार पर ही अमरीका का ऑपरेशन सफल हो सका था। अमरीका ने खुद भी दाऊद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया हुआ है। यदि पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जाए तो निश्चित तौर पर उसका फायदा हमें मिलेगा। संभावना है कि नई सरकार देश में दहशत मचाने वाले इन आंतकियों को भारत लाने के प्रयास तेज करेगी। ल्ल

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