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दंगे के दौरान उपद्रवियों ने अंबाला रोड, नेहरू मार्केट, नक्काशा बाजार, रायवाला बाजार से लूटा करोड़ों रुपये का माल मुस्लिम बस्तियों ढोली खाल, रांगडों का पुल और बाजार आतिशगान एवं खाताखेड़ी में पहुंचा दिया।
ज्यादातर दंगाई इन्हीं इलाकों से आए थे। आयुक्त तनवीर जफर अली के मुताबिक उपद्रवियों ने लकड़ी के कारोबार में इस्तेमाल होने वाला अत्यंत ज्वलनशील रसायन गैसोलीन, थिनर, बोरिक एसिड और मोबिल आयल का इस्तेमाल दुकानों और प्रतिष्ठानों को जलाने में किया। दंगा स्थल के पास 'वुड कार्विंग' उद्योग की इकाइयां हंै। यह इलाका थाना कुतुबशेर के ठीक सामने पड़ता है। दंगे में 165 से अधिक दुकानों में आगजनी की गई। जानकारों के मुताबिक आगजनी में 200 लीटर के करीब ज्वलनशील पदाथार्ें का इस्तेमाल किया गया। दंगे की तैयारी कितने बड़े पैमाने पर थी इसका अंदाजा इससे हो जाता है कि विशेष रूप से बनी लोहे की राड का इस्तेमाल दुकानों के शटर तोड़ने के लिए किया गया। प्रशासन के लोग संभवत: दंगाइयों की जबरदस्त तैयारी के सामने बेबस नजर आए।
दंगा कितना सुनियोजित था इसका पता इस बात से लग जाता है कि उपद्रवियों ने सबसे पहले और सबसे बड़ा हमला अंबाला रोड स्थित दमकल केन्द्र पर किया। वहां खड़े अग्निशमन वाहनों को आग लगा दी गई। घटनास्थलों से गैसोलीन रसायन आदि के खाली डिब्बे बरामद हुए थे। आयुक्त दावा करते हैं कि इनसे जांच में मदद मिलेगी।
165से अधिक दुकानों में लगाई आग
42 वाहन फूंके गए हिंसा के दौरान
35 लोग घायल हुए
03 लोगों की हुई मौत
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