मंदिर से लाउडस्पीकर हटवाने पर फंसी पुलिस
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आरटीआई के जवाब में मंदिर में पहले से लाउडस्पीकर लगे होने का खुलासा
उत्तर प्रदेश सरकार मुगल शासकों की तर्ज पर हिन्दुओं का दमन कर रही है। मुरादाबाद जिले की कांठ तहसील के अकबरपुर चेदरी गांव में इस बार सावन की शिवरात्रि पर लाउडस्पीकर नहीं लगने दिया गया, जबकि स्वयं पुलिस-प्रशासन ने इस बात को स्वीकारा था कि यहां हर वर्ष शिवरात्रि और जन्माष्टमी के पर्व पर मंदिर में लाउडस्पीकर लगाया जाता है।
मंदिर से लाउडस्पीकर हटाने के बाद अब मुरादाबाद पुलिस और प्रशासन से जवाब देते नहीं बन रहा है। पहले तो दुर्भावना से प्रेरित होकर लाउडस्पीकर हटवा दिया गया, लेकिन जब आरटीआई प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने सूचना के अधिकार के तहत लाउडस्पीकर को लेकर जानकारी मांगी तो पुलिस-प्रशासन फंस गया। भाजपा महानगर अध्यक्ष रितेश गुप्ता ने बताया कि पुलिस द्वारा आरटीआई के जवाब में कांठ तहसील में कुल 143 लाउडस्पीकर मंदिर-मस्जिदों पर लगे होने की जानकारी दी गई। इनमें से अकबरपुर चेदरी गांव के शिव मंदिर में लगा लाउडस्पीकर सूची मंे 23 वें स्थान पर था।
आरटीआई के जवाब से स्पष्ट हो गया है कि मंदिर में पहले से लाउडस्पीकर लगा हुआ था। लेकिन सपा सरकार के इशारे पर पुलिस ने मंदिर परिसर में जूते पहनकर लाउडस्पीकर को उतरवा दिया था। हैरानी की बात यह है कि आरटीआई का जवाब देने वाले भी एसपी देहात ही हैं जिन्होंने लाउडस्पीकर हटवाया था।
गौरतलब है कि अकबरपुर चेदरी गांव में वर्षों पुराना भगवान शिव का मंदिर है। यहां पर हर वर्ष शिवरात्रि पर लाउडस्पीकर लगाया जाता है। इस बार भाजपा सांसद से सलाह करने के बाद गांववासियों ने गत 16 जून को मंदिर परिसर की छत पर लाउडस्पीकर लगा दिया था। इसके लगते ही कांठ विधानसभा से पीस पार्टी से जीतकर आए अनीसुर्रहमान (वर्तमान में सपा समर्थित) ने लाउडस्पीकर हटाने की मांग शुरू कर दी थी, जो कि इसी गांव के रहने वाले हैं।
बीती 26 जून को प्रशासन और पुलिस ने मंदिर का ताला तोड़कर पहले तो जूते पहनकर प्रवेश किया और वहां लगे लाउडस्पीकर को जब्त कर लिया। विरोध करने पर प्रदर्शनकारियों से पुलिस ने बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया, महिलाओं के साथ भी मारपीट की गई। भाजपा नेताओं ने शिवरात्रि पर मंदिर में जलाभिषेक करने की घोषणा की, लेकिन पुलिस और सपा सरकार ने वहां जाने पर पाबंदी लगा दी थी। गत 25 जुलाई को जलाभिषेक के लिए हरिद्वार से कांठ जा रही साध्वी प्राची को बिजनौर में ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। प्रतिनिधि
पाञ्चजन्य के 13 जुलाई अंक में पाञ्चजन्य संवाददाता से बातचीत में मुरादाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने कहा था कि-'गांव में जन्माष्टमी और शिवरात्रि के मौके पर लाउडस्पीकर लगाया जाता था, लेकिन इस बार सांसद के कहने पर समय से पहले लाउडस्पीकर लगा दिया गया। इसका विरोध होने पर कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका को ध्यान में रखकर मंदिर से लाउडस्पीकर हटवा दिया गया। इसके अतिरिक्त पांच अन्य मस्जिदों से भी लाउडस्पीकर हटवाए गए हैं।' लेकिन सच्चाई इससे परे है। गांव और क्षेत्रीय लोगों का दावा है कि पुलिस ने किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर नहीं हटवाए। मुरादाबाद से भाजपा सांसद कुंवर सर्वेश सिंह ने संवाददाता को बातचीत में बताया कि पुलिस ने दुर्भावना के चलते मंदिर से लाउडस्पीकर हटवाया था। पड़ोस में ही एक नई मस्जिद का निर्माण हो रहा था जिसे पुलिस के संरक्षण में पूरा कराया गया, ऊपर से वहां लाउडस्पीकर भी लगवा दिया गया। मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवाने के संबंध में जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से 31 जुलाई को फोन पर संवाददाता ने बातचीत कर उन पांच मस्जिदों के नाम पूछे जहां से उन्होंने पहले लाउडस्पीकर हटवाने का दावा किया था तो जवाब मिला कि-'मुझे इस समय ध्यान नहीं है कि कहां-कहां से लाउडस्पीकर हटवाए गए हैं।' साथ ही पुलिस अधीक्षक देहात अनिल कुमार सिंह से बात करने को कहा गया, लेकिन अधीक्षक देहात ने इस संबंध में पूछे जाने पर स्वयं को एक बैठक में व्यस्त बताते हुए जानकारी देने से मना कर दिया।
उमर की अराजकता, कौसरनाग यात्रा रद्द
जम्मू-कश्मीर सरकार ने देशद्रोही तत्वों के आगे घुटने टेकते हुए गत 31 जुलाई को कुलगाम से कौसरनाग यात्रा को रद्द कर दिया। इससे जम्मू से कुलगाम पहुंचे श्रद्धालु यात्रा पर रवाना नहीं हो पाए। कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का राग अलापने वाली उमर सरकार का सेकुलर चेहरा उस समय स्पष्ट हो गया जब यात्रा को पर्यावरण के खिलाफ बता कर विरोध कर रहे अलगाववादियों को उसने मूक स्वीकृति प्रदान कर यात्रा को स्थगित कर दिया । ज्ञात हो कि 31 जुलाई से तीन अगस्त तक चलने वाली यह यात्रा जम्मू-और रियासी जिले से दो दिन पूर्व कौसरनाग के लिए निकली थी।
जम्मू से रवाना हुए कश्मीरी पंडितों का जत्था 30 जुलाई को कुलगाम पहुंच गया था,लेकिन देर रात कुलगाम के जिला उपायुक्त अहमद वानी ने यात्रा को दी गई अनुमति को रद्द कर दिया। गौरतलब है कि पीरपंचाल की पहाडि़यों में स्थित कौसरनाग एक झील है।
कश्मीरी पंडितों के मुख्य तीर्थस्थलों में से एक कौसरनाग की वार्षिक यात्रा 1980 के दशक तक आयोजित की जाती रही। इसके बाद आतंकवाद के कारण इस यात्रा को बंद करना पड़ा। इस वर्ष कश्मीरी पंडितों के संगठन ऑल पार्टी माइग्रेंट कोआर्डिनेशन कमेटी ने इस यात्रा की फिर से शुरुआत की है।
प्रतिनिधि
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