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ओखला पक्षी अभ्यारण्य आज से कोई एक दशक पहले शहर से कोसों दूर वीरान था, देसी भाषा मे कहें तो जंगल था लेकिन आज बसाव के बीचांेबीच आ गया। बसाव भी ऐसा है जो कुछ बेजुबानों के घरोंदे उजाड़ने मे लग गया.. जाने अंजाने एक सदी पहले इंसान ने ही ऐसी स्थितियां बनाई थीं कि स्थिर पानी और दलदली जमीन के ईद-गिर्द के पेड़ों में अनगिनत पक्षियों ने अपने घोंसले बना लिए। उतने ही पक्षियों के जो�
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