भारत पर प्रभाव: मुद्दे , नीतियां और चुनौतियां
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भारत पर प्रभाव: मुद्दे , नीतियां और चुनौतियां

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Jul 21, 2014, 12:00 am IST
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आवरण कथा संभंधित – चतुर्थ सत्र

दिंनाक: 21 Jul 2014 12:41:46

अपनावक्तव्य देते हुए ले.ज. (से.नि.) एसए हसनैन ने कहा कि राजनीतिक-सामाजिककूटनीति की यदि हम बात करें तो ईरान, इराक और सऊदी अरब से हमारी ऊर्जाआवश्यकताएं पूरी होती हैं। पश्चिमी एशिया के देशों में खासकर खाड़ी क्षेत्रमें एक व्यापक संभावना हमेशा से रही है। सीरिया और इराक के बीच में कोईसीमा नहीं है, अमरीका और सऊदी अरब में रिश्ता बन रहा है, जबकि पश्चिम एशियामें अमरीका अपनी रुचि कम कर रहा है। अमरीका ने इराक में सुरक्षा बंदोबस्तके लिए 50 बिलियन डॉलर छोड़ा था, वह व्यवस्था 24 घण्टे में ध्वस्त हो गई।सौभाग्य की बात तो यह है कि जम्मू कश्मीर के युवाओं में इस खिलाफत के लिएकोई ललक दिखाई नहीं देती। पाकिस्तान, भारत और बंगलादेश में 4.5 मिलियनमुसलमान हैं जो विश्व के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया के बराबर हैं।भारत में अकेले 175 मिलियन मुसलमान हैं जो अल्पसंख्यकों में बहुत बड़ीसंख्या है। यह ठीक है कि 1947 से लेकर 1991 तक मुसलमानों की कोई पहचान नहींथी लेकिन अब मुसलमान मुख्यधारा में आ रहे हैं। हमें अब ऐसी सोशलइंजीनियरिंग करनी होगी- मदरसों को मुख्यधारा में शामिल कर देशभक्ति का पाठपढ़ाना होगा। इस्लामिक कल्चर सेंटर में नरेन्द्र मोदी पर शिया समुदायद्वारा आयोजित ईवेंट और जम्मू के मदरसे में स्वयं विशेष सफल प्रयोग देखनासुखद लगा।
श्री आलोक बंसल ने मुद्दा उठाया कि चाहे अभी मात्र 17 भारतीयकर्बला की रक्षा के लिए वहां पहुंचे हों लेकिन 10,000 से भी अधिक युवाओं काजाने के लिए पंजीकरण करना बहुत बड़ी चिंता का विषय है। 1801 में इमामहुसैन के श्राइन को नष्ट किया गया था, आज शिया समुदाय में असुरक्षा महसूसहो रही है। इराक पर कब्जा करने वाला कह रहा है कि अब मैं कर्बला और नजफ मेंजाऊंगा। औरंगजेब भी कहता था कि काफिरों को छोड़ दूंगा पर बीजापुर औरगोलकुंडा को नहीं छोडूंगा क्योंकि वे शिया बहुल क्षेत्र थे। आज भी यही बातहो रही है कि मैं खुरासान का खलीफा हूं, खुरासान वैश्विक इस्लाम का अड्डाबनेगा।
श्री ध्रुव सी. कटोच ने कहा कि यह ठीक है कि हमारी वाणिज्यिकऊर्जा और तेल इसी क्षेत्र पर निर्भर है लेकिन हमें अपने आसपास हो रही इनघटनाओं को गंभीरता से लेना होगा, हमें अपनी न्यायप्रणाली के ढांचे कोसमयानुकूल सुदृढ़ करना होगा। यदि आप उग्र बने रहेंगे तो समाज में परिवर्तनकैसे आएगा।
डा. शक्ति सिन्हा ने कहा कि ईरान की भूमिका महत्वपूर्ण है औरहमें इसे अमरीकी नजर से देखना होगा। सऊदी अरब भी मजबूत हो रहा है। भारत कोअरब देशों के साथ अपने हितों की रक्षा करते हुए संतुलित संबंध रखने होंगे।
श्रीशेखर सिन्हा ने कहा कि खिलाफत सहित सारे चरमपंथी खेलों को चीन आनन्द लेरहा है, ग्वादर में अपना हवाई अड्डा स्थापित कर अमरीका के बाद अरब देशों केखजाने पर उसने वैसे ही दावेदारी ठोक दी है।
प्रो. गिरिजेश पंत ने कहाकि सऊदी अरब गैस की पाइपलाइनें बदल रहा है और उसका परिवहन भी पूरी तरहहाइड्रोकार्बन पर निर्भर हो रहा है। ईरान हमारा परंपरागत सहायक रहा है।हमें अपनी कूटनीतिक नेटवर्किंग के माध्यम से इन शक्तियों पर पूरे तौर सेनजर रखनी होगी। जम्मू कश्मीर में सक्रिय श्री संत कुमार शर्मा ने कहा किरुबिया सईद प्रकरण के बाद से स्पष्ट हो गया है कि कानून कितनी देर में कामकरता है। पड़ोसियों से सतर्क हम हो भी जाएं तो भावनात्मक रूप से क्षुद्रराजनीतिक स्वार्थी अपने लोगों से भी कम खतरे नहीं हैं। जम्मू कश्मीर केमुख्यमंत्री केन्द्र द्वारा जम्मू के लिए आईआईटी के प्रस्ताव को कश्मीर सेभेदभाव बताते हैं जबकि वहां पहले से ही दो केन्द्रीय विश्वविद्यालय मौजूदहैं।
राजस्थान विधानसभा के सदस्य श्री मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि इराकतीन विलायतों से बना है- मोसुल, बगदाद और बसरा। ठीक इसी प्रकार जम्मूकश्मीर में भी जम्मू, कश्मीर और लद्दाख तीन विलायतें हैं। पाकिस्तान मेंशियाओं का आए दिन होने वाला नरसंहार हमें दिखाई देता है, तालिबान भी यहीकरता है और आईएस आईएस भी यही कर रहा है। हमें अपनी आंतरिक सुरक्षा पर विशेषध्यान देना होगा और सोशल मीडिया पर हो रहे दुष्प्रचार पर भी निगरानी रखनीहोगी।
गोष्ठी में अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों के अतिरिक्त जम्मू-कश्मीरअध्ययन केन्द्र के निदेशक श्री आशुतोष भटनागर, और पत्रकार देबब्रत घोष नेभी अपने विचार रखे। गोष्ठी के अन्त में पाञ्चजन्य के सम्पादक श्री हितेशशंकर और आर्गनाइजर के सम्पादक श्री प्रफुल्ल केतकर ने सभी वक्ताओं एवंआगंतुकों का आभार व्यक्त किया।
प्रस्तुति : सूर्य प्रकाश सेमवाल

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