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इराकी सेना सुन्नी आतंकवादी संगठन आई.एस.आई.एस. के कब्जे से तिकरित शहर को मुक्त कराने के लिए लगातार हमले कर रही है। इराकी सेना के साथ शिया मिलिशिया के लड़ाके भी हैं। इसके बावजूद इराकी सेना को कभी पीछे हटना पड़ता है,तो कभी इराकी वायु सेना की मदद लेनी पड़ती है। वास्तव में सुन्नी-बहुल तिकरित पर आतंकवादियों की जड़ें काफी अन्दर तक जम चुकी हैं। तिकरित इराक के पूर्व तानाशाह राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का गृह नगर है। सद्दाम सुन्नी थे। उनकी वजह से तिकरित के सुन्नियों के पास न तो पैसे की कमी है और न ही हथियारों की। इसी का फायदा सुन्नी आतंकवादियों को मिल रहा है। तिकरित के सुन्नी खुलकर आतंकवादियों का साथ दे रहे हैं। इराकी सेना को डर इस बात का भी है कि यदि आतंकवादियों के साथ ज्यादा सख्ती बरती गई तो वे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इन आतंकवादियों ने तिकरित के आसपास दुनिया, खासकर अमरीका से छुपा कर रखे गए परमाणु हथियारों पर कब्जा कर लिया है। इस हालत में इराकी सेना कब तक तिकरित पर कब्जा कर पाती है,यह वक्त ही बताएगा। इधर सुन्नी आतंकवादियों को एशिया के कई जिहादी संगठनों ने समर्थन देने की घोषणा की है। यह भी पता चला है कि आई. एस. आई.एस. ने दुनियाभर में सुन्नी मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने के लिए एक अभियान चला रखा है। इसने भारत में भी दस्तक दे दी है। मुम्बई को आधार शिविर बना कर वह सुन्नी मुसलमानों को अपने साथ जोड़ रहा है। पिछले दिनों मुम्बई के कल्याण उननगर से चार मुसलमान युवक (आरिफ मजीद,फहद तनवीर शेख,अमन नईम टण्डेल और शबीन फारूखी टंकी) बगदाद गए हैं। आशंका है कि ये चारों आई.एस.आई.एस. के गुर्गों की मदद से ही बगदाद गए हैं और वहां जिहाद कर रहे हैं। जब यह खबर फैली तो उनके घर वालों ने कल्याण के पुलिस थाने में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया। इनके घर वालों का कहना है कि ये सारे लड़के कॉलेज में पढ़ते थे और बड़े अच्छे थे। इनका किसी भी कट्टरवादी संगठन से सम्पर्क नहीं था। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि मुम्बई में कई ऐसे संगठन हैं,जो आई.एस.आई.एस. के लिए काम कर रहे हैं।
इसी नजरिए से इन चारों युवकों के बारे में भी छानबीन की जा रही है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब ये चारों पढ़ाई करते थे तो उन्हें इराक जाने का किराया किसने दिया? बगदाद में उनके लिए घर और भोजन का इन्तजाम किसने किया?
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