आवरण कथा संबंधित- कब चेतेगा सभ्य समाज?
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

आवरण कथा संबंधित- कब चेतेगा सभ्य समाज?

by
Jul 19, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 19 Jul 2014 15:35:49

इराक में गृहयुद्घ की स्थिति के बाद से ही मीडिया में कच्चे तेल के मूल्यों के बढ़ने, भारतीय नागरिकों के वहां फंसने, उनके निकाले जाने और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इस युद्घ के परिणामों की चर्चा हो रही है। तुर्की, जॉर्डन और सीरिया में भारत के नागरिकों के बचाव की कार्रवाई के केंद्र बनने, फारस की खाड़ी में भारतीय युद्घ पोतों के तैनात होने, भारतीय विमानों के आपात स्थिति के लिये तैयार होने के संकेत मिल रहे हैं। व्हाट्सऐप पर भी वीभत्सता की हद तक भयानक कई एक-दो मिनट के वीडियो प्रचलन में हैं, जिनमें काले कपड़े पहने, नकाब लगाये हत्यारे निर्दयता से बंधे हाथ वाले लोगों का छुरों, आधुनिक कटरों से गला काट रहे हैं। कई इन हत्यारों को शिया बता रहे हैं और कई लोग इन्हें सुन्नी बता रहे हैं।
यहां चर्चा से एक बात बिल्कुल बाहर है कि वो कौन सा तत्व है जिसने सामान्य मनुष्य को हत्या करने की मशीन में बदल दिया है? वो कौन सी विचारधारा है जिसके अनुसार मनुष्य के जीवन से बढ़कर भी कुछ है? जिन हाथों से निर्दयतापूर्वक लोगों के गले काटे हों उन हाथों से कैसे कोई व्यक्ति अपने बच्चे को गोद में उठायेगा? क्या खाना खाते समय उस व्यक्ति में अपने किये पर पछतावा नहीं होगा? किसी मनुष्य या मनुष्यों के समूह के जीवन से प्रेम, अनुराग, स्नेह जैसी भावनायें कैसे इस तरह पोंछी जा सकती हैं कि वो केवल राक्षस रह जायें?
ये बात भारत के सन्दर्भ में इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारा स्वयं का इतिहास ऐसे जघन्य हत्याकांडों से भरा पड़ा है। मुस्लिम काल के किसी भी इतिहासकार की पुस्तक उठा लीजिये और आप पायेंगे कि हर पुस्तक में कुफ्र और काफिरों को मिटाने के उद्घरण भरे पड़े हैं। गांधी जी के सक्रिय समर्थन के विचित्र आंदोलन खिलाफत में भी यही हुआ था। हजारों हिन्दुओं की हत्या, हजारों हिन्दू नारियों का बलात्कार, हजारों हिन्दुओं का अपने घरों से विस्थापन कोई बहुत दूर की बात नहीं है। यही कुछ सौ वर्ष पहले अफगानिस्तान में हुआ था। वो भी हिन्दू-बौद्घ धर्मावलम्बी देश था़ यही पाकिस्तान-बंगलादेश में हुआ था। हिन्दू भारत के ये हिस्से भी भारत से काटकर अलग कर दिए गये। बहुत दूर क्यों जाइये काफिरों से धरती को पवित्र करने का सामने का ही उदाहरण कश्मीर है, जहां से सारे हिन्दू मारकर, डरा-धमकाकर निकाल बाहर कर दिए गये। यहां ये बात निश्चित रूप से विचारणीय है कि इसी हिंदू समाज से मतांतरित लोग आखिर कैसे अपने पूर्वजों के धर्म, अपने ही बंधु-बांधवों के खून के प्यासे हो गये। मित्रो, सामान्य विवेक और तटस्थ बुद्घि में कितना भी कांग्रेसी, वामपंथी बौड़मपन मिला दीजिये, उत्तर केवल इस्लाम ही आयेगा। इसी की मूल व्याख्या की उपधाराएं शिया-सुन्नी हैं। दोनों अपने को सही और दूसरे को काफिर मानती ही नहीं हैं बल्कि घोषित करती हैं।
अपनी दृष्टि को इतना सही मानना कि अपने से भिन्न सोच रखने वाला समूल नष्ट किये जाने लायक दिखायी दे, ये विकृत सोच ईसाइयत, इस्लाम और कम्युनिज्म का हिस्सा हैं। ईसाई मत की मूर्खतायें विज्ञान के आविष्कारों ने समाप्त कर दीं। चूंकि ये अविष्कार ईसाई देशों और उसके समाज के मध्य ही हुए थे। कम्युनिज्म को स्वयं उसकी जकड़बन्दियां खा गयीं। हालांकि अब भी एकमेव भारत में ऐसे मूर्ख बचे हैं जो कम्युनिज्म को सही और उन देशों के कम्युनिस्टों को, जहां कम्युनिज्म रहा है, पथच्युत मानते हैं और सोचते हैं कि उन देशों के कम्युनिस्टों से गलती हुई और भारत का कामरेडी चिंतन ठीक है। केवल इस्लाम अपनी दृष्टि में इतना पवित्र बचा है कि उस पर उसकी दृष्टि में कोई चर्चा नहीं हो सकती। इसी मूढ़ सोच का कारण है कि अफगानिस्तान, जो हिन्दू देश था और जहां की जनता शांतिपूर्ण, अहिंसक बौद्घ मत के अनुसार जीवन बिताती थी, अब नृशंस तालिबानी हत्यारों का समाज बन गयी है। भारत विभाजन के समय पाकिस्तान, बंगलादेश में बचे हिन्दू अब समाप्तप्राय हैं। नाइजीरिया, कीनिया, ईरान, ईराक, इंडोनेशिया, जिस भी मुस्लिम देश का नाम लीजिये वहां किसी न किसी इस्लामी नाम से हत्यारों के समूह काम कर रहे हैं और सभ्य समाज का जीना दूभर किये हुए हैं।
हर जगह हत्यारों का दमन तो आवश्यक है ही मगर क्या इतने भर से ये समूह जन्म लेने बंद हो जायेंगे? क्या ये सही समय नहीं है कि इन विचित्र मानसिकता और इस की जननी इस हत्यारे दर्शन पर सवाल उठाये जायें? क्या भेडि़ये के दांतों को समाज में बराबरी का जीवन सूत्र और पवित्र बताने की जगह तोड़ने का समय नहीं आ गया? अगर नहीं तो क्या जब सारे विश्व में भेडि़यागर्दी छा जाएगी तब सभ्य समाज चेतेगा?

(तुफैल चतुर्वेदी साहित्यकार हैं. संपर्क – 9711296239)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies