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धर्मवीर कम्बोज 51 वर्ष (यमुनानगर, हरियाणा) ने बनाई मल्टीपरपज प्रोसेसिंग मशीन
1986-87 में दिल्ली के कोडि़या पुल इलाके में दसवीं पास के कागजात रखकर किराये पर रिक्शा चलाने वाले धर्मवीर के कारोबार का पिछले वर्ष 70 लाख रुपये का टर्नओवर रहा है, जो कि आज 35 महिलाओं को रोजगार भी मुहैया करा रहा है। इसके लिए एनआईएफ ने न केवल उसकी आर्थिक मदद की, बल्कि उन्हें कर जमा करने से लेकर व्यवसाय में आगे बढ़ने तक के सूत्र भी बताए। कामयाब होने से पहले धर्मवीर को उनके घरवालों ने पागल भी करार दे दिया था, लेकिन उन्होंने आखिर तक हिम्मत नहीं हारी। धर्मवीर रिक्शा चलाने के दौरान खारी बावली इलाके में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी और अन्य सामग्री देखते थे तो उन्हें लगता था कि किसान को कुछ नहीं बच पाता है। इसी बीच एक दिन वह खान मार्केट इलाके में गये तो उन्होंने दुकानों पर बंद बोतलों में लीची और दूसरे फलों का जूस देखा। इस बीच वह एक कार से सड़क दुर्घटना का भी शिकार हो गये और उनका रिक्शा भी टूट चुका था। इसके बाद वापस गांव जाकर उनके सामने जीविका की विकराल समस्या खड़ी हो गई। एक बार उन्हें अजमेर जाने का मौका मिला तो उन्होंने देखा कि वहां पर पीतल के बड़े-बड़े बर्तनों में गुलाब की पत्तियां डालकर गुलाब जल तैयार किया जा रहा था और आंवले के लड्डू बिक रहे थे। इसके बाद उन्होंने मशरूम की खेती भी देखी और तय कर लिया कि कुछ न कुछ कर डालना है। उन्होंने घर लौटकर तय कर लिया कि ऐसी मशीन तैयार करनी है जिससे वे फलों का रस खेत में ही निकालकर उसकी बाजार में आपूर्ति करे। गरीबी के दौर में उनका मकान तक बिक चुका था। इसके लिए वह शहर में एक दुकान पर गये और अपने तरीके से एक ड्रम में मशीन लगाकर उसे मशीन तैयार करने को कहा गया।
इसके बाद उन्होंने 'मल्टीपरपज प्रोसेसिंग मशीन' तैयार कर डाली। मशरूम की खेती के लिए भी धर्मवीर ने उद्यान विभाग की मदद ली थी। कारोबार को बढ़ाने के लिए समय-समय पर एनआईएफ ने उन्हंे आर्थिक मदद भी की। यही नहीं जब एनआईएफ ने पहली बार उन्हंे सहयोग करने के लिए संपर्क किया तो उन्हें भरोसा नहीं हुआ था। धर्मवीर ने दो बार उन्हें वापस यह सोचकर लौटा दिया था कि कहीं कोई उनकी तकनीक को हथिया न ले, लेकिन आखिर में उन्हें एनआईएफ समझाने में कामयाब रहा और आज वह कारोबारी बन गए। उनकी मशीन से ग्वारपाठा, जामुन, आंवला, जड़ी-बूटी और दूसरे फलों के रस निकाले जा रहे हैं। इस मशीन से ग्वारपाठा का शैम्पू, क्रीम भी तैयार हो रहे हैं। इस मशीन से एक घंटे में 50 से 150 लीटर फलों का रस, आटा बनाने से लेकर सोयाबीन का दूध तक तैयार किया जा रहा है। ल्ल
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