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कृषि के क्षेत्र में वित्त मंत्री द्वारा पेश किया बजट उम्मीदों से कम रहा, हालांकि उन्होंने किसानों के लिए मिट्टी हेल्थ कार्ड योजना शुरुआत करने की बात कही है। इसके लिए 100 करोड़ रुपए की नई योजना का ऐलान किया गया है। मिट्टी की जांच के लिए 100 चलती-फिरती प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी और किसान विकास पत्र की शुरुआत फिर से होगी। इसके अलावा किसानों को 7 फीसदी की दर पर बैंक से कर्ज भी मिलेगा। खेती को उन्नत बनाने के लिए किसानों को कृषि के संबंध में जानकारियां देने हेतु इस साल 'किसान टीवी' चैनल भी शुरू होगा। इसके लिए 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है।
क्या है दृष्टिकोण
2014-15 में किसानों को 8 लाख करोड़ रुपए का कृषि ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही समय पर कृषि ऋण लौटाने वालों को 3 प्रतिशत की ब्याज छूट भी इस साल जारी रहेगी। किसानों को खेती से जुड़ी तमाम जानकारियों के लिए एक किसान टेलीविजन की शुरुआत की भी बात की गई है।
क्या है दीर्घकालिक लक्ष्य
ल्ल 5 लाख किसानों को नाबार्ड के जरिये कर्ज दिया जाएगा। इस योजना से किसानों को काफी राहत मिलेगी।
ल्ल कृषि भण्डारण के लिए 500 करोड़ का प्रस्ताव।
किसानों को कृषि कायार्ें के लिए संस्थागत ऋण प्राप्त करना एक प्रमुख समस्या रहती है। ऐसे में वर्ष 2014-15 के लिए कृषि क्षेत्र के लिए 8 लाख करोड़ रुपए का कृषि क्षेत्र ऋण का लक्ष्य कृषि कार्य के लिए संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाने वाला सिद्ध होगा। सस्ता बैंक ऋण सुलभ होने से किसान सूदखोरों के चंगुल से मुक्त होंगे। ये ऋण उनको 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर सुलभ होंगे। उसमें भी समय पर पुनर्भुगतान पर 3 प्रतिशत का अतिरिक्त प्रोत्साहन या छूट मिलेगी। कृषि के लिए 7 प्रतिशत पर ऋण और उसे समय पर लौटाने की दशा में उसमंे 3 प्रतिशत का अतिरिक्त प्रोत्साहन किसानों को वित्तीय राहत देगा। किसानांे के अतिरिक्त, भूमिहीन किसानों की समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए ऐसे किसानों के 5 लाख संयुक्त कृषि समूहों को नाबार्ड के माध्यम मे धन की व्यवस्था एक अच्छी पहल है।
कृषि में घटते निवेश पर नियन्त्रण की दृष्टि से और उस क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश बढ़ाने के लिए सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त सहायता उपलब्ध कराने के लिए 5000 करोड़ रुपए की प्रारम्भिक निधि के साथ नाबार्ड में 'दीर्घकालिक ग्रामीण ऋण निधि' स्थापित करने का प्रस्ताव भी महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। इससे बैंक किसानों को स्थायी विकास हेतु दीर्घावधिक कृषि ऋण उपलब्ध कराने में सक्षम होंगे। देश में ऋण-ग्रस्तता के कारण बड़ी संख्या में किसानों ने विगत वषार्ें में आत्महत्या की है। संस्थागत ऋण के अभाव में ऊंची ब्याज दरों पर गैर सरकारी स्रोतों से लिए अल्पावधि ऋणों के कारण ही ऐसा हुआ है। इस दृष्टि से 'अल्पावधि सहकारी ग्रामीण ऋण पुनर्वित्त निधि' के अन्तर्गत 50,000 करोड़ रुपए के आवंटन से किसानों को उचित ब्याज पर समुचित अल्पावधि ऋण मिल सकेंगे। किसानों के तकनीकी ज्ञान में संवृद्घि और उन्हें आधुनिकतम तकनीकों आदि की समुचित जानकारी प्रदान करने के लिए और साथ ही जैविक कृषि जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी प्रदान करने के लिए किसान टी़ वी. के नाम से 100 करोड़ रुपए के कृषि चैनल की स्थापना भी अत्यन्त उपयोगी सिद्घ होगी।
कृषि उपजों के मूल्यों मंे उतार-चढ़ाव के कारण उनकी उपज का उन्हें उचित दाम नहीं मिल पाता है। इस दृष्टि से कृषि उपज के मूल्यों में अस्थिरता दूर करने के लिए 5 सौ करोड़ रुपए की मूल्य स्थिरीकरण निधि की स्थापना से किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलना संभव हो सकेगा। देश में देशी नस्ल का पशुधन आज विलोपन की ओर बढ़ रहा है। ऐसी दशा में बजट में देशी नस्ल के पशुधन की नस्लों के विकास के लिए 50 करोड़ रुपए की राशि एक अच्छी पहल है। इसे देखते हुए लगता है कि सरकार इस दिशा में एक बड़ी पहल करने का मानस रखती है।
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