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इराक में सुन्नी आतंकवादियों ने बगदाद और मोसुल के आसपास रखे गए उन परमाणु पदार्थों पर कब्जा कर लिया है जिनसे परमाणु हथियार बनाए जाते हैं। यह जानकारी खुद इराक ने संयुक्त राष्ट्र संघ को दी है। संयुक्त राष्ट्र संघ में इराक के राजदूत मोहम्मद अली अल हाकिम ने संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान-की-मून को एक पत्र लिखकर बताया है कि जिहादियों ने मोसुल विश्वविद्याालय में शोध के लिए रखे गए 40 किलोग्राम यूरेनियम को अपने कब्जे में ले लिया है। जबकि एक अन्य खबर के अनुसार बगदाद के उत्तर-पश्चिम स्थित रासायनिक हथियारों के एक भण्डार पर भी जिहादियों ने कब्जा कर लिया है। यदि वास्तव में ऐसा हुआ है तो यह पूरी मानव जाति के लिए बुरी खबर है। ये जिहादी इस्लाम के नाम पर दुनियाभर में अन्य मत-पंथों के लोगों के साथ-साथ मुसलमानों को भी मार रहे हैं। इस समय तो हकीकत यह है कि चाहे इराक हो, सीरिया हो या अफगानिस्तान हर जगह मारने वाले और मरने वाले दोनों मुसलमान हैं। जब ये 'जानवर' अपने हम-मजहबियों को भी नहीं छोड़ रहे हैं, तो दूसरों को क्या छोड़ेंगे? इस हालत में उनके हाथ परमाणु हथियार का पहंुचना दुनिया के लिए कितना बड़ा खतरा है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। इस्लाम के नाम पर ये जिहादी इन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। मजहबी अफीम से मदहोश जिहादी इन हथियारों से खुद का तो विनाश करेंगे ही,पूरी दुनिया को भी विनाश के कगार पर खड़ा कर सकते हैं। दुनिया के शक्तिशाली देश इराक मामले पर हस्तक्षेप करें और जिहादियों को मार भगाएं,यही समय की मांग है।
ऐसी मौत से तो मृत्यु भी डर जाए
इराक में हमजा शहर के पास एक बगीचे से 50 ऐसे शव मिले हैं,जिनके हाथ बंधे हुए हैं और आंखों पर पट्टी बंधी हुई है। सिर और छाती पर गोली के निशान हैं। पता हो कि हमजा शहर शिया-बहुल है। माना जा रहा है कि हमजा में सुन्नी आतंकवादियों ने खोज-खोज कर शियाओं को मारा है। आशंका यह भी है कि अभी यहां और भी शव मिल सकते हैं। शुरू में हमजा में शियाओं और इराकी सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों का कड़ा मुकाबला किया था। बाहरी मदद नहीं मिलने से शियाओं और सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के सामने हथियार डाल दिए थे। इन लोगों को आतंकवादियों ने कई दिनों तक भूखा रखा और अन्त में सबको गोली मार दी गई।
भारत ने दिखाई कूटनीतिक दक्षता
इराक में फंसे अपनों को सुरक्षित भारत वापस लाने में भारत सरकार जो कूटनीतिक दक्षता दिखा रही है,वह काबिलेतारीफ है। इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं काफी सजग रहकर पल-पल की जानकारी लेते रहे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खाड़ी के देशों के दिल्ली स्थित राजदूतों के साथ बैठक की। इसका बड़ा लाभ मिला।
इन देशों के सहयोग से भारतीय बचाव दल के सदस्य इराक में दाखिल हुए और उसका बेहद सुखद परिणाम निकल रहा है। इराक में मुश्किल में फंसे लोग रोजाना भारत आ रहे हैं। ये भारतीय भारत की सरजमीन पर पैर रखते ही सबसे पहले भारत सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं। पिछले दिनों केरल की नर्सें जब कोच्चि हवाई अड्डे पर पहंुचीं तो उन लोगों ने भी भारत सरकार की बड़ी तारीफ की। एक नर्स ने तो यहां तक कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले कुछ वर्षों में पहली बार इतना अच्छा काम किया है। इनके जो रिश्तेदार हवाई अड्डे पर आए थे उन लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को धन्यवाद देने वाली तख्तियां पकड़ रखी थीं। ल्ल
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