गुरु से गुरुतर कोई नहीं
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

गुरु से गुरुतर कोई नहीं

by
Jul 5, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

गुरु पूर्णिमा :शिष्य क्या, दुर्जन तक का कल्याण कर देता है गुरु : मुरारी बापू

दिंनाक: 05 Jul 2014 14:00:33

हमारे लिए हर पूर्णिमा एक उत्सव है। आषाढ़ पूर्णिमा को हम गुरुपूर्णिमा के रूप में मनाते हैं जब मेघ भी रोशनी से भर जाते हैं। गुरु को प्राय: लोग शिक्षक समझ लेते हैं। लेकिन वह शिक्षक से कुछ ज्यादा है। शिक्षक वह है जो हमें किसी एक विषय की शिक्षा देता है, उसमें पारंगत बनाता है। और गुरु हमें जीवन का ज्ञान देता है, जीवन का उद्देश्य बताता है। हम लगन से, मेहनत से शिक्षा हासिल कर सकते हैं, करते ही हैं, लेकिन जब गुरु के पास जाते हैं तो उनसे ज्ञान केवल और केवल समर्पण से ही मिल सकता है। वहां श्रम, कौशल और बुद्धि का अतिशय प्रयोग हमें अपात्र ही बनाएगा। दरअसल शिक्षक एक व्यक्ति है, जबकि गुरु कोई व्यक्ति नहीं बल्कि समष्टि की ऊर्जा व ज्ञान की अभिव्यक्ति है। गुरु एक ही तत्व है, एक ही ऊर्जा है जो अलग-अलग समय पर अलग-अलग रूप धारण कर संसार में हमें यह बताने आती है कि हमारे यहां होने का असल मकसद क्या है, हमारा अस्तित्व क्यों है। गुरु हमें बताता है कि हम संसार को और सुंदर बनाने के लिए आए हैं। वह हममें पूरी मानवता की सेवा, मातृभूमि और संपूर्ण जगत के प्रति प्रेम, सबके प्रति करुणा का भाव भरता है और हमारे भीतर के प्रकाश से, ज्ञान से हमारा परिचय कराता है।

एक प्रकाशित व्यक्तित्व के सान्निध्य में शिष्य तो शिष्य, दुर्जन आ जाए तो उसका तक कल्याण हो जाता है। अंधेरी गुफा में जब मोमबत्ती का प्रकाश होता है तो अंधेरे का नाश नहीं होता, बल्कि अंधेरा स्वयं प्रकाश हो जाता है। उसी तरह सत्पुरुषों के संग में दुर्जनों का नाश नहीं होता, बल्कि वे स्वयं सत्पुरुष बन जाते हैं। मैं कोई गुरु नहीं हूं, आपकी ही तरह पथिक हूं। मेरी यात्रा कुछ ज्यादा हो गई है, इसलिए आप मेरे अनुभवों से कुछ लाभ ले सकते हैं। हम साथ-साथ यात्रा करेंगे। आइए, पहले श्रम और विश्राम को समझते हैं, उसके बाद सत्य की चर्चा करेंगे। ऋषि-मुनियों ने कहा कि बिना श्रम के विश्राम को महसूस नहीं किया जा सकता है। जब थक जाओगे, तभी मूल में जाओगे। आदमी का चिंतन रोज नया होना चाहिए। शास्त्र का रोज नया पट होता है। समय के साथ लोगों को संशोधित होते रहना चाहिए। इस कलिकाल में नौ चीजों से प्रभु की भक्ति की जा सकती है। योग, यज्ञ, जप, तप, व्रत, पूजा, राम नाम सुमिरन, राम नाम गायन और राम नाथ श्रवण। और कोई साधन नहीं। प्रथम छह साधन में श्रम है। कहीं विश्राम नहीं है, पर श्रम के बिना भी विश्राम अधूरा है।
सभी साधन वृक्ष हैं। जब वृक्ष होंगे तो फल अवश्य होंगे। राम का नाम स्मरण करो, स्मृति में रखो, गाने का मन हो तो गाओ और सुनते रहो। कलिकाल में भक्ति का सबसे सरल सुलभ उपाय यही है। आज दुनिया उदासी और घृणा नहीं चाहती। हमें किसी की निंदा या स्पर्धा नहीं, बल्कि अपना कर्म करना चाहिए। किसी की निंदा नहीं करना भी पूजा है। प्रेम योग से परस्पर जुड़े रहें, यही जमाने की मांग है। सत्य, प्रेम व करुणा कभी बदलते नहीं हैं। दुनिया में सबसे अच्छी दवा है खुश रहना। इससे शरीर को अच्छी औषधि और आरोग्यता मिलती है। यह निरोगी होने की निशानी भी है।
प्रसन्नता जिसके साथ रहती है, वह तेज में जीता है। इसलिए साधारण व्यक्ति के लिए प्रसन्नता हासिल करना बड़ा ही मुश्किल होता है, जबकि यह सबकी जागीर है। जब तक विकार है, विश्राम संभव ही नहीं। अविकार की भूमिका विश्राम का स्वरूप या कहें कि विश्राम की पहचान है। प्रेम ही इस भवसागर से पार उतारने वाला एकमात्र उपाय है। प्रेमी बैरागी होता है, जिससे आप प्रेम करते हैं, उस पर न्योछावर हो जाते हैं। त्याग और वैराग्य सिखाना नहीं पड़ता। प्रेम की उपलब्धि ही वैराग्य है। जिन लोगों ने प्रेम किया है, उन्हें वैराग्य लाना नहीं पड़ा। जिन लोगों ने केवल ज्ञान की चर्चा की, उनको वैराग्य ग्रहण करना पड़ा, त्यागी होना पड़ा, वैराग्य के सोपान चढ़ने पड़े। प्रेम में वैराग्य निर्माण करने की शक्ति है। भक्ति का अर्थ है जिसको तुम प्रेम करते हो उसकी इच्छानुकूल रहो, यही भक्ति है।
नौ रसों में निहित है सत्य
सत्य के नौ रस हैं। सत्यमेव जयते है, पर सत्य को जय और विजय के मापदंड पर नहीं रखा जा सकता। सत्य के मार्ग पर विजेता वही बन सकता है जो हारने की क्षमता रखता है। विजेता बनने की लालसा सत्य में बाधक बन सकती है। शांति सत्य का एक और रस है और सत्य शांति में रुचि रखता है, अशांति में नहीं। जिस प्रकार कवि कविता लिखना शुरू करता है, उसे शांति की जरूरत होती है और कविता पढ़ने के बाद भी उसे शांति की अनुभूति होती है। अगर किसी धार्मिक ग्रंथ का स्वाध्याय करते हुए आपकी आंखों में आंसू आ जाएं तो स्वाध्याय करना छोड़ दो क्योंकि आपको उस स्वाध्याय का प्रतिफल मिल गया है।
हम अपना सत्य दूसरों पर थोपने का प्रयास करेंगे तो इससे भयानकता उत्पन्न होती है। अद्भुतता रस भी सत्य का एक रूप है। जो व्यक्ति सत्य मार्ग पर चलता है उसे यह कहकर संबोधित करते हैं कि हमारे बीच विचरण करने वाला। किसी को सबके सामने यह कहना कि तुम बहुत खराब हो, तुम में बुराइयां हैं तो इस सत्य के परिणाम वीभत्स हो सकते हैं। यही वीभत्स रस है। रौद्र रस भी सत्य का रूप है, लेकिन इसे ज्यादा समय तक सहन नहीं किया जा सकता। शब्द रूपी आभूषणों से अलंकृत कर सत्य को उजागर करना श्रृंगार रस है। राम सत्य है, रामायण सत्य है, पर तुलसीदास ने जिस तरह से शब्दों के श्रृंगार से उसे प्रस्तुत किया, वह श्रृंगार रस का उदाहरण है। सत्य के मार्ग पर चलने का साहस ही वीरता है, वही वीर रस है। जिस सत्य के उपासक के सत्य को लोग नहीं पहचानते हैं, वह उसे प्रतिपादित करने की बजाय चुपचाप आंसू बहाता है, यह करुण रस है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies