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इराक में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवांत (आई़एस़आई़एल़) नामक सुन्नी आतंकी संगठन के आतंकियों और सरकार के बीच चल रहे गृहयुद्घ ने पंजाब प्रान्त के सैकड़ों परिवारों की नींद उड़ाकर रख दी है। कारण है कि इराक में कामकाज के लिए गए पंजाब के सैकड़ों लोग गृहयुद्घ में फंसे हुए हैं और उनके परिजन अपने प्रियजनों की चिंता में हर पल हर क्षण घुट-घुट कर मर रहे हैं। सरकार इन नौजवानांे की संख्या 700 के आसपास बताती है,परंतु सामाजिक संगठनों की मानें तो यह संख्या सैकड़ों नहीं हजाारों में है। फिलहाल पंजाब सरकार ने हर जगह जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष बनाकर वहां फंसे नौजवानों की जानकारी जुटाने का भरसक प्रयास कर रही है।
जिला शहीद भगत सिंह नगर के गांव महिंदपुर में इराक से लौटे नवयुवक गगनदीप सिंह पुत्र मक्खन सिंह वहां की जो कहानी बताते हैं उसे सुनकर मन द्रवित हो उठता और बस एक ही चाह रहती है कि कैसे हमारे अपने घर लौट आएं। आपबीती सुनाते गगनदीप कहते हैं कि वहां के सुन्नी आतंकी जगह-जगह नाके लगा कर लोगों से कुरान की आयतें सुनते हैं और अरबी भाषा के शब्दों के अर्थ पूछते हैं और न बताने पर गोलियों से उड़ा देते हैं। कई जगहों पर सुन्नी आतंकी वंदी बनाए गए लोगों का मत-पंथ जानने के लिए उनका खतना तक चेक करते हैं और गलत जानकारी मिलने पर उन्हें फौरन गोली मार देते हैं। मक्खन उन भाग्यशाली 200 भारतीयों मंे से हैं,जिनकी सुरक्षित घर वापसी हुई है,उन्होंने बताया कि 200 के इस समूह में 14 लोग पंजाब के हैं। बलाचौर उप मंडल के गांवों जगतपुर और महिन्दपुर में इराक में तीन और नौजवान फंसे हैं,जिनके परिजन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता में हैं। इसी तहसील के गांव जगतपुर के परमिन्दर कुमार पुत्र जीतराम, जसवीर सिंह पुत्र बख्शीश सिंह एवं जसवीर सिंह पुत्र जरनैल सिंह भी उन युवकों में हैं,जो इराक में जीवन-मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं। इनके परिजनों ने बताया कि 24 जून को उनकी अपने बेटों के साथ अंतिम बार बात हुई थी। परिजन कहते हैं कि उनकी कंपनी उनसे 1040 डालर प्रति व्यक्ति भारत वापस लौटने का खर्चा मांग रही है ताकि टिकटों की व्यवस्था की जा सके, लेकिन गृहयुद्घ के चलते वहां के हालात ऐसे हैं कि अधिकतर बैंक बंद हैं एवं एटीएम मशीनों में पैसे नहीं है। उनके पास जो राशि थी वे खर्च कर चुके हैं और कंपनियों ने भुगतान करना बंद कर दिया है। ऐसे में समस्या है कि वापस आएं तो आएं कैसे?
जिला प्रशासन की तरफ से अपने तौर पर जिले के इराक गए हुए नौजवानों की एकत्रित की गई सूची के मुताबिक अब तक बंगा के 51, नवांशहर के 10 और बलाचौर के तीन नौजवान इराक में रोजी-रोटी के लिए गए हुए हैं तथा इन में से बलाचौर के तीन नौजवानों को छोड़ कर बाकी के सभी नौजवान अपने परिवारों के संपर्क में हैं और सुरक्षित हैं।
जिला गुरदासपुर के कादियां नगर में एक ही मुहल्ले के पांच युवकों सहित छ: लोग इराक में फंसे हुए हैं। मोहल्ला धर्मपुरा के एक परिवार द्वारा इराक में फंसे अपने बेटे के बारे में संगरूर के सांसद भगवन्त मान को इस बाबत लिखित में शिकायत भेजने पर जिला प्रशासन हरकत में आया। प्रशासनिक अधिकारियों ने धर्मपुरा मोहल्ला में रूपलाल के निवास पर जाकर उनका हाल जाना। मोहल्ला धर्मपुरा निवासी रूपलाल के भाई बलविन्द्र पाल ने बताया कि उसका भाई बगदाद के करबला शहर में स्थित मरमरा कम्पनी में कार्यरत है तथा कम्पनी वाले वापस भेजने के लिये 1050 डालर मांग रहे हैं। कृष्ण नगर मोहल्ला से पांच परिवारों के सदस्यों जोगिन्द्रपाल, बचन कौर, अश्विनी, कमला रानी, संतोष कुमारी, अमनजोत कौर, शिल्पा, सुनीता व कृष्णावन्ती ने बताया कि उनके बेटे इन्द्र सिंह, राज कुमार, अश्विनी कुमार, रमेश कुमार, राकेश कुमार इराक की विभिन्न कम्पनियों,जिनमें जब्बे बसरा की ई क्लास, बगदाद की मरमरा, त्रिकट शहर की अलास्ना कम्पनी में फंसे हुये हैं। परिजनों ने बताया कि उनके बेटों ने फोन पर उन्हें बताया कि कम्पनियों के अधिकारी उन्हें ईश्वर के भरोसे छोड़कर खुद भाग चुके हैं तथा हम वहां पर पड़े हुये थोड़े से अनाज से अपना गुजर- बसर कर रहे हेैं। उन्होंने यह भी बताया कि उपरोक्त सभी युवक 3 माह से लेकर 1 वर्ष पूर्व से गये हुए हैं। उक्त परिजनों ने केन्द्र सरकार एवं प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनके बेटों को जल्द से जल्द सुरक्षित भारत वापस लाया जाय।
राजपुरा तहसील के गांव मंडवाल निवासी युवक हरदीप सिंह पुत्र स्व. गुरमेल सिंह, गांव भेडवाल निवासी कुलदीप सिंह पुत्र स्व. गुरमीत सिंह, हरदीप सिंह पुत्र साधा सिंह, जगदीप सिंह पुत्र बलकार सिंह के परिजनों का कहना है कि उन्हें पैसों की चिन्ता नहीं है, उन्हें तो अपने बच्चे सही सलामत अपनी आंखों के सामने नजर आने चाहिए।
गांव मंडवाल निवासी निर्मला देवी ने नम आंखों से बताया कि तकरीबन दो दशक पहले उनके पति गुरमेल सिंह के बाद उसने अपनी सारी जिंदगी दो बेटों कुलदीप सिंह व हरदीप सिंह को पालन-पोसने में गुजारी है। उनका एक बेटा कुलदीप सिंह (गोल्डी) जो पलंबर का काम करता है,जबकि दूसरा बेटा हरदीप सिंह तकरीबन चार वर्ष पहले इराक की बैरून नामक कंपनी में काम के वास्ते गया था। इराक में गृह युद्घ से पहले तो सब ठीक-ठाक था, लेकिन अब उसका फोन आता है तो वह घबराहट में बात भी पूरी नहीं कर पाता और उसका फोन कट जाता है। निर्मला देवी ने कहा कि उसके बेटे ने,जो वहां के दृश्यों को बताया उसे सुनकर दिल बैठने लगता है। सुन्नी आतंकी दूसरे समुदाय से कम और शियाओं से अधिक दुर्व्यवहार कर रहे हैं। सरेआम शिया परिवारों की लड़कियों का अपहरण किया जा रहा है और उनसे दुराचार हो रहे हैं। आतंकी खाना बनाने से लेकर अपना हर छोटा-मोटा काम बंदी बनाए गए लोगों से करवाते हैं, शायद इसी कारण वे उनकी हत्या नहीं कर रहे हैं।
इसी प्रकार गांव भेडवाल निवासी कुलदीप सिंह पुत्र स्व. गुरमीत सिंह की माता जसविन्द्र कौर व भाई बलजीत सिंह ने बताया कि कुलदीप सिंह अपने गांव के दो अन्य युवकों हरदीप सिंह पुत्र साधा सिंह,जगदीप सिंह पुत्र बलकार सिंह के साथ दिसम्बर 2013 इराक की कंपनी जीएमएस में नौकरी के लिए गए थे। जगदीप की पत्नी हरविन्द्र कौर व कुलदीप की पत्नी कैलाश कौर ने बताया कि शनिवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे उन्हें इराक के एक नम्बर से फोन आया कि कंपनी वाले भारत आने के लिए उनसे प्रति व्यक्ति एक हजार डालर की मांग कर रहे हैं तथा वे इस राशि के बदले पासपोर्ट, टिकट देने व उन्हें हवाई अड्डे के नजदीक छोड़ने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि इराक में जो मौजूदा हालात हैं अगर वह बिना सुरक्षा के हवाई अड्डे के पास पहुंच भी गए तो हमें वहां का कोई भी आतंकी गुट अगवा भी कर सकता है और मार भी सकता है। वहीं लुधियाना जिले के गंाव रौड में इराक के शहर बसरा में फंसे मंगल सिंह के पिता प्रीतम सिंह और अन्य पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि गांव के करीब 20 युवक इस समय इराक में फंसे हुए हैं और सभी सुरक्षित हंै। कई युवक जल्दी ही टिकट लेकर गांव आने के लिए तैयार बैठे हैं।
उक्त युवकों के परिजनों ने भारत सरकार से मांग की है कि वह अपने बेटों की सही सलामत वापसी के लिए एक-एक हजार डालर देने को भी तैयार हैं उन्हें तो बस अपने जिगर के टुकड़ों को सही सलामत अपनी आंखों के सामने देखने की तमन्ना है। -राकेश सैन
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