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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री रामप्रकाश धीर का 20 जून को यंगून (म्यांमार) में निधन हो गया। श्री धीर म्यांमार में संघ के विश्व विभाग का कार्य देखते थे। अस्वस्थ महसूस करने पर 88 वर्षीय श्री धीर को 19 जून को यंगून के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। किन्तु चिकित्सकों का अथक प्रयास भी उन्हें नहीं बचा पाया। श्री धीर का जन्म म्यांमार के मोनीवा में 16 नवम्बर,1926 को हुआ था। उनके पिताजी श्री नन्दलाल जानेमाने व्यवसायी थे। 1942 में श्री धीर नौवीं कक्षा के छात्र थे। उसी समय वे अपने परिवार के साथ भारत आ गए। इसके बाद की पढ़ाई उन्होंने यहीं की। 1947 में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्कूली पढ़ाई के दौरान ही 1942 में वे संघ के सम्पर्क में आए। संघ कार्यों से इतने प्रभावित हुए कि पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रचारक बन गए। संघ कार्य के लिए वे 1948 में कुछ समय के लिए बर्मा (म्यांमार) चले गए। 1956 में डॉ. मंगल सेन के कहने पर वे पुन: बर्मा गए। वहां उन्होंने सनातन धर्म स्वयंसेवक संघ और भारतीय स्वयंसेवक संघ के लिए कार्य किया। वहां उन्होंने युवाओं को संघ से जोड़ने और शाखा के संजाल को बढ़ाने में दिन-रात एक कर दिया था। इसी का सुपरिणाम है कि आज म्यांमार में संघ की गतिविधियां काफी अच्छी हैं। इन दिनों वे म्यांमार में संघ कार्य का इतिहास लिखने में व्यस्त थे। उनके जाने से उस काम में अब थोड़ा अवरोध आ गया है। पाञ्चजन्य परिवार की ओर से स्व. धीर को भावभीनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित है। -प्रतिनिधि
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