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मलेशिया की संघीय अदालत ने 23 जून को एक मामले का निपटारा करते हुए कहा है कि 'अल्लाह' शब्द का प्रयोग मुसलमानों के अलावा और कोई नहीं कर सकता है। इसके साथ ही अदालत ने मलेशिया सरकार के उस फैसले को सही ठहराया है,जिसमें गैर-मुसलमानों द्वारा अल्लाह शब्द इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाया गया था। पिछले दिनों मलेशिया के रोमन कैथोलिक चर्च ने शीर्ष अदालत से गुजारिश की थी कि उसके प्रकाशन में अल्लाह लिखने की इजाजत दी जाए, लेकिन अदालत ने उसकी बात नहीं मानी और याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले पर मलेशिया के एक अखबार 'द हेराल्ड' के सम्पादक रेव लारेन्स एन्ड्रयू ने कहा है कि अदालत के इस फैसले से हम निराश हैं। इस निर्णय को देते समय मलेशिया के अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों पर गौर नहीं किया गया। अल्पसंख्यकों को यह महसूस होने लगा है कि हमारे पांथिक अधिकारों में कटौती की जाने लगी है। उल्लेखनीय है कि मलेशिया में 2007 से गैर-मुस्लिमों पर यह प्रतिबंध है कि वे अल्लाह शब्द का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। इस प्रतिबंध को अदालत में सबसे पहले रेव लारेन्स एन्ड्रयू ने ही चुनौती दी थी। निचली अदालत ने उनके पक्ष में निर्णय दिया था, लेकिन अपीलीय अदालत ने पिछले साल उस निर्णय को पलट दिया था। इसी आधार पर मलेशिया सरकार ने आदेश दिया था कि अल्लाह शब्द का इस्तेमाल सिर्फ मुसलमान कर सकते हैं। इसके बाद यह मामला शीर्ष अदालत तक पहंुचा था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मलय भाषा में 'गॉड' शब्द के स्थान पर 'अल्लाह' बोला जाता है। इसलिए अल्पसंख्यकों को भी इस शब्द को इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाए,लेकिन मलेशिया सरकार इस तर्क से सहमत नहीं है। सरकार ने अदालत से कहा कि गैर-मुसलमानों द्वारा अल्लाह शब्द के इस्तेमाल से मुसलमानों के बीच भ्रम फैलता है। इससे वे आसानी से मतान्तरित हो सकते हैं। सरकार के इस तर्क से अदालत भी संतुष्ट हुई और उसने यह निर्णय सुना दिया। ल्ल
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