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लहरों पर पराक्रम की पताका विक्रमादित्य

by
Jun 21, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 21 Jun 2014 17:08:53

15 हजार करोड़ रुपये की लागत से रूस से खरीदे गए युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य के भारतीय नौसेना में शामिल होने का सपना आखिरकार साकार हो गया । सामरिक दृष्टि से इसे काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अमरीका, इटली के बाद भारत ऐसा तीसरा देश बन गया है जिसके जंगी बेडे़ में दो युद्धपोत हैं। विक्रमादित्य के भारतीय नौसेना में शामिल होने से न केवल अमरीका, बल्कि चीन सहित दूसरे कई देशों की निगाहें अब भारत पर टकटकी लगाए हुए हैं। इससे न केवल हमारी समुद्री सीमाएं सुरक्षित हो गईं हैं, बल्कि दुश्मन देशों को भारत की असीमित शक्ति का अंदाजा हो गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 14 जून को गोवा पहंुचकर व्रिकमादित्य युद्धपोत क ो भारतीय नौसेना को समर्पित कर दिया। इस अवसर पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसमें 10 जंगी जहाजों द्वारा उन्हें सलामी भी दी गई। हालांकि चक्रवात और तेज बारिश के कारण युद्धपोत पर लड़ाकू विमानों की लैंडिंग व उड़ान का संचालन नहीं किया जा सका। हाईटेक तकनीक से सुसज्जित यह युद्धपोत देश के लिए अभेद रक्षा कवच का कार्य करेगा। खासकर चीन की आक्रामक नीति पर इससे लगाम जरूर लग सकेगी। इससे न केवल चीन, बल्कि पाकिस्तान, श्रीलंका और भारतीय उपमहाद्वीप में भी देश की स्थिति और मजबूत बनेगी।
भारत के पास इससे पहले आईएनएस विराट युद्धपोत था, लेकिन अब दो युद्धपोत होने से भारत ने चीन को भी पछाड़ दिया है। इस क्रम में भारत चीन से आगे निकल गया है। प्रधानमंत्री ने विक्रमादित्य नौसेना को सौंपे जाने के बाद मिग- 29के लड़ाकू विमान में बैठकर भी उसके बारे में जानकारी ली। इस अवसर पर उन्होंने नौसैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में वन रैंक वन पेंशन योजना को लागू किया जाएगा, वार मेमोरियल बनाया जाएगा और रक्षा के क्षेत्र में ताकत बढ़ाकर छोटे देशों को हथियार व अन्य युद्ध सामग्री निर्यात भी की जाएगी। मोदी ने कहा कि देश की आजादी के 60 दशक बाद भी हम युद्ध सामग्री के लिए विदेशों पर निर्भर हैं जिससे हमें जल्द ही बाहर निकलना होगा।
विक्रमादित्य के नौसेना में शामिल होने को उन्होंने स्वर्णिम उपलब्धि बताते हुए कहा कि भारत न तो किसी को आंख दिखाकर बात करेगा और न आंख झुकाकर। भारत सभी देशों से आंख से आंख मिलाकर बात करेगा। साथ ही कहा कि आर्थिक प्रगति के लिए नौसेना की मजबूती काफी अहम है। उन्होंने नौसेना और तटीय सुरक्षा को भारत की अहम जरूरत भी बताया। नौसेना में पहले से शामिल आईएनएस विराट ने 1971 भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान के गाजी को डुबाया था। – राहुल शर्मा

विशेषताएं

ल्ल सागर में चलता-फिरता छोटा शहर सा प्रतीत होता है
ल्ल 20 मंजिल वाले इस युद्धपोत में 60 मीटर ऊंचे 22 डेक हैं
ल्ल 29 मिग विमान और 10 हेलीकॉप्टर रखने की क्षमता, लड़ाकू विमानों की लैंडिंग में सहायक
ल्ल 54 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार
ल्ल 45 हजार टन है वजन
ल्ल 198 मीटर लंबर और 24 मीटर चौड़ा रनवे
ल्ल 1600 सैनिकों के रहने की व्यवस्था, 2500 कंपार्टमेंट हैं
ल्ल एक बार पूरा ईंधन भरने के बाद 45 दिनों तक समुद्र में रह सकता है
ल्ल किसी भी मौसम में एयरक्राफ्ट को दिशा-निर्देश देने में सक्षम अत्याधुनिक नेवीगेशन तंत्र

महत्वपूर्ण बातें
ल्ल इस युद्धपोत का पहला नाम गोर्शकोव था
ल्ल वर्ष 2004 में इसे खरीदने का प्रस्ताव रखा गया था, तब इसकी कीमत 12 हजार करोड़ रुपये थी
ल्ल अगले 15 वर्षों तक भारतीय नौसेना को अपनी सेवा देगा विक्रमादित्य

 

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