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-राधाकृष्ण राव-
पाकिस्तान के लिए 9 जून का दिन काला दिन साबित हुआ। इस असफल इस्लामी मुल्क के कराची स्थित सबसे बड़े जिन्ना हवाई अड्डे पर सशस्त्र आतंकवादियों ने बेहद घातक हमला बोल दिया। कराची हवाई अड्डे पर इस हिंसक हमले ने मुल्क के राजनीतिक और सैन्य अधिष्ठान को सकते में डाल दिया और जबरदस्त मानसिक चोट पहुंचाई। इस हमले में 10 आतंकवादियों सहित 37 लोगों की मौत ने पाकिस्तान को एक बार फिर से दुनिया की आंखों में ला दिया। तमाम तरह के जिहादी गुटों को पोस कर भारत और अफगानिस्तान सहित अन्य पड़ोसी देशों में 'अस्थिर हालात' पैदा करने के लिए धकेलने वाले पाकिस्तान को अब धीरे-धीरे समझ आने लगा है कि अब अपनी करनी की कीमत चुकाने का वक्त आ गया है। यह सच है कि पाकिस्तान में कुछ समझदार लोग लंबे समय से उस मुल्क को पड़ोसियों से 'हिसाब चुकता' करने के लिए जिहादी गुटों को उपजाने की नीति के विरुद्ध आगाह करते आ रहे थे। वहां की सड़क पर चलता आम आदमी अब यह गंभीरता से सोचने को मजबूर हो गया है कि पाकिस्तान जिस घातक आतंकवाद के साये में जी रहा है वह धीरे-धीरे जिन्ना के सपनों पर खड़े हुए इस मुल्क को तार-तार कर सकता है।
कराची हवाई अड्डे पर हमले ने यह साफ तौर पर दिखा दिया है कि पाकिस्तान में कुछ भी उन जिहादियों की पहुंच से बाहर नहीं है, जिन्होंने 2011 में कराची के बेहद सुरक्षित मेहरान हवाई अड्डे पर हमला करके अपने खूनी हुनर का प्रदर्शन किया था। कुछ सुरक्षाकर्मियों सहित करीब 17 लोग उस घातक हमले में मारे गए थे,जब लगभग 10 आतंकवादी विमानतल में दाखिल होने में कामयाब हो गए थे। उस हमले की जिम्मेदारी तहरीके तालिबान ने ली थी,जो बताते हैं कि अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन की मौत का बदला लेने के लिए किया गया था। उससे पहले वर्ष 2009 में तहरीके तालिबान से जुडे़ 10 आतंकवादियों ने रावलपिंडी में सेना मुख्यालय में हमला करके 6 जवानों की हत्या कर दी थी। सैन्य वर्दी में आए आतंकवादियों को हमला बोलने में खास परेशानी नहीं आई थी। 2012 में आठ आतंकवादी और एक सुरक्षाकर्मी कामरा विमानन अड्डे पर हुए जबरदस्त आतंकी हमले में मारे गए थे। उस हमले के लिए भी तहरीक ने जिम्मेदारी ली थी।
इसमें हैरानी की बात नहीं है कि कराची हवाई अड्डे पर हुए हमले की जिम्मेदारी लेने वाले प्रतिबंधित तहरीके तालिबान ने जाहिर है अमरीकी ड्रोन हमले में हकीमुल्ला मसूद की हत्या का बदला लेने के लिए यह हमला किया। पाकिस्तानी सेना को आतंकवादियों से हवाई अड्डा मुक्त कराने के लिए 13 घंटों की जबरदस्त मुठभेड़ का सामना करना पड़ा था। माना जाता है,उनमें से ज्यादातर आतंकवादी उज्बेकी इस्लामी कट्टरवादी थे। उनका मकसद यात्री विमान हाइजैक करके जेल में बंद आतंकवादियों को छुड़ाने का था। जाहिर है कि आतंकवादियों ने लंबे चौड़े हवाई अड्डे के नाजुक ठिकानों का फायदा उठाया था। आतंकवादियों की मंशा कराची के अहम ठिकानों पर चोट करके पाकिस्तान को पंगु बना देने की थी। सब जानते हैं कि पाकिस्तान के खजाने में कराची एक बड़ा हिस्सा देता है। वहीं तहरीक के प्रवक्ता ने कहा, 'हमारा मकसद जहाजों को हाईजैक करके और सरकारी संस्थानों को तबाह करके सरकार को नुकसान पहुंचाना था। यह तो बस एक उदाहरण था कि हम क्या कर सकते हैं। आगे-आगे देखो और क्या होगा। सरकार को इससे भी घातक हमलों के लिए तैयार रहना चाहिए।'
उस भीषण हमले को कुचलकर और कराची हवाई अड्डे को सामान्य गतिविधियों के लिए खोलकर 9 जून को पाकिस्तान के सुरक्षाबलों ने राहत की सांस ली ही थी कि 10 जून को एक बार फिर आतंकवादियों ने दूसरा हमला बोल दिया। इस बार उनका निशाना था पास ही बने हवाई अड्डा का सुरक्षाबल का शिविर। वहां सुरक्षाकर्मियों का एक बड़ा जत्था पहुंचने की वजह से सुरक्षित भाग निकलने में कामयाब हो गया। कुछ समय के लिए शिविर के पास रिहायशी कालोनियों में अफरा-तफरी मच गई थी। कट्टर देवबंदी और वहावी सोच से ऑक्सीजन पाने वाले तहरीक से जुड़े गुट पूरे पाकिस्तान में शियाओं और सूफियों पर निशाना साधने में जुटे हैं। वस्तुत: 8 जून को कराची हवाई अड्डे पर भीषण गोलीबारी जारी रहने के बावजूद, ईरान से लौट रहे कम से कम 25 शिया तीर्थयात्रियों को आतंकवादियों ने बलूचिस्तान सूबे के तफतान नामक स्थान पर हमला करके मौत के घाट उतार दिया। वहां पर तालिबानी सोच से जुड़े आतंकवादियों के गुट करीब एक दशक से जातीय हिंसा भड़काने में जुटे हुए हैं।
कराची के लंबे चौड़े शहरीकरण विस्तार में तहरीके तालिबान ने गुपचुप कारगर तरीके से अपनी जड़ें जमा ली हैं। यह पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों से बड़ी तादाद में पख्तूनों के आने की ही अगली कड़ी है। आज पख्तून,जो तालिबान के मकसद के हमदर्द माने जाते हैं, उस कराची में सबसे बड़ा नस्लीय गुट बनकर उभरा है, जो कभी उर्दू भाषी मुहाजिरों से भरापूरा था। कराची में अलग-अलग ठिकानों पर तहरीक के आतंकी अपने प्रतिद्वंद्वियों और दुश्मन माने जाने वालों को ठिकाने लगाने में जुटे हुए हैं। पाकिस्तान के लिए संदेश साफ है-जब तक वहां जिहादियों को कुचलने का भौतिक और मानसिक तौर पर पुख्ता राजनैतिक संकल्प नहीं दिखेगा,तब तक मुल्क के टुकड़े-टुकड़े होने को कोई नहीं टाल सकता। बेशक,जिहादी पाकिस्तान के खात्मे की वजह बन सकते हैं। ल्ल
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