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बंगलादेश से आई एक खबर के अनुसार 5 जून को मेमनसिंह जिले के चुरखई में एक काली मन्दिर पर मजहबी उन्मादियों ने हमला किया और दो मूर्तियों को खण्डित कर दिया। पुजारी निरंजन सूत्रधार से भी मारपीट की गई। इस मामले की प्रथम सूचना रपट (एफ.आई.आर.) 7 जून को मेमनसिंह मॉडल थाने में दर्ज कराई गई है। इसमें अब्दुल जलील, रज्जाक, फारुख, संधू खातून, यास्मीन, रिहाना बेगम और हुसने आरा को आरोपी बनाया गया है। बंगलादेशी दण्ड संहिता की धारा-143/147/427/323/ 295/427 और 506 के तहत दर्ज इस मामले में कहा गया है कि आरोपियों ने अवैधानिक रूप से मन्दिर में प्रवेश किया और तोड़फोड़ की। इनमें से किसी भी अपराधी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
घटना के बारे में कहा जाता है कि दो बच्चों (असद और साधना) के बीच खेल-खेल में हुई लड़ाई के बाद दोनों के अभिभावक आपस में लड़ पड़े। बाद में इसी घटना ने साम्प्रदायिक रूप ले लिया। बहुसंख्यक मुसलमानों के अनेक गुट अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हमले के लिए निकल पड़े। इसी दौरान एक गुट ने काली मन्दिर पर हमला कर दिया। 'बंगलादेश मॉइनरिटी वॉच' ने मांग की है कि दोषियों को तुरन्त गिरफ्तार कर दण्डित किया जाए।
बंगलादेश में हिन्दुओं और उनके मन्दिरों पर हमले की घटनाएं बराबर होती रहती हैं। 27 फरवरी,2014 को भी बथनिया चाला में एक दुर्गा मन्दिर पर हमला करके देव प्रतिमाओं को खण्डित कर दिया गया था। आएदिन हिन्दू लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार तो आम बात है। दोषियों को पहले पकड़ा नहीं जाता है। जब हिन्दू सड़कों पर उतरते हैं और देश-विदेश में बंगलादेश सरकार की आलोचना होने लगती है तब अपराधियों को पकड़ा जाता है। दुर्भाग्यवश उन अपराधियों पर ऐसी धाराएं लगाई जाती हैं कि उन्हें तुरन्त जमानत पर छोड़ दिया जाता है। जमानत पर छूटे अपराधी प्रतिशोध की भावना से हिन्दुओं पर और अधिक हमले करते हैं। हिन्दुओं को खुलेआम धमकाते हैं। इस वजह से अनेक प्रताडि़त हिन्दू पुलिस से शिकायत भी नहीं करते हैं। पाकिस्तान में भी हिन्दुओं के साथ इसी तरह का व्यवहार होता है। इन घटनाओं के कारण बंगलादेश और पाकिस्तान के हिन्दू भारत आने के लिए तड़पते रहते हैं। ल्ल
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