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संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) गुजरात की ग्रामीण छात्राओं के बीच काम करने में जुटा है। उसके कार्यकर्ता वहां के ग्रामीण स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ने व सामाजिक बुराइयों को हटाने के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। वहां के कई जिलों,जैसे- छोटा उदयपुर, बनासकाठा, पाटन आदि में तहसील स्तर पर स्कूली छात्राओं के गु्रप बनाए गए हैं। हर ग्रुप का प्रमुख एक छात्रा को बनाया गया है। ये छात्राएं गांव-गांव जाकर लोगों को बाल विवाह व दहेज जैसी कुरीतियों के बारे में जागरूक करती हैं। करीब एक हजार छात्राएं इनके साथ जुड़ी हुई हैं। पिछले दिनों यूनिसेफ ने इन्हीं छात्राओं के एक समूह को आईपीएल की दिल्ली डेयर डेविल्स टीम के खिलाडि़यों से मिलवाया। छात्राओं ने अमदाबाद के होटल मेरियॉट में खिलाडि़यों के साथ मुलाकात की। छात्राओं ने खिलाडि़यों के साथ मिलकर अपने अनुभव बांटे और गांव-गांव जाकर अपने काम करने के तरीकों को उनके साथ साझा किया। खिलाडि़यों ने भी छात्राओं की हौसला अफजाई की और यूनिसेफ के इस प्रयास की सराहना की। गुजरात के छोटा उदयपुर जिले की संगखेड़ा तहसील की रहने वाली ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा चारु ने बताया कि यूनिसेफ के कार्यकर्ताओं ने उन्हें प्रशिक्षण दिया है। वे गांव-गांव जाकर लोगों को बाल विवाह से होने वाली दिक्कतों व लड़कियों की शिक्षा के महत्व के बारे में बताती हैं। वे गांव वालों को समझाने लिए विडियो फिल्म भी दिखाती हैं। यदि कोई उनकी बात नहीं सुनता तो गांव के प्रमुख लोगों से बात कर उनके सामने अपनी बात रखती हैं। उनकी तरफ से पूरा प्रयास रहता है कि लोग उनकी बातों को सुनें और समझें। यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक भारत में करीब 20 मिलियन लड़कियां 14 से 17 साल की उम्र में स्कूल छोड़ देती हैं। इनमें से करीब 42 प्रतिशत लड़कियों की कम उम्र में ही शादी कर दी जाती है, जबकि करीब 56 प्रतिशत लड़कियां एनीमिया और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से घिरी रहती हैं। इन सब चीजों का देखते हुए यूनिसेफ ने दिल्ली डेयर डेविल के साथ मिलकर 'डेयर टू केयर' अभियान चलाया है। इसका उद्देश्य लोगों को बाल मजदूरी और बाल विवाह रोकने व युवा लड़कियों को शिक्षित करने के संबंध में जागरूक करना है, ताकि हमारे देश में युवा होंती लड़कियां सही शिक्षा पाकर सबल बन सकें और अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ सकें।
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