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कोलकाता के विद्या मन्दिर सभागार में 31 मई को महाराणा प्रताप की 435वीं जयन्ती मनाई गई। कोलकाता की प्रसिद्ध सामाजिक संस्था राजस्थान परिषद् और राजस्थान पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस समारोह में बड़ी संख्या में आम लोगों ने भाग लिया। समारोह को सम्बोधित करते हुए समाजसेवी श्री जुगलकिशोर जैथलिया ने कहा कि महाराणा प्रताप ऐसे महापुरुषों की मालिका कहे जा सकते हैं,जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में अकेले जूझते हुए कालचक्र को मोड़कर स्वाधीनता की पताका को झुकने नहीं दिया। समारोह की अध्यक्षता श्री सीताराम शर्मा ने की। इस अवसर पर कोलकाता के अनेक सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे। प्रतिनिधि
नोएडा में नारद जयन्ती
नोएडा के सेक्टर 62 स्थित 'प्रेरणा मीडिया एवं शोध संस्थान' में 8 जून को नारद जयन्ती मनाई गई। समारोह के मुख्य वक्ता और अंग्रेजी साप्ताहिक 'आर्गेनाइजर' के सम्पादक श्री प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि नारद जी से हमें प्रेरणा मिलती है कि सूचना को हमें किस रूप में समाज के समक्ष प्रस्तुत करना है। उन्होंने मानव समाज को सदैव सही रास्ता दिखाया। समारोह के अध्यक्ष और माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, नोएडा परिसर के निदेशक श्री जगदीश उपासने ने कहा कि मीडिया समाज को विचार देने का काम करता है और भारत का मीडिया विश्व मीडिया से कमजोर नहीं है। आवश्यकता है पत्रकारों को अपनी ताकत पहचानने की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक श्री सूर्यप्रकाश टांक का भी मार्गदर्शन मिला। इस अवसर पर जनसत्ता के मजोज मिश्र,नवभारत टाइम्स के विनोद शर्मा,पी 7 न्यूज चैनल के हर्षवर्द्धन,जी न्यूज के रवि त्रिपाठी,दैनिक जागरण के चन्दन सिंह और सुदर्शन टी.वी. के प्रमोद कुमार पाण्डेय को सम्मानित किया गया। ल्ल प्रतिनिधि
नोएडा के सेक्टर 62 स्थित 'प्रेरणा मीडिया एवं शोध संस्थान' में 8 जून को नारद जयन्ती मनाई गई। समारोह के मुख्य वक्ता और अंग्रेजी साप्ताहिक 'आर्गेनाइजर' के सम्पादक श्री प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि नारद जी से हमें प्रेरणा मिलती है कि सूचना को हमें किस रूप में समाज के समक्ष प्रस्तुत करना है। उन्होंने मानव समाज को सदैव सही रास्ता दिखाया। समारोह के अध्यक्ष और माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, नोएडा परिसर के निदेशक श्री जगदीश उपासने ने कहा कि मीडिया समाज को विचार देने का काम करता है और भारत का मीडिया विश्व मीडिया से कमजोर नहीं है। आवश्यकता है पत्रकारों को अपनी ताकत पहचानने की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक श्री सूर्यप्रकाश टांक का भी मार्गदर्शन मिला। इस अवसर पर जनसत्ता के मजोज मिश्र,नवभारत टाइम्स के विनोद शर्मा,पी 7 न्यूज चैनल के हर्षवर्द्धन,जी न्यूज के रवि त्रिपाठी,दैनिक जागरण के चन्दन सिंह और सुदर्शन टी.वी. के प्रमोद कुमार पाण्डेय को सम्मानित किया गया। ल्ल प्रतिनिधि
नई दिल्ली स्थित अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् के मुख्यालय 'प्रवासी भवन' में 29 मई को केन्या के दो सांसदों ने परिषद् के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से भेंट की। केन्या के सत्तारूढ़ गठबंधन 'जुबिला' के ये दो सांसद थे-शकील सबीर और रहीम डॉन। ये दोनों भारतीय मूल के हैं और ओरेंज डेमोक्रेटिक मूवमेन्ट पार्टी के सांसद हैं। इन दोनों सांसदों और परिषद् के कार्यकर्ताओं के बीच अनेक विषयों पर बड़ी ही सार्थक चर्चा हुई। चर्चा में इन दोनों सांसदों ने बताया कि केन्या के लोग भारत की इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ई.वी.एम.) से बड़े प्रभावित हैं। यह भी बताया कि केन्या में भारतीय मूल के लगभग 12 लाख लोग रहते हैं। ये लोग केन्या की प्रगति के लिए प्राय: हर क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। भारतीय मूल के कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी चौथी पीढ़ी केन्या में रह रही है। इन सांसदों ने यह भी कहा कि भारत का एक व्यापारिक प्रतिनिधिमण्डल केन्या का दौरा करे और इस सम्बंध में संभावनाएं तलाशे। उद्योग, शिक्षा आदि के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। इन्होंने यह भी मांग की कि भारत सरकार भारतीय मूल के लोगों के लिए 'पी.आई.ओ.कार्ड' की योजना लाए,जिसमें आवाजाही के नियमों को सरल किया जाए। बैठक के अन्त में विजय जौली ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया। ल्ल प्रतिनिधि
अरनमुला हवाई अड्डा योजना रद्द
नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) की दक्षिणी इकाई ने 29 मई को केरल में एक विवादित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की परियोजना को दी गई पर्यावरणीय मंजूरी रद्द कर दी है। पथनमथिट्टा जिले के अरनमुला में इस परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा था। इसे रद्द करवाने में हिंदू ऐक्य वेदी के राज्य महासचिव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री कुम्मानम राजशेखरन का अप्रतिम योगदान रहा है। पर्यावरण की रक्षा में उनके प्रयास को जीत मिली है। अरनमुला परियोजना से संबंधित लड़ाई में वे दो साल से जुड़े हुए थे। वे अरनमुला गांव के पर्यावरण एवं सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि पर्यावरणीय संस्तुति समिति की अनुशंसा पर केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में 2,000 करोड़ रुपए की लागत वाली इस परियोजना को मंजूरी दी थी। मंत्रालय ने राज्य की स्थानीय समितियों एवं संगठनों के घोर विरोध के बावजूद इस परियोजना को मंजूरी दी थी।
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