|
नई दिल्ली में झण्डेवाला स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय केशवकुंज में 7 जून को तेरापंथ समाज के मुख्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का शुभागमन हुआ। उनके साथ तेरापंथ समाज के अनेक आचार्य और कार्यकर्ता भी थे। स्वयंसेवकों ने महाश्रमण जी का हार्दिक स्वागत किया। इसके बाद महाश्रमण जी ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए संघ के अनुशासन और सुव्यवस्था जैसे गुणों की सराहना की और पंथ के कार्यकर्ताओं से कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए इन गुणों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तेरापंथ से पुराना सम्बन्ध है। पंथ के आचार्य श्री महासिद्ध जी और स्वर्गीय सुदर्शन जी के बीच काफी सम्पर्क और संवाद था। अभी भी सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत जी से मिलना होता रहता हैं। आचार्यश्री ने कार्यकर्ताओं के लिए सात सूत्र बताए। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता में सबसे पहला गुण सेवाभाव का होना चाहिए। सहिष्णुता को दूसरा अनिवार्य गुण बताते हुए जैन मुनि ने कहा कि कार्यकर्ता में कठिनाइयों को झेलने की क्षमता होनी चाहिए। कार्यकर्ता में मैत्री भावना को उन्होंने तीसरा गुण बताया। चौथा सूत्र है कार्यकर्ता में ईमानदारी होनी चाहिए। पांचवां सूत्र है कार्यकौशल। कार्यकर्ता को अपनी कुशलता का विकास करना चाहिए। छठा सूत्र है विवेक सम्पन्नता। कार्यकर्ता विवेकशील हो और अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक हो। सातवां गुण अनुशासनबद्धता है। अनुशासन कार्यकर्ता के लिए अनिवार्य है। आचार्यश्री का अभिनंदन करते हुए उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि महाश्रमण जी के पदार्पण से केशवकुंज परिसर में व्याप्त कर्म ऊर्जा और सामाजिक ऊर्जा में आध्यात्मिक ऊर्जा का मिलन हुआ है। इससे संघ के कार्यकर्ताओं को काम करने की अभिनव प्रेरणा मिलेगी। साथ ही, दिशा और दृष्टि भी मिलेगी। इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ