पाञ्चजन्य के पन्नों से
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कश्मीर में जनमत संग्रह अनुचित
नेहरू- अली चर्चा का प्रमुख विषय कश्मीर समस्या थी। अली जनमत संग्रह का आग्रह कर रहे हैं। पं. नेहरू को उक्त विषय पर चर्चा में सतर्क एवं सावधान करने के लिए जनसंघ के महामंत्री पं. दीनदयाल जी ने एक स्मरण पत्र प्रेषित किया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री मुहम्मद अली के साथ वार्ता,नैकोवाल की घटना के पश्चात अत्यंत दु:खान्त वातावरण में हो रही है। भारत के अप्राकृतिक विभाजन से उपजी समस्याओं के विषय में समझौता-वार्ता का यह पहला अवसर नहीं है। कश्मीर,निष्कांत संपत्ति तथा पूर्वी बंगाल आदि के विषय में पहले भी समझौते हुए हैं। परन्तु पाकिस्तान ने उनका उपयोग केवल अधिक मांग करने के लिए ही किया है। पूर्वी बंगाल के हिंदुओं के सम्बन्ध में स्वर्गीय पाक प्रधानमंत्री श्री लियाकत अली के साथ जो समझौता हुआ था और जिसके विरोध स्वरूप स्वर्गीय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया था उसका पालन पाकिस्तान ने किस भांति किया है उसका उदाहरण पूर्वी बंगाल के हिन्दुओं का सतत विशाल निष्कासन है। 1953 में भी श्री मुहम्मद अली से ही समझौता हुआ था। परंतु उसकी अवहेलना करते हुए पाकिस्तान ने अमरीका से सैनिक संधि की है तथा वहां के नेताओं ने स्वयं इसका उद्देश्य,कश्मीर के प्रश्न पर भारत के साथ शक्ति संपन्नता की स्थिति में वार्ता करना बताया है।…भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर राज्य को अभिन्न अंग मानता है। अत: कोई भी ऐसी वार्ता जिसमें जनमत लेने,अथवा समूचे कश्मीर राज्य को अथवा उसके किसी भाग को भारत से अलग करने का प्रश्न हो,भारतीय संविधान के प्रतिकूल है।…
गोवा-गोलीबार भारत को चुनौती
गोवा मुक्ति संग्राम में जनसंघ का साथ
गोवा के मुक्ति-आंदोलन सत्याग्रह में वीर सोमण की अमानुषिक मारपीट,एक वीर सत्याग्रही की मृत्यु, श्रीमती सुधाताई जोशी तथा दाण्डेकर के साथ किया हुआ असभ्य व्यवहार और सेनापति बापट एवं गोरे के सत्याग्रही जत्थे पर किया हुआ गोलीबार,आदि घटनाएं क्या हैं? ये हैं भारत सरकार के लिए एक खुली चुनौती।
18 मई के पूर्व गोवा मुक्ति आन्दोलन के समस्त सत्याग्रही गोवा-निवासी ही थे। उनके इस स्वतंत्रता-आन्दोलन का बर्बर पुर्तगाली शासन ने डटकर दमन किया। किन्तु दमन से आन्दोलन भला कैसे दबता। वह और जोड़ पकड़ता गया।…
'गोवा-मुक्ति संग्राम में जनसंघ कंधे से कंधा लगाकर साथ देगा, जनसंघ के कार्यकर्ता एवं स्वयंसेवकों की आंखों में अखंड भारत का सपना है।'
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