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वृन्दावन में वंशी गूंजी
महारास के दिन आए
वर्षों से दुखियारी जनता
अनाचार को झेल रही
भ्रष्टाचारी थे जो शासक
उनके हाथ नकेल रही
छंटनी हुई बबूलों की अब
अमलतास के दिन आये
उलट गयी है पूरी बाजी
पल में आज कुशासन की
नियमों से संचालित होंगी
अब धारा अनुशासन की
सूर्य उगा तो छटा धुंधलका
अब उजास के दिन आए
पाञ्चजन्य का नाद उठेगा
फिर से सभी दिशाओं में
जन-जन का विश्वास बढ़ेगा
फिर से वेद ऋचाओं में
बदलेगा परिदृश्य देश का
अब विकास के दिन आये
राजकुमारी रश्मि
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