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दिशा बोध: अधिक मांग है सीएमए की

by
May 31, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 31 May 2014 15:29:53

छात्रों को बाजार में बने रहने के लिए कुछ प्रोफेशनल एवं जॉब ओरिएंटेड डिग्री की विशेष जरूरत होती है। सीए/सीएस अथवा सीएमए कोर्स करने के बाद जॉब की राह काफी आसान हो जाती है। जैसे-जैसे बजटिंग और कॉस्ट कटिंग व ऑडिटिंग का काम जोर पकड़ रहा है। वैसे-वैसे इनकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है। किसी भी कंपनी की बिजनेस योजना तैयार करने, स्ट्रेटेजिक डिसीजन उपलब्ध कराने, फाइनेंशियल रपट पेश करने संबंधी कार्य करते हैं। बतौर सीएमए किसी भी कंपनी के लाभ को बढ़ाते हैं तथा खर्च में कटौती का पूरा खाका भी खींचते हैं। इसके अलावा ये कंपनी के मैनेजर के साथ बैठकर किसी विशेष परियोजना के लिए बजट भी तैयार करते हैं। सीएमए का काम बहुत ही जिम्मेदारीभरा तथा चुनौतीपूर्ण होता है। सबसे ज्यादा अवसर निजी इंटरप्राइजेज, सरकारी क्षेत्र, बैंकिंग एवं फाइनेंस सेक्टर, डेवलॅपमेंट एजेंसी, शिक्षा, प्रषिक्षण एवं षोध केन्द्र आदि में आते हैं।

– सीएमए विकास श्रीवास्तव
वाइस चेयरमैन, आईसीएआई, लखनऊ चैप्टर

अंतिम परीक्षा में शामिल छात्र इस पाठ्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उनकी उम्र 17 साल से कम नहीं होनी चाहिए। इसमें अकाउंटिंग, मैनेजमेंट फंडामेंटल, बिजनेस फंडामेंटल, स्टैटिस्टिक्स फंडामेंटल व बिजनेस मैथमेटिक्स की जानकारी दी जाती है। नए नियम के मुताबिक 10वीं पास छात्रों को भी फाउंडेशन के लिए योग्य मान लिया गया है।
इंटरमीडिएट कोर्स– बारहवीं तथा आईसीएआई से फाउंडेशन कोर्स पास कर चुके ऐसे छात्र जिनकी उम्र 18 साल से ज्यादा हो वे इंटरमीडिएट कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। फाउंडेशन कोर्स के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे छात्र भी इसमें प्रवेश ले सकते हैं। ग्रेजुएशन कर चुके छात्र सीधे इसमें प्रवेश पा सकते हैं। इसमें फाइनेंशियल अकाउंटिंग, अप्लायड डायरेक्ट टैक्सेशन, कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटिंग आदि आते हैं।
फाइनल कोर्स- अंतिम पाठ्यक्रम में तभी प्रवेश मिल सकता है जब छात्र इंटरमीडिएट स्तर का पाठ्यक्रम पूरा कर चुका हो। इंटरमीडिएट पाठ्यक्रम के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे छात्र भी इसमें दाखिला पा सकते हैंंं। इसमें बिजनेस वेल्यूएशन मैनेजमेंट, डायरेक्ट एंड इनडायरेक्ट टैक्स मैनेजमेंट आदि की पढ़ाई होती है।
प्रवेश प्रक्रिया एवं शुल्क
इन पाठ्यक्रमों के लिए साल भर में दो बार प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। फाउंडेशन व इंटरमीडिएट कोर्स के लिए जून (11-18 जून) में होने वाली प्रवेश परीक्षा में दाखिले की अंतिम तिथि 30 नवंबर और दिसंबर (10-17 दिसंबर) में होने वाली प्रवेश परीक्षा में दाखिले की अंतिम तिथि 31 मई तय की गई है। तीनों पाठ्यक्रम के दौरान तीन साल का प्रशिक्षण अनिवार्य है। इसके बाद छ: माह के इंटर्नशिप के बाद ही अंतिम पाठ्यक्रम में प्रवेश मिलता है। फाउंडेशन पाठ्यक्रम के लिए फीस 3500, इंटरमीडिएट कोर्स के लिए 15700 और ओरल 19700 रुपए जबकि अंतिम में पोस्टल फीस 11500 और ओरल 16500 रुपए निर्धारित है। यह फीस हर साल बदलती भी है।
रोजगार व अभ्यास में संभावनाएं
इस कोर्स को करने वाले छात्र चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर, सीईओ, सीएफओ, फाइनेंस डायरेक्टर, फाइनेंशियल कंट्रोलर, चीफ एकाउंटेंट, चीफ इंटरनल ऑडिटर, चीफ कॉस्ट कन्ट्रोलर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे हैं। भारत सरकार की इंडियन कॅास्ट अकाउन्टिंग सेवा (आईसीएएस) ग्रहण करके प्रथम श्रेणी अधिकारी भी बन सकते हैं। प्रशिक्षण लेने के पश्चात देश तथा विदेश की सरकारी व गैर-सरकारी कम्पनियों में कॉस्ट अकाउन्टिंग, फाइनेंशियल मैनेजमेंट, फाइनेंशियल/बिजनेस एनालिसिस्ट, ऑडिटिंग/ इंटरनल ऑडिटिंग, स्पेशल ऑडिट्स, डायरेक्ट एण्ड इनडायरेक्ट टैक्सेज, सिस्टम एनालिसिस एण्ड सिस्टम मैनेजमेंट।
इस पाठ्यक्रम को करने के बाद मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनी या सर्विस सेक्टर में काम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त छात्र स्वतंत्र रूप से प्रशिक्षण भी ले सकते हैं। इसके अन्तर्गत संस्था के सदस्य भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ कॉपार्ेरेट अफेयर्स की ओर से जारी अधिसूचनाओं के तहत कम्पनी का कॉस्ट अकाउंटिंग रिकॉर्ड बनाते हैं तथा कम्पलायन्स रपट भारत सरकार को भेजते हैं तथा कम्पनी का कॉस्ट ॲाडिट भी करते हैं। यहां से कर सकते हैं कोर्स
ल्ल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट ऑफ इंडिया, (आईसीएआई)
वेबसाइट– www.icwai.org
(आईसीएआई की विश्व भर में चार क्षे़त्रीय काउंसिल, 95 चैप्टर और 8 ओवरसीज सेंटर मौजूद हैं। इसके 50000 मेंबर और करीब चार लाख छात्र पंजीकृत हैं।)

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