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आज बिजली की भारी किल्लत, घटिया रेल व्यवस्था, शिक्षा की खराब हालत से पाकिस्तानी जनता हलकान है। 15 फरवरी 2014 को द इकानॉमिस्ट ने पाकिस्तान की बदहाली पर एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें पाकिस्तान की आर्थिक वृद्घि दर को 'उर्दू रेट ऑफ ग्रोथ' कहा गया है। लेख बताता है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की वृद्घि दर पिछले 5 सालों से 2़9 प्रतिशत वार्षिक पर अटकी हुई है। पाकिस्तान के बजबजाते शहरों में लाखों युवा बेरोजगार भटक रहे हैं। आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज के भँवर से बचने की चेतावनी दी है। सरकार द्वारा चलाई जा रही कंपनियां 4़7 बिलियन डॉलर के सालाना घाटे में चल रही हैं, जो पाकिस्तान के कुल कर राजस्व का एक तिहाई है। पाकिस्तानी जनता भारत की प्रगति को देख अपने देश की सत्ता को कोसती है। व्यापारी अपनी बदहाली से उबरने के लिए अपनी सीमा से लगे भारत से व्यापार करने को लालायित हैं, पर उन्हें अवसर नहीं मिल रहा है।
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