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आर्थिक उदारीकरण के बाद फाइनेंस व अकाउंट्स के क्षेत्र में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते जा रहे हैं। पिछले कुछ वषार्ें से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आ जाने से यहां पर रोजगार का पूरा स्वरूप बदलता नजर आ रहा है। इसके अलावा स्थानीय कंपनियां भी रोजगार के एक बड़े केन्द्र के रूप में स्थापित हो चुकी हैं। आर्थिक मंदी के बाद कई ऐसे क्षेत्र हैं जो रोजगार प्रदाता के रूप में सामने आ रहे हैं। इसमें सीए/सीएस व सीएमए प्रमुख हैं। अक्सर छात्र सीए/सीएस/सीएमए को एक ही मान बैठते हैं तथा इन तीनों को लेकर उनके मन में कई तरह की शंकाएं भी होती हैं। लेकिन अपने कार्य के स्वरूप और भूमिका को लेकर तीनों अलग-अलग हैं। जैसे कि किसी भी कंपनी की बैलेंस सीट सीएमए बनाते हैं लेकिन सीए उस बैलेंस शीट को ऑडिट करते हैं। सीए अपनी रपट कंपनी निदेशक को देता है जबकि सीएमए अपनी रपट सीधे केंद्र सरकार को भेजता है। सीए व सीएमए के कायार्ें में नौकरी के दौरान ही समानता होती है लेकिन प्रशिक्षण के दौरान उनका कार्य बदल जाता है। नौकरी के लिहाज से तीनों ही चरम पर हैं।
चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए)
किसी भी संस्थान में चार्टर्ड अकाउंटेंट अथवा सीए का काम बेहद सम्मानजनक और चुनौतीपूर्ण होता है। वे कंपनी अथवा उस संस्थान से जुड़े सभी अकाउंट और फाइनेंस संबंधी कायार्ें के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इसके अलावा इनका कार्य मनी मैनेजमेंट, ऑडिट अकाउंट का विश्लेषण, टैक्सेशन तथा वित्तीय परामर्श उपलब्ध कराने से संबंधित है। एक समय ऐसा था जब सीए के कार्यक्षेत्र को अकाउंट तक ही सीमित माना जाता था। लेकिन धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं और इनका कार्यक्षेत्र काफी व्यापक हो चुका है। सीए प्रोफेशनल्स मैनेजमेंट और कॉपार्ेरेट केयर टेकर को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनका कार्य मुख्यत: अकाउंटिंग, टैक्सेशन और ऑडिटिंग से संबंधित है। ज्यादातर कंपनियां कंपनी एक्ट के तहत पंजीकृत होती हैं और उन्हें ऑडिटिंग के लिए सीए की जरूरत पड़ती है। अब तो छोटे संस्थान भी अपने यहां सीए पेशेवर रखना चाहता है। द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ही एकमात्र ऐसी संस्था है जो सीए का कोर्स कराती है और उसके बाद लाइसेंस प्रदान करती है। कंपनी एक्ट के अनुसार केवल सीए ही भारतीय कंपनियों में बतौर ऑडिटर नियुक्त किए जा सकते हैंं।
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क्या है ताना-बाना
सीए में तीन स्तर के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं जिसमें दाखिला साल भर में होता है। प्रवेश स्तर पर छात्रों को कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्ट (सीपीटी) देना होता है। दूसरे चरण पर प्रोफेशनल कंपिटेंस कोर्स (पीसीसी) होता है। इसके बाद उन्हें 100 घंटे की आर्टिकिल ट्रेनिंग इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी ट्रेनिंग (आईटीटी) में बैठना होता है। तीसरा चरण अंतिम पाठ्यक्रम कोर्स का होता है। इसमें पंजीकृत होने के लिए छात्र को पीसीसी क्लीयर करना होगा तभी उसका दाखिला जनरल मैनेजमेंट एंड कम्युनिकेशन स्किल्स कोर्स (जीएमएससी) में होता है। अंतिम परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को सीए बनने के लिए द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इण्डिया (आईसीएआई) में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।
अधिक मांग है सीएमए की
कब कर सकते हैं पाठ्यक्रम
सीए के सीपीटी लेवल प्रोग्राम में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए छात्र का 10वीं पास होना जरूरी है। बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद वह सीपीटी में बैठ सकता है। यह परीक्षा ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीके से होती है। इसके बाद वह दूसरे व तीसरे लेवल की परीक्षा देता है। सीए के रूप में देश-विदेश की कंपनियों में फाइनेंस, अकाउंट्स व टैक्स डिपार्टमेंट में फाइनेंस मैनेजर,अकाउंट मैनेजर, फाइनेंशियल बिजनेस एनालिसिस्ट, ऑडिटिंग/इंटरनल ऑडिटिंग, स्पेशल ऑडिट्स सहित चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर, सीईओ, फाइनेंस डायरेक्टर, फाइनेंशियल कंट्रोलर, चीफ एकाउंटंे्टस, चीफ इंटरनल ऑडिटर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कर सकते हैं।
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