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16वीं लोकसभा का श्रृंगार हर दृष्टि से पूरा लगता है। 26 मई को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ लेने वालों का परिवार एकदम संतुलित लगता है। वंचित-वनवासी, महिला और अल्पसंख्यक समुदाय को भी सरकार में प्रतिनिधित्व दिया गया है। मंत्रिमंडल का आकार ना इतना बड़ा है कि सामान्य ज्ञान की पहेली हो जाए और ना ही ऐसा अति संक्षिप्त, जैसी कि आशंका मोदी विरोधी टीकाकार जता रहे थे। जम्मू-कश्मीर (जितेंद्र सिंह/ राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार) से लेकर कन्याकुमारी (पी राधाकृष्णन/ भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम तक यह संभवत: पहली बार है जब पूरे देश को इस समग्रता से कैबिनेट में पिरोया गया है।
अच्छा संकेत यह है कि भारतीय राजनीति के इस नए अध्याय में वंशवाद के लिए कोई कुर्सी आरक्षित नहीं की गई है और जोरदार कामयाबी के बावजूद भाजपा ने सहयोगी दलों को सरकार में ठीक जगह दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने पहला कदम रखते हुए शुचिता और संतुलन का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है। शपथ ग्रहण समारोह में शीर्ष राजनेता, संत समाज, उद्योग जगत व फिल्म जगत के लोग, नामी विभूतियां व उत्साही कार्यकर्ता शामिल हुए। ऐसा भी पहली बार ही हुआ कि दक्षेस देशों के प्रमुख ऐसे किसी समारोह में एक साथ सम्मिलित हुए।। ऐसा नहीं कि राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में पहली बार शपथ समारोह का आयोजन किया गया हो। इससे पूर्व चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकारों के मंत्रिमंडल ने भी इसी प्रांगण में शपथ ली थी लेकिन उन कार्यक्रमों की भव्यता ऐसी नहीं थी।
विशेष बात यह कि कुछ कर दिखाने की ऊर्जा से भरपूर केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोई भी सदस्य 75 वर्ष से अधिक आयु का नहीं है। 70 वर्ष से अधिक वाले मंत्री भी दो-तीन ही हैं।
अच्छा संकेत यह भी है कि भारतीय राजनीति के इस नए अध्याय में वंशवाद के लिए कोई कुर्सी आरक्षित नहीं की गई है। नई सरकार ने मंत्रियों के चयन में दागियों से दूरी बनाए रखने के लिए तो विशेष सावधानी बरती ही साथ ही उन्हें यह निर्देश भी साफ तौर पर दे दिया कि मंत्रिगण निजी स्टाफ में न तो अपने संबंधियों की भर्ती करेंगे और ना ही उन्हें ठेके आदि देकर उपकृत करेंगे। यह भी अच्छा है कि जोरदार कामयाबी के बावजूद भाजपा ने सहयोगी दलों को सरकार में ठीक जगह दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने पहला कदम रखते हुए शुचिता और संतुलन का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है। मंत्रिमंडल की घोषणा के वक्त महामहिम के आंगन में भारत माता की जयकार और वंदेमातरम के नारे इससे पहले कभी नहीं सुने गए। सरकार के उत्साहवर्धन की यह आसमानी गूंज अपेक्षाओं की मुनादी भी यह समझना होगा।
राजग सरकार से देशभर की उम्मीदों का यह दूसरा दौरा है और इस बार जानाकांक्षाओं की लहर की पहले कहीं ज्यादा ऊंची है। जनता ने पूर्ण बहुमत देकर भाजपा के प्रति अपना पूरा भरोसा जताया है इसलिए इस सरकार के हर काम की आलोचनात्मक परीक्षा भी होगी यह तय बात है। पाञ्चजन्य ब्यूरो
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