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जिस उम्र में बच्चे शरारतें करते हैं नादानियां करते हैं मम्मी की डांट खाते हैं। उस उम्र में यदि कोई बालक प्रतिभा के बल पर अपना लोहा मनवा दे तो उसके बारे में जानने की उत्सुकता किसे नहीं होगी, बच्चो! हम आपको एक ऐसे ही होनहार बच्चे से मिलवा रहे हैं जिसे पांच अलग-अलग भाषाएं आती हैं और जो बहुत अच्छा बांसुृरी वादक है। वह बांसुरी वादन में कई प्रतियोगिताएं भी जीत चुका है। वह बच्चा है शिवा चमू शास्त्री (13), दिल्ली स्थित गोल मार्केट के केंद्रीय विद्यालय से इसी वर्ष शिवा ने आठवीं कक्षा उत्तीर्ण की है। शिवा ने पूरे विद्यालय में सबसे अच्छे अंक प्राप्त किए हैं। उनके पिता चमू कृष्ण शास्त्री संस्कृत के प्रकांड विद्वान है। शिवा पांच भाषाएं-संस्कृत, मराठी, कन्नड़, अंग्रेजी और हिंदी जानता है। सभी भाषाओं पर उसकी एक समान पकड़ है। वह पांचों भाषाएं बोलने के अलावा लिखना और पढ़ना भी बखूबी जानता है। उसकी माता चमू सरिता कृष्ण शास्त्री ने शिवा को बचपन से ही अच्छे संस्कार दिए हैं। उनके परिवार में सभी लोग संस्कृत में ही बात करते हैं। तीन वर्ष की आयु से शिवा पंडित राजकिशोर दल बेहरा से बांसुरी वादन सीख रहा है। कई बड़े मंचों पर उसने अपनी कला का प्रदर्शन किया और दर्जनों पुरस्कार जीते हैं। संगीत के क्षेत्र में उसके योगदान को देखते हुए केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय से शिवा को स्कॉलरशिप दी जाती है। आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शिवा अब वेद पाठी के अध्ययन के लिए कर्नाटक में पढ़ने गया है। वेद पाठों के अध्ययन के साथ वह इंटरनेट के माध्यम से आधुनिक शिक्षा और बांसुरी वादन की शिक्षा भी लेगा। शिवा का कहना है कि वह अपने देश की महान संस्कृति और संस्कृत भाषा को विश्व के कोने-कोने में फैलाना चाहता है।
-प्रतिनिधि
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