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ऊर्जा मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी तत्व है। आज समूचे विश्व में ऊर्जा का संकट विद्यमान हो गया है। जिस गति से तकनीकी और नवीनतम संसाधनों का प्रचलन बढ़ा है उसी अनुपात में ऊर्जा का उपयोग भी। आज हमें आवश्यकता है अपनी परंपरागत ऊर्जा प्रणाली को सुदृढ़ करने की और सौर, पवन एवं जल ऊर्जा के साथ-साथ देश के सामरिक उपयोग के लिए नाभिकीय ऊर्जा के विकल्प को भी प्रभावी तरीके से अर्जित करना होगा।
भारत के ग्रंथों में समाहित प्रचुर वैज्ञानिक ज्ञान का भरपूर सदुपयोग करके ऊर्जा उत्पादन की दिशा में बढ़ना चाहिए, जो कम लागत का होने के साथ ही पर्यावरण के लिए सहज है।
-अतुल सहगल, ऊर्जा विशेषज्ञ
क्या हो दृष्टिकोण
ल्ल तेल, गैस, पनबिजली, सागर, पवन ऊर्जा, कोयला व नाभिकीय स्रोतों का अधिकतम उपयोग करने के लिए कदम उठाना
ल्ल राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन का विस्तार करना और सशक्त करना
फौरन करना होगा
ल्ल सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के विकल्प को मजबूत ढांचा प्रदान करना होगा।
ल्ल जल विद्युत ऊर्जा स्थानीय लोकहित को ध्यान में रखकर बढ़ानी होगी।
दीर्घकालिक लक्ष्य
ल्ल राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन को प्रभावी एवं उत्तरदायी बनाना होगा।
ल्ल नाभिकीय ऊर्जा के लिए स्वदेशी ढांचागत उपक्रम तैयार करने होंगे।
यह है वादा
ल्ल ऊर्जा के समेकित विकास के लिए राष्ट्रीय ऊर्जा नीति बनाना।
ल्ल जल विद्युत, सौर व पवन ऊर्जा सहित परंपरागत ऊर्जा स्रोतों और नवीनतम विकल्पों को तलाशना।
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