दिशा-बोध : पंख फैलाने को असीम आसमान
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अधिकांश छात्र रोजगार की राह का चयन तभी कर लेते हैं जब वे बारहवीं में दाखिला लेते हैं। बहुत ही कम छात्र ऐसे होते हैं जो परीक्षा देने के बाद अपने लिए विकल्प चुनते हैं। देखा जाए तो इसमें कोई बुराई भी नहीं हैं, क्योंकि परीक्षा के बाद छात्रों को अपनी क्षमता और रुचि का सही तरीके से आकलन हो जाता है। ह्यकरियर काउंसलरोंह्ण से बातचीत के बाद भी वे अपनी पूर्व की राय बदल सकते हैं। इन सब के पीछे राय यही है कि छात्र अपने लिए उन्हीं कोर्स का चयन करें जिनमें उनकी रुचि हो। अन्यथा आगे चलकर वे लकीर के फकीर बन जाएंगे। नीचे कुछ ऐसे अनूठे कोर्सों का जिक्र किया जा रहा है जो न सिर्फ छात्रों को उनकी खोज में सहायक बन सकते हैं बल्कि समय के हिसाब से भी वे बेहतर हैं।
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