दिशा-बोध : गहरे पानी पैठ
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'जिन ढूंढा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ' की उक्ति वास्तव में उन्हीं के लिए सार्थक है जो समुद्री लहरों को देखकर मन में उमंगें पालते हैं और जिज्ञासा करते है कि आखिर ये रोमांचकारी वैज्ञानिक गतिविधियां किस तरह से होती हैं? ओशियनोग्राफी ही वह जरिया है जिसके अंतर्गत इन महासागरीय हलचलों का जायजा लिया जाता है। इस विधा को ओशिएनोलॉजी अथवा मेरीन साइंस भी कहा जाता है। जानकारों का कहना है कि समुद्र के भीतर कई तरह की सामग्री मौजूद है जिनका उपयोग मेडिकल रिसर्च में किया जाता है। साथ ही अन्य कई रहस्य भी उसकी गर्त में छिपे हैं। इन रहस्यों पर से परदा उठाने का कार्य करते हैं ह्यओशियनोग्राफरह्ण। हालांकि इन ओशियनोग्राफर का काम आसान नहीं होता। बल्कि उन्हें समुद्र की गर्त में जाकर कई महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे आंकड़ों को इकठ्ठा करना, किसी प्रकार की हलचल को परखना, सैंपल जुटाना आदि कार्य करने होते हैं।
विज्ञान विषय के साथ बारहवीं आवश्यक
ओशियनोग्राफी से संबंंधित पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए छात्र को किसी विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक होना आवश्यक है। साथ ही उसके पास गणित एक विषय के रूप में होना अनिवार्य है। यदि शोध करना चाहते हैं तो उसके लिए स्नातकोत्तर डिग्री (साइंस के साथ) होनी चाहिए। मेरीन पॉलिसी के मुताबिक छात्र के पास कानून, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र आदि की जानकारी भी होनी आवश्यक है। आईआईटी खडगपुर व आईआईटी चेन्नई में बीटेक की डिग्री के लिए साइंस स्ट्रीम में बारहवीं के पश्चात दाखिला मिलता है।
पाठ्यक्रम की रूपरेखा
देश में इस समय ओशियनोग्राफी के कई कोर्स मौजूद हैं। कुछ प्रमुख कोर्स निम्न हैं-
– एमएससी इन ओशिएनोग्राफी
– एमएससी इन मेरीन बायोलॉजी
– एमएससी इन मेरीन साइंसेज
– एमएससी इन ओशियनोग्राफी
(फिजिकल एवं केमिकल)
– एमएससी इन मेरीन बायोलॉजी
एंड ओशियनोग्राफी
– एमएससी इन ओशियन लाइफ साइंसेज
बुनियादी विज्ञान की जानकारी
एक ओशियनोग्राफर को बेसिक साइंस जैसे बायोलॉजी, केमिस्ट्री, जियोलॉजी अथवा इंजीनियरिंग की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। इसमें प्रोफेशनल्स को लंबे समय तक समुद्री जहाज से यात्रा करनी पड़ सकती है। ऐसे में उनके अंदर धैर्य एवं निडरता आवश्यक है। इसके अलावा छात्र को कई अन्य तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे स्वीमिंग व ड्राइविंग का गुण होना चाहिए।
नौकरी के अवसर
यदि किसी छात्र ने सफलतापूर्वक कोर्स पूरा किया है तो उसे सार्वजनिक, निजी क्षेत्र सहित अन्य कई सरकारी संस्थाओं में साइंटिस्ट, इंजीनियर या तकनीशियन के रूप में काम मिल सकता है। निजी क्षेत्र में जहां तेल कंपनियों में काम मिलता है वहीं सरकारी क्षेत्रों में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, मेट्रोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, डिपार्टमेंट ऑफ ओशियनोग्राफी में अवसर मौजूद हैं। यदि कोई छात्र पढ़ाने में इच्छुक है तो यह भी एक अच्छा विकल्प है।
करियर विकल्प
आमतौर पर ओशियनोग्राफी से संबंधित क्षेत्र निम्न हैं-
– मेरीन बायोलॉजिस्ट
– जियोलॉजिकल ओशियनोग्राफर
– केमिकल ओशियनोग्राफर
– मेरीन पॉलिसी एक्सपर्ट
– फिजिकल ओशियनोग्राफर
– मेरीन आर्कियोलॉजिस्ट
योग्यता के आधार पर वेतनमान
ओशियनोग्राफरों को ज्यादातर वेतन उनकी योग्यता के हिसाब से दिया जाता है। यदि किसी छात्र ने इस क्षेत्र में पीजी किया है तो उसे सरकारी सेवा क्षेत्र में 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह, जबकि प्राइवेट कंपनियां 25-30 हजार प्रतिमाह तक दे सकती हैं। यदि छात्र ने पीएचडी की है तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। जिसके चलते उसकी सेलरी 30-35 हजार प्रतिमाह तक पहुंच जाती है। अनुभव के साथ इसमें भी इजाफा होता है। –प्रस्तुति – नमिता सिंह
ओशियनोग्राफर का कार्य चुनौतीपूर्ण है और उन्हें अपना अधिकांश समय समुद्री हलचलों के बीच में गुजारना पड़ता है। इसमें खतरे भी कम नहीं हैं। बात यदि अध्ययन क्षेत्र की हो तो इसमें समुद्र और उसके तट, समुद्री चट्टानों, समुद्री शाखाओं से लेकर बायोलॉजी, केमिस्ट्री, जियोलॉजी, मेटरियोलॉजी और फिजिक्स को एक साथ समझने का मौका मिलता है। इसमें छात्रों को आलोचनात्मक चिंतन, स्पष्ट लेखन, संप्रेषण कौशल, कम्प्यूटर का ज्ञान, अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य, व्यावहारिक दक्षता, समुद्र से प्रेम, आलोचनात्मक चिंतन आदि गुण प्राप्त करने जरूरी हैं।
– गीतांजलि कुमार, कॅरियर काउंसलर
प्रशिक्षण देने वाले संस्थान
– बरहामपुर यूनिवर्सिटी, उड़ीसा
वेबसाइट- www.bamu.nic.in
-आईआईटी खडगपुर, पश्चिम बंगाल
वेबसाइट-www.iitk.ac.in
-आईआईटी मद्रास
वेबसाइट- www.oec.iitm.ac.in
-इंटरनेशनल मेरीटाइम एकेडमी, चेन्नई
वेबसाइट-www.iigdelhi.com
-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियनोग्राफी, गोवा
वेबसाइट www.imamarttime.com
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