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लोकसभा चुनावों की गिनती शुरू होते ही भाजपा के पक्ष में रूझान सामने आने लगे, और शेयर बाजार रिकार्ड ऊंचाई को छूने लगा। मुम्बई स्टाक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक 25,014़85 अंक पर पहंच गया। वहीं नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी करीब 300 अंकों की छलांग लगाकर 7400 के पार पहुंच गया। यही नहीं,डलर के मुकाबले रुपया भी 41 पैसे की तेजी के साथ 5.8़88 रुपये प्रति डालर यानी 10 माह के ताजा उच्च स्तर पर पहुंच गया।
दरअसल एग्जिट पोल के नतीजों के बाद से ही भाजपा गठबंधन की सरकार बनने की उम्मीद में बाजार में लगातार तेजी का दौर बना हुआ था और चुनाव नतीजों को लेकर बाजार ने काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। शेयर बाजार में जिस तरह की तेजी देखने को मिली, उससे लग रहा है कि देश–विदेश के निवेशकों ने भी यह मान लिया था कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुआई में बनने वाली सरकार को कोई रोक नहीं सकता।
शेयर बाजार में लगातार निराशा के दौर के कारण छोटा निवेशक इससे दूर हो रहा था। पर भाजपा के लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन को शेयर बाजार ने भी सलामी दी। यानी शेयर बाजार में इस तेजी से यह कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति निवेशकों में भरोसा लौटेगा। हालांकि शेयर बाजार के जानकार कहते हैं कि नई सरकार को देश की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कुछ बड़े कदम उठाने होंगे। तब ही शेयर बाजार की हालत सुधरेगी। उछाल स्थायी रहेगा।
शेयर बाजार का भट्ठा बिठाने में यूपीए सरकार की नीतिगत अपंगता को पूरा ह्यक्रेडिटह्ण मिलना चाहिए। यूपीए सरकार की कमजोरी तब उभर कर सामने आई जब खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के मुद्दे पर ममता बनर्जी ने समर्थन वापस ले लिया। अन्य घटक दलों ने भी ऐतराज जताया। अब देखने वाली बात यह होगी कि केंद्र में जो नई सरकार बनने वाली है वह उद्योग, निर्माण क्षेत्र, सेवा, कृषि सेक्टर, लघु व कुटीर उद्योगों और आयात–निर्यात में संतुलन के बीच कितना और कैसे सतुलन बनाती है। सरकार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने व उसमें निरंतरता बनाए रखने के लिए ठोस पहल करनी होगी। ढांचागत क्षेत्र में कई साल से मंदी है। बैंकों के ऋण की ब्याज दरें आसमान छू रही हैं। मुद्रास्फीति काबू में नहीं आ रही है। बेरोजगारी का कोई हल दिखाई नहीं दे रहा है और नए रोजगार के अवसर सृजित नहीं हो रहे। बाजार में जो एक विश्वास दिखाई दे रहा है, उत्साह के संकेत मिल रहे हैं उसकी मोटे तौर पर वजह यह है कि नरेंद्र मोदी ह्यअच्छे दिन आने वाले हैंह्ण का वादा किया। मोदी ने गुजरात में उद्योग जगत को भरपूर सुविधाएं दीं जिसके चलते वहां पर निवेश बढ़ा, रोजगार के अवसर बढ़े। उन्होंने निवेशकों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की स्थापना की ताकि निवेशकों को किसी तरह की दिक्कत न हो। अपनी वाराणसी सीट का कायाकल्प करने के अलावा मोदी ने सौ नए शहर बनाने, देश में तेज गति वाली बुलेट ट्रेन चलाने, यूनिवर्सिटी बनाने, हर प्रदेश में एम्स बनाने, कौशल विकास के लिए बड़े प्रयास करने का वादा करके विदेशी निवेशकों को भारत लौटने के संकेत दे दिए।
इसे शेयर बाजार समझ रहा है। आर्थिक मामलों के लेखक और पत्रकार अरुण कुमार ने उम्मीद जताई कि नई सरकार देश के उद्योग क्षेत्र को गति देने के लिए अहम फैसले लेगी, फाइलों पर कुंडली मारकर नहीं बैठेगी। अभी नई सरकार को बजट पेश करना है। नई सरकार के बजट प्रस्तावों से पता चलेगा कि दरअसल वह उद्योग जगत को किस तरह से मजबूती देना चाहती है। अगर बजट प्रस्ताव उद्योग को गति देने वाले होंगे तो शेयर बाजार कुलांचेभरेगा।
बहरहाल, शेयर बाजार में एग्जिट पोल से लेकर पूरे नतीजे आने तक बेहतर माहौल बना रहा। भाजपा की जीत की उम्मीद में शेयर बाजार में उछाल रहा, पर यह काफी नहीं है। अगर शेयर बाजार को गुलजार बनाना है तो नई सरकार को दूरगामी फैसले लेने होंगे। छोटे निवेशकों के हितों का ख्याल रखना होगा। छोटे निवेशकों को फिर से शेयर बाजार में निवेश करने के लिए प्रेरित करना होगा। *
–विवेक शुक्ला
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