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शिक्षा नीति-मजबूर सरकार, बेलगाम अफसर

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May 10, 2014, 12:00 am IST
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दिंनाक: 10 May 2014 15:38:14

नियम 134 -ए के अन्तर्गत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को प्रवेश की योजना बनी मजाक

32 हजार बच्चों का भविष्य दांव पर , अभिभावक परेशान

प्रदेश में 4800 निजी स्कूल जहां 27 लाख बच्चों के प्रवेश की व्यवस्था और इस नियम में

 

10 प्रतिशत के अनुसार 2लाख गरीब बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य
हरियाणा के शिक्षा विभाग में सरकारी लचरता के चलते उसका खामियाजा पिछले 1 महीने से संबंधित बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। ये बच्चे निजी स्कूलों में प्रवेश नहीं ले सके, लेकिन कभी प्रवेश परीक्षा देने तो कभी प्रवेश के लिए लॉटरी या ड्रा निकलने की उम्मीद लगाए रहते हैं। ऐसे में सरकार, अधिकारी व निजी स्कूल संचालकों की मिलीभगत में बच्चों का भविष्य दांव पर है।
दरअसल योजना के अनुसार सरकार का स्कूल स्टेट एजुकेशन एक्ट के नियम 134-ए के तहत निजी स्कूलों की कुल सीटों में 10 प्रतिशत सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) वाले परिवारों के बच्चों को प्रवेश देकर मुफ्त शिक्षा देना अनिवार्य है। लेकिन इसके लिए निजी स्कूल तैयार दिखाई नहीं दे रहे हैं । उनका कहना है कि सरकार मुफ्त की वाहवाही लूटना चाहती है।
उनका मत है कि जब वे सरकार से कोई अनुदान नहीं लेते तो सरकार अपनी योजना को पूरा करने के लिए उन पर बोझ न डाले। इसके लिए प्रवेश की फीस उपलब्ध कराए या सरकारी स्कूलों में व्यवस्था करे। यही नहीं बीती 29 अप्रैल को पानीपत में हरियाणा संयुक्त स्कूल संघ ने बैठक कर प्रवेश का अपना पैमाना तैयार किया है। ऐसे में जिस योजना पर अनेक सवाल उठ रहे हैं, वह व्यवस्था सवालों के घेरे में तो आ ही गई है। उसमें पारदर्शिता की कमी या क्रियान्वयन में कमजोरी उजागर होने लगी है । शिक्षा विभाग के अधिकारी आरटीई के नियम जिसमें 8वीं कक्षा से नीचे की कक्षा में प्रवेश से पहले टैस्ट न लेने के प्रावधान को भी दरकिनार कर निर्भय होकर टेस्ट ले रहे हैं।
अधिकारी इस योजना को पूरी ईमानदारी से लागू करने की बात कर रहे हैं । उनके अनुसार इस नियम के तहत पहली व दूसरी कक्षा के लिए आवेदक 8675 बच्चों का ड्रा निकाला गया था, लेकिन स्कूल संचालक प्रवेश न देने की बात पर अडे़ हैं और कई स्कूलों में अभिभावकों पर फीस जमा करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में आवेदन करने वाले तीसरी कक्षा से 12 वीं कक्षा तक के 32000 छात्र-छात्राओं का भविष्य भी दांव पर लगा है। प्रदेश में शिक्षा सत्र 1 अप्रैल से शुरू हो चुका है और अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इन बच्चों का दाखिला कब तक होगा?
अभिभावकों का आरोप है कि इस मुद्दे पर सरकार व प्रशासन के बीच गतिरोध बना हुआ है। बेशक इस पूरी प्रक्रिया में कभी चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का हवाला देकर सरकार व अधिकारी पल्ला झाड़ रहे हैं तो कभी जल्दी प्रवेश देने का आश्वासन देकर अभिभावकों को संतुष्ट रखने की कोशिश कर रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 4800 निजी स्कूल हैं, जहां 27 लाख छात्रों के प्रवेश की व्यवस्था है। बता दें कि प्रदेश सरकार ने 2007 में हरियाणा स्टेट एजुकेशन एक्ट बनाया था जिसमें 134-ए नियम के अनुसार जिन अभिभावकों की वार्षिक आय 2 लाख से कम हो उनके बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त में तीसरी कक्षा से 12वीं कक्षा तक शिक्षा देने का प्रावधान है। इसके अन्तर्गत उच्च न्यायालय ने भी संबंधित बच्चों को प्रवेश देने के आदेश दिए हैं, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है और नुकसान बच्चे और अभिभावक उठा रहे हैं। डा. गणेश दत्त वत्स

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