|
जनता को अब जागना ही होगा। ये #@!! कांग्रेस को ही ज्यादातर गले लगाए हैं हर बार। किसी दूसरे की सरकार बनती भी है तो कितनी चलने देते हैं। ये जनता ही अपने शोषण के लिए जिम्मेदार है। अब पानी नाक से ऊपर जा चुका है तो बेचैनी है, इस बार बदलाव होना ही है इसे निश्चित जानिए।
— पोईलाल, चाय विक्रेता,
अस्सी की अड़ीबाजी नाम से इनका कॉलम छपता है
इस चुनाव में भी कोई जादू नहीं होने जा रहा। यह शहर किसी जादू में विश्वास ही नहीं करता। चुनाव कोई जादू-टोना नहीं है। रही बात चुनाव परिणाम की तो जिसके पास आंख है वह दीवार को पढ़ लेगा। बनारस और मैं कहूंगा कि देश की दीवार पर निर्णय लिखा हुआ है। 16 तारीख को सबको वह परिणाम मिल जाएगा। यह ठीक है कि मैं किसी प्रत्याशी की हताशा का कारण नहीं बनना चाहता, जनतंत्र है सब लोग लड़ रहे हैं। पर इस शहर का अपना मिजाज है। अपना लगाव है। बनारस में मोदी जीत रहे हैं, देश में मोदी की सरकार बन रही है, इसमें कम से कम मुझे कोई शक नहीं हैं।
— अमिताभ भट्टाचार्य, बनारस की नब्ज समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार
बाजार की नजर 12 मई परबाजार में 16 मई के चुनाव परिणाम से पहले ही 12 मई की शाम को उछाल आना शुरू हो जाएगा क्योंकि इस दिन से एग्जिट पोल आने शुरू हो जाएंगे। सट्टा बाजार सत्ता में भाजपा और प्रधानमंत्री पद पर नरेंद्र मोदी को पहले से ही शीर्ष पर रखे हुए है।
कांग्रेस के नक्षत्र गड़बड़इन चुनावों में यूपीए का सफाया तय है और काग्रेस को पानी भी नसीब नहीं होगा,वैसे भी प्रणव मुखर्जी पार्टी से जा चुके हैं, मनमोहन सिंह जा रहे हैं और पी. चिदंबरम मैदान छोड़ चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस को डूबती नैया का खेवनहार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है।
एनडीए 320 से ज्यादा सीटें जीतने जा रहा है, क्योंकि अब लोग परिवर्तन चाहते हैं
-वाइको , नेता, एमडीएमके
2004 और 2009 के चुनावों में विश्लेषकों के अनुमान गड़बड़ा गए थे जबकि मल्लाह औरउनके तीर्थयात्री ग्राहकों के अनुमान दूसरी तुलना में ज्यादा सटीक थे। इस बार बनारस के निषाद (मल्लाह) नरेंद्र मोदी की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं-जावेद लईक, राजनीतिक टिपणीकार(1971 से चुनाव विश्लेषण कर रहे हैं)
'लौंगलत्ता' की मिठास और संकटमोचन का आशीर्वाद'
अब की बार….. की गूंज लंका से रोहनिया तक और लहरतारा से दुर्गा मंदिर तक चारों ओर सुनाई देती है। बाजारों में भगवा और केसरिया झंडों की दूर तक दिखती कतार है और भाजपा के बैनरों पोस्टरों से शहर जगर-मगर है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सामने लंका के मुख्य बाजार में इन दिनों चीजों के दामों पर नहीं, चुनाव में केजरिया के सामने कद्दावर मोदी और उसमें भी कितने बड़े अंतर से मोदी अपने विरोधी उम्मीदवारों को पटखनी देंगे, इस पर चर्चा चलती है और एकाध तो ठेठ बनारसी अंदाज में कह भी देता है, ह्यई केजरिया को कौनो समझायवाला नहीं है का, अरे ई काहे पिनपिनाए जा रहे हैं। ई चुनाव में त ऊ अइसे हारिहें कि फिर नाम न लइहैं बनारस अइबे का।ह्ण संकटमोचन मंदिर में हनुमान बाबा की आरती के बाद सामने बनारस की प्रसिद्ध मिठाई लौंगलत्ता की दुकान पर समोसा और लौंगलत्ता तुलवाते हुए हमने दुकान वाले से यूं ही पूछ लिया, ह्यक्यों भाई, क्या लगता हैह्ण? उसने तपाक से उत्तर दिया, ह्यसंकटमोचन के आशीर्वाद से अब मोदी न रुकिहैं। ऊ त दिल्ली जाके रहिहैं। ई हम नहीं, हमार लौंगलत्ता की मिठास बतइहैं।'
टिप्पणियाँ