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'दिल्ली विश्वविद्यालय के जीवनपर्यन्त शिक्षण संस्थान (आईएलएलएल) के सभागार में प्रौढ़ शिक्षा एवं सतत् विस्तार विभाग द्वारा ह्यभारत में शिक्षा : दृष्टि और ध्येयह्ण विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने बीज वक्तव्य दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि हमारे विद्यार्थी दुनियाभर में पहुंचकर अपनी प्रतिभा से देश का परचम लहरा रहे हैं। इतने प्रबंधन, आयुर्विज्ञान, प्रौद्यौगिकी संस्थान और विश्वविद्यालय खुलने के बाद भी विश्व हमसे जो अपेक्षा करता था उससे हम कोसों दूर हैं, यह कोरी व्यावसायिक शिक्षा का परिणाम है। अयोग्यता को प्रश्रय और प्रतिभाओं को कुंठा प्राप्त हो रही है जो चिन्ता का विषय है। जब अपने देश में संविधान ने राष्ट्र का दर्शन तय नहीं किया तो शिक्षा का कैसे होता? आज की शिक्षा केवल प्रतिस्पर्द्धा सिखा रही है। वह शुद्ध घृणा, ईर्ष्या और द्वेष को बढ़ावा देने वाली है,जबकि प्रतिस्पर्द्धा गुणों की होनी चाहिए। आज शिक्षा में संवेदना की गंगोत्री सूख चुकी है और पाठ्यक्रम पूरा करना ही लक्ष्य रह गया है। गुरु को संकीर्ण भाव त्यागकर शिष्य में शिवत्व तलाशना होगा और अपना उदारवादी आत्मीयभाव प्रतिष्ठित करना होगा।गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण परिसर के निदेशक प्रो. उमेश राय ने कहा कि हमें किताब से इंटीग्रेटेड बॉडी हेल्थ माइंड पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं बल्कि बच्चों के लिए अनुकरणीय चरित्र वाले गुरु चाहिए। प्रो. उमेश राय ने शॉल भेंटकर और आईएलएलएल के निदेशक प्रो. रमेश गौतम ने पुष्पगुच्छ प्रदान कर डॉ. कृष्ण गोपाल का स्वागत किया। गोष्ठी का संचालन डॉ राजबीर शर्मा ने किया। प्रौढ़ शिक्षा एवं सतत् विस्तार विभाग के विभागध्यक्ष प्रो. राजेश ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस गोष्ठी में अखिल भारतीय शैक्षिक मंच के श्री महेन्द्र कपूर और दिल्ली के प्रांत प्रचारक श्री अनिलकांत सहित दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, महाविद्यालयों के प्राचार्य, शोधार्थी और अन्य गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।ल्ल प्रतिनिधि
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