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पं.जवाहरलाल नेहरू की इस सोच को धता बताते हुए अपनी तुष्टीकरण की नीति के चलते कांग्रेस महात्मा गांधी को तो आजादी के समय ही भूल गई थी अब सोनिया कांग्रेस नेहरू को भी आंख दिखा रही है।
कांग्रेस के कर्नाटक राज्य इकाई के अध्यक्ष जी. परमेश्वर राज्य संचालित वित्तीय संस्थानों से अल्पसंख्यकों को ऋण भुगतान न करने की सार्वजनिक सलाह देते दिखाइ र् दे रहे हैं।
केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे द्वारा ह्यभोले-भाले मुस्लिमह्ण युवकों को ह्यतंगह्ण न करने और उन्हें हिरासत में न लेने की हिदायत सोनिया कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति का प्रमाण।
उन्मादियों द्वारा सलमान रुशदी और बंगलादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के विरोध पर चुप्पी साधने की कांग्रेसी कला तुष्टीकरण को पुष्ट करती है।
27 जून, 1961 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आरक्षण के विषय में एक विस्तृत पत्र लिखा था जिसके प्रमुख बिन्दु इस प्रकार थे- सहायता आर्थिक आधार पर होनी चाहिए जातिगत पर नहीं। अनुसूचित जाति के लोग सहायता के लिए पात्र हैं लेकिन फिर भी मैं किसी भी प्रकार का आरक्षण पसन्द नहीं करता विशेषकर सेवा क्षेत्र में। कार्यकौशल के स्थान पर अकुशलता दूसरे दर्जे का बनाती है, मैं चाहता हूं मेरा देश विश्व में पहले दर्जे का बने।
किसी भी पिछड़े समूह की ठोस सहायता का तरीका है अच्छी शिक्षा के अवसर उपलब्ध करवाना। एक व्यापक पैमाने का आधार बनाकर फिर छात्रवृत्ति प्रदान करना।
जाति और संप्रदाय के आधार पर आरक्षण का मतलब है कुशल और योग्य व्यक्तियों की अनदेखी। दक्षता की कीमत पर पिछड़े समूहों की सहायता नहीं की जानी चाहिए।
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