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जनतंत्र का रैम्प-वाक

by
May 3, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 03 May 2014 16:12:23

कमलेश पाण्डेय
बड़े नेता बने फिरते हैं। लोकतन्त्र के इस सबसे बड़े फैशन शो में फैशन के तमाम रुझानों के बारे में पता है कुछ? इस सीजन में आप लोगों में कुछ नए ट्रेंड्स देखने को मिले तो हैं, पर वे काफी हैं क्या? इतने सालों की तैयारी, कसरतों और कवायदों के बाद तो चुनावी रैम्प पर चलने का मौका आया है। इतना ह्यएक्सपोजरह्ण मिलने का चांस है। आपको नहीं लगता कि-बहुत निकले मेरे अरमां, लेकिन फिर भी कम निकले? ले-दे कर इतना ही किया न कि एक नए ढंग की टोपी पहन ली, कभी मफलर लपेट लिया तो कभी कुछ नए जुमले गढ़ लिए या जरा अलग हाव-भाव ओढ़ लिए। बस हो गया इतने बड़े लोकतन्त्र के लाखों मॉडलों का सम्पूर्ण रैम्प-वाक।
पहनने में वही खादी के कुर्ते और सदरी, जवाहर जैकट या शेरवानी लौट-लौट कर आ जाते हैं। गले में गेंदे के फूल की माला और मॉडल। बहुत हुआ तो चार हाथियों के गले की नाप से माला बनवा के मंच पर आठ गधों की मदद से पहन ली। डील-डौल भी हाथियों का ही अब तक फैशन में चला आ रहा है। कोई नया अंदाज नहीं सूझा तो खांसने-खंखारने लगे। मुंह से बोल-बोल कर ऊबे तो दो लफ्ज नाक से बोल दिये। ये हाल तब है जब पोस्टरों-बैनरों, किसिम-किसिम के मीडिया स्क्रीन, कट-आउट और थ्री-डी अवतारों में 24 गुणा 7 आपकी छवि जनता के सामने परोसी जा रही है। ये मानते हुये कि जनता भीतर से आपकी रग-रग जानती है, ये आपकी बाहरी छवि ही है जिसे बदलकर, चमकाकर, बनाकर, उलट-पुलटकर, जैसा फैशन के जादूगर हर शै को कुछ ऐसा कर देते हैं कि जनता घिसी-पिटी चीजों को भी हसरत से देखने लगती है, यों चमकाया जा सकता है कि लोकतन्त्र के खोटे सिक्के भी चमा-चम चमक उठें। हमने सदियों से चले आ रहे जनतांत्रिक फैशनों पर गहन शोध कर एक नायाब फैशन मंत्र बनाया है। यहां हम कुछ मोटे तथ्य दे रहे हैं। बारीक वाले फंडों के बारे में विस्तार से जानने के लिए बाजार के नियमों के तहत संपर्क करें।
नए फैशन में इस बार टोपी और मुखौटे चले हैं। पर उन्हें आप अपने चेलों चपाटों के लिए छोड़ दें। आपके लिय तो उपलब्ध है एक खास मेकअप- बैठक, रैली, इंटरव्यू और मंचीय भाषण के लिए अलग-अलग गेट-अप- जो एक ही समय में आपके बहुमुखी व्यक्तित्व को झलकाये। यहां इशारे के लिए इतना बता देते हैं कि आपकी टोपी त्रिआयामी होगी जो एक ओर से दुपल्ली, दूसरे कोण से गांधीवादी और तीसरे से शाही होगी। पीछे एक बड़ी-सी चुटिया लटकेगी।
डिजाइनर प्रजातांत्रिक सूट आपकी छवि को आठ-दस चांद लगाएगा। इसे पहन कर आप एक साथ ही फटेहाल आम आदमी या एक कर्पोरेट डन नजर आएंगे। कैसे? ये हम अभी नहीं बता बता सकते। बाजार के नियम आड़े आते हैं।
इस तथ्य का संज्ञान लेते हुये कि कार्यकर्ता के रूप में झण्डा ढोने से टिकट पाने तक आपने राजनीति की तनी हुई रस्सी पर विकट कैट-वाक किया हुआ है, अगली चालों पर गहराई से शोध कर आपके लिए रथ-हेलीकॉप्टर और रोड-शो मुस्कान, रैली-वाक, मंचीय मुद्राएं वगैरह डिजाइन की गई हैं।
टी-वी इंटरव्यू के दौरान हकलाहट, घबराहट, पसीना चुहचुहाने जैसी समस्याओं पर क्रैश-कोर्स उपलब्ध हैं। बाहरी छवि का सबसे खास पहलू भाषण हमारे पैकेज का सबसे खास अंग है। भाषणों को मारक बनाने के लिए लेटेस्ट लफ्फाजियां,चुटकियां, भावुकताएं, आचार-संहिता-प्रूफ गालियां, मीठे जहर, सरसराते आश्वासन आदि-इत्यादि का पूरा कोश इस पैकेज के साथ दिया जाएगा। सांस लेने-छोड़ने, आंख मूंदने-खोलने, फुसफुसाने-दहाड़ने, नकियाने-डबडबाने जैसे संवाद आदायगी के अंदाज के कोर्स अतिरिक्त होंगे।
आखिर में़.़कुछ नहीं। बस एक चेतावनी कि जनता को उल्लू बनाने के अनुभवों की कामयाबी के भरोसे न रहें। जनता हर बार नए तरीके से उल्लू बनना पसंद करती है। इस बार उसका क्या इरादा है, इसका अंदाजा सिर्फ हमारे फैशन डिजायनरों को है। नक्कालों से सावधान। ल्ल

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