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-पुन्हाना से लौटकर अरुण कुमार सिंह-
कुछ ही वर्ष पहले अभिनेता इमरान हाशमी ने कहा था कि उन्हें मुम्बई की एक सोसायटी में घर इसलिए नहीं मिला कि वे मुसलमान हैं। मुम्बई के कुछ सोसायटी वाले मुसलमानों का बहिष्कार करते हैं। इसके बाद सेकुलर नेता और मीडिया चिल्लाने लगा कि देश में मुसलमानों के साथ भेदभाव होता है। यही नहीं अल्पसंख्यक आयोग ने भी इस मुद्दे को बड़े जोर-शोर से उठाया था। पर जब किसी हिन्दू के साथ भेदभाव या उसका बहिष्कार किया जाता है तो यही सेकुलर नेता और मीडिया ऐसी चुप्पी साध लेते हैं मानो इनके लिए हिन्दुओं का बहिष्कार और उत्पीड़न कोई समाचार ही नहीं होता है। इसका उदाहरण है हरियाणा का मुस्लिम-बहुल मेवात जिला। बात-बात पर यहां हिन्दुओं का बहिष्कार किया जाता है, उन्हें प्रताडि़त किया जाता है। इस वजह से मेवात के हिन्दू पलायन कर रहे हैं। पलायन के कारण अब मेवात के प्रमुख कस्बों में ही हिन्दू बचे हैं। गांव करीब-करीब हिन्दू-विहीन हो चुके हैं। कस्बों में अधिकतर हिन्दुओं की ही दुकानें हैं। विभिन्न गांवों के मुसलमान खरीददारी करने के लिए कस्बों में ही आते हैं। जब भी कोई घटना होती है तो मुसलमान पंचायत बुलाते हैं और तुरन्त हिन्दुओं का बहिष्कार करने का तालिबानी फरमान जारी हो जाता है। सबसे अधिक जोर इस बात पर रहता है कि कोई भी मुसलमान किसी भी हिन्दू दुकानदार से कुछ भी नहीं खरीदेगा। इस बहिष्कार का जो मुसलमान उल्लंघन करता है उस पर जुर्माना लगाया जाता है। 1992 में बाबरी ढांचा विध्वंस के समय मेवात में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। उस समय पूर्ण रूप से नूंह और पिन्गवां कस्बे का बहिष्कार कर दिया गया था। यह बहिष्कार लगभग डेढ़ महीने रहा था। इसके बाद फिरोजपुर झिरका में हिन्दुओं का बहिष्कार किया गया। लगभग तीन वर्ष पहले नगीना में भी हिन्दुओं का बहिष्कार हुआ था। गोपालगढ़ काण्ड के बाद मेवात से सटे राजस्थान के जुरहरा में भी लगभग चार महीने तक हिन्दुओं का बहिष्कार किया गया था। अब पुन्हाना के हिन्दुओं का इन लोगों ने बहिष्कार किया। इसके बावजूद मेवात के हिन्दुओं के लिए न कोई सेकुलर नेता आवाज उठाता है और न ही दिल्ली का कोई अखबार या समाचार चैनल हिन्दुओं के इस दर्द को समाचार मानता है। मेवात के हिन्दू अपने बाल-बच्चों के भविष्य को लेकर चिन्तित हो रहे हैं। एक ऐसी ही घटना 10 अप्रैल को मेवात के पुन्हाना में हुई। उस दिन सुबह पुन्हाना के नकनपुर स्थित मतदान केन्द्रों (70 और 71) पर लोकसभा चुनाव के लिए मतदान जारी था, तभी कुछ मुसलमान युवक, जो इनेलो के समर्थक थे, वहां आए और राजनीतिक दलों के हिन्दू कार्यकर्ताओं को पीटने लगे। भाजपा कार्यकर्ता संजय चौखिया, खिलौनीराम और रोहताश सैनी को इतना पीटा गया कि वे तीनों बेहोश हो गए। रोहताश सैनी की एक टांग पीट-पीट कर तोड़ दी गई। इन तीनों को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद मतदान फिर से शुरू कराया गया, पर यह मुसलमान युवकों को पसन्द नहीं आया और उन्होंने एक बार फिर से झगड़ा शुरू कर दिया। इस बार राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ हिन्दू मतदाताओं को भी पीटा गया। इस कारण शाम के साढ़े चार बजे ही मतदान रोक दिया गया। इसके बाद पुन्हाना बाजार में हिन्दू और मुसलमान आपस में भिड़ गए। देखते ही देखते पूरे पुन्हाना में तनाव बढ़ गया। इसी तनाव के बीच 11 अप्रैल को मुसलमानों ने पुन्हाना में एक पंचायत बुलाई। इस पंचायत में पुन्हाना के आसपास के गांवों के मुसलमानों और सेकुलर दलों के मुसलमान नेता शामिल हुए। कहा जाता है कि इस पंचायत में हिन्दुओं के विरुद्ध नारे लगाए गए और हिन्दुओं के बहिष्कार की घोषणा की गई। यह भी कहा गया कि जो मुसलमान किसी हिन्दू की दुकान से कोई सामान खरीदेगा तो उसे 51 हजार रु. का जुर्माना देना होगा। इसी बीच 11 अप्रैल की रात को पुन्हाना से लगभग 2 किलो मीटर दूर एक मुस्लिम युवक वाजिद की हत्या किसी ने गोली मारकर कर दी। कहा जा रहा है कि वाजिद अपराधी किस्म का था और इलाके में लूटपाट करता था। वाजिद की हत्या का आरोप पुन्हाना के कुछ प्रमुख हिन्दुओं पर लगाया गया और इस हत्या की आड़ में एक बार फिर माहौल को गरमाया जाने लगा। इसके बाद प्रशासन ने पुन्हाना में कर्फ्यू लगा दिया। कर्फ्यू 16 अप्रैल तक निरन्तर जारी रहा। अब प्रशासन ने स्थिति को भांपते हुए कर्फ्यू तो हटा लिया है, पर इस रपट के लिखे जाने तक पुन्हाना में रेपिड एक्शन फोर्स (आर.ए.एफ.) के जवान तैनात थे। लोग सहमे-सहमे घर से बाहर निकलने लगे हैं और जीवन की रफ्तार भी बढ़ने लगी है। दोनों समुदायों के बीच सुलहनामा भी हो गया है। पर पुन्हाना के हिन्दुओं का कहना है कि सुबह जब मतदान केन्द्र पर पहली बार झगड़ा हुआ था उसी समय प्रशासन सतर्क हो जाता तो शाम के समय दुबारा झगड़ा नहीं होता और फिर कर्फ्यू लगाने की स्थिति पैदा नहीं होती। किन्तु मेवात के पुलिस अधीक्षक अनिल धवन इस तर्क से सहमत नहीं हैं। उन्होंने दूरभाष पर कहा कि प्रशासन समय पर पहुंच गया था। इसी कारण से कोई बड़ी घटना नहीं हुई। इधर हिन्दुओं में दहशत अभी भी है। भाजपा और हिन्दुओं के लिए काम करने वालों को जान से मारने की धमकी मिल रही है। पुन्हाना के एक प्रभावशाली व्यक्ति और भाजपा नेता भानीराम मंगला ने बताया कि उनके दो एकड़ खेत से गेहूं की फसल काट ली गई। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दुओं की आवाज उठाने वालों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। उन पर कभी भी हमले हो सकते हैं। उन्होंने अपनी इस चिन्ता से जिला प्रशासन को भी अवगत कराया है और इसके बाद उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें एक ह्यगनमैनह्ण भी मिला है। पुन्हाना के कुछ हिन्दुओं ने बताया कि 10 अप्रैल को हिन्दू समुदाय का कसूर केवल इतना था कि पहली बार पूरे जोश के साथ वे लोग अपने घरों से मतदान के लिए बाहर निकले थे। इन्हीं लोगों ने सवाल भी उठाया कि क्या मुस्लिम-बहुल मेवात में वोट देने के लिए हिन्दुओं का घर से निकलना कोई गुनाह है? क्या मेवात में अब हिन्दू अपने मताधिकार का भी उपयोग नहीं कर सकते हंै? यदि नहीं तो फिर हिन्दुओं पर हमले क्यों किए गए? जिन लोगों ने ये सवाल उठाए उन्होंने ही इन सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने बताया कि यह सब मेवात से हिन्दुओं को भगाने के लिए किया जा रहा है। कट्टरवादी तत्व कश्मीर घाटी की तरह मेवात को भी हिन्दू-विहीन करना चाह रहे हैं। इसके लिए ह्यलवह्ण जिहादी और अपराधी से लेकर तब्लीगी जमात तक के लोग दिन-रात काम कर रहे हैं। लव जिहादी प्रलोभन देकर हिन्दू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाते हैं, मुसलमान अपराधी हिन्दुओं में दहशत पैदा करने के लिए उन्हें लूटते हैं, मारते हैं और तब्लीगी जमात के लोग हिन्दू लड़कों को इस्लाम में लाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन्हीं वजहों से मेवात के हिन्दू यहां से पलायन कर रहे हैं। जो हिन्दू पैसे वाले हैं वे तो मेवात से बाहर अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं और वहीं अपना नया घर भी बना चुके हैं, लेकिन जो हिन्दू गरीब हैं वे कहां जाएं और क्या करें? पुन्हाना के हिन्दुओं का यह भी कहना है कि मामले को सुलझाने के लिए किसी भी मुस्लिम नेता ने कोई पहल नहीं की। यहां तक कि हरियाणा सरकार में परिवहन मंत्री और नूंह के विधायक आफताब अहमद मृतक युवक के दफनाने में तो शामिल हुए, परंतु उन्होंने कस्बे के हिन्दुओं का कोई हाल-चाल नहीं लिया। ऐसे में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रामविलास शर्मा, गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह ने पुन्हाना आकर लोगों का हाल पूछा और हरसंभव मदद की। ल्ल ह्यपत्थर मारकर तोड़ दी टांगह्ण भाजपा कार्यकर्ता रोहताश सैनी (21) ने पाञ्चजन्य को बताया कि वे चुनाव के दिन पार्टी के एजेंट के तौर पर वहां तैनात थे। जब मतदान चल रहा था तब करीब 15 लोग आए और मुझे मारने लगे। दीवार से कई बार मेरे सिर को टकराया गया। जब मैं गिर गया तो पत्थर और डण्डों से पीटा गया। पत्थर मार-मार कर उन लोगों ने मेरी बाईं टांग तोड़ दी। दर्द के मारे मैं बेहोश हो गया। घंटों बाद जब होश आया तो पता चला कि मैं अस्पताल में हूं। अब रोहताश अपने घर में बिस्तर पर पड़े हैं। रोहताश के चाचा सुखपाल सैनी को भी फर्जी मतदान के आरोप में बुरी तरह पीटा गया। वे अपना पहचान पत्र दिखाते रहे, पर उनकी किसी ने नहीं सुनी। पिटाई की वजह से उन्हें एक कान से सुनाई भी नहीं दे रहा है। कर्फ्यू के दौरान नेत्रदान जब पुन्हाना में कर्फ्यू लगा हुआ था तब भी सेवा भारती के कार्यकर्ता सेवा कार्यों में लगे रहे। हुआ यूं कि कर्फ्यू के दौरान ही पंजाबी कालोनी में एक बुजुर्ग महिला श्रीमती वेदवती की मौत हो गई। उनकी मौत की सूचना पाकर सेवा भारती की पुन्हाना इकाई के सदस्य गोविन्द राम सोनी, राजीव मंगला, मुकुल गोयल, अशोक गोयल, श्रवण ग्रोवर व सतपाल कालड़ा सक्रिय हुए। कार्यकर्ताओं ने वेदवती के परिजनों से आग्रह किया कि माता जी के नेत्रों को दान कर दिया जाए। वेदवती के परिजनों को यह आग्रह अच्छा लगा और उन्होंने नेत्रदान करने का निर्णय ले लिया। इसके बाद निरामया ट्रस्ट, गुड़गांव की टीम आई और बुजुर्ग माता के दोनों नेत्र दान करा दिए गए। कर्फ्यू के दौरान हुए इस नेत्रदान की दूर-दूर तक बड़ी चर्चा हो रही है। ह्यहिन्दुओं की लाश बिछा देने की धमकीह्ण खिलौनीराम ने बताया कि मतदान केन्द्र संख्या-71 मुसलमान-बहुल क्षेत्र में है, जबकि वहां के 98 प्रतिशत मतदाता हिन्दू हैं। मतदान केन्द्र के बाहर बड़ी संख्या में मुसलमान लड़के खड़े थे। जो भी हिन्दू मतदान करने आते थे उन्हें वे धमकाते थे। हिन्दू महिलाओं और लड़कियों पर भद्दी टिप्पणियां करते थे। मतदान केन्द्र के भीतर ही वे लोग एक हिन्दू को पीटने लगे तब मैंने उन्हें टोका। इसके बाद वे लोग मुझे मारते हुए कहने लगे कि आज हिन्दुओं की लाशें बिछा दी जाएंगी। अफसोस की बात तो यह थी कि वहां खड़े किसी भी मुसलमान बुजुर्ग ने उन लड़कों को रोकने की कोशिश भी नहीं की।
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