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-प्रदीप कृष्णन-
केरल में तिरुअनंतपुरम स्थित स्वामी पद्मनाभ मंदिर एक बार फिर से चर्चा में है। मंदिर के एक लाख करोड़ के खजाने में से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लगातार चोरी की जा रही है। 'एमेकस क्यूरी' गोपाल सुब्रह्मण्यम ने उच्चतम न्यायालय को सौंपी गई अपनी रपट में ऐसी आशंका जताई है। उन्होंने खजाने का ऑडिट कराने का सुझाव दिया है।
उल्लेखनीय है कि तीन साल पहले मंदिर में मौजूद पांच तहखानों को खोले जाने के बाद उनमें से मिले खजाने की कीमत एक लाख करोड़ से भी ज्यादा आंकी गई थी। न्यायालय की तरफ से खजाने की निगरानी के लिए नियुक्त ह्यएमेकस क्यूरीह्ण गोपाल सुब्रह्मण्यम ने अपनी पड़ताल के बाद सर्वोच्च न्यायालय को 515 पन्नों की एक रपट सौंपी है। इस रपट में उन्होंनें कहा है कि सोने और चांदी की बड़ी खोज हैरान करने वाली थी, साथ ही यह कुप्रबंधन का भी एक बड़ा नमूना है। यहां सोने की परत चढ़ाने की मशीन मिलना भी संदेहास्पद परिस्थितियां पैदा करता है। इससे इस बात की शंका होती है कि मंदिर प्रबंधन में ऊंचे पदों पर बैठे लोग गलत तरीके से सोना निकाल रहे हैं। मंदिर के खजाने में असली की जगह नकली आभूषण रखे जाने की आशंका भी जताई गई है। अपनी रपट में सुब्रह्मण्यम इस बात की संभावना जताई गई है कि बड़ी मात्रा में मंदिर से असली सोने के आभूषणों को निकाल लिया गया है और उसकी जगह नकली आभूषणों को रख दिया गया है। आखिर इस मंदिर में सोने की परत चढ़ाने वाली मशीन का क्या काम? आखिर ये पता कैसे लगेगा कि उस सोने की परत चढ़ाने वाली मशीन से क्या काम लिया गया? उसका इस्तेमाल क्या हुआ? सवाल ये भी है कि क्या सच में मंदिर में असली सोने की जगह नकली सोने के गहनों को रखा गया, तो उन गहनों को रखा किसने और असली गहने कहां चले गए?
उन्होंने मंदिर के प्रबंधन में अव्यवस्था को गहरी साजिश करार देते हुए न्यायालय से आग्रह किया है कि उनके खातों की जांच पूर्व कैग विनोद रॉय से करवाई जाए। उन्होंने मंदिर प्रबंधन द्वारा दिए गए ब्योरे में भी खामियां होने की बात कही है। अपनी रपट में सुब्रह्मण्यम ने मंदिर में दो और तहखानों के होने का जिक्र किया है। उन्होंने इन दोनों को भी खोलने का आग्रह किया है। जानकारी के अनुसार तीन साल पहले जब मंदिर के खजाने के बारे में पता चला था तब पांच तहखाने ही खोले गए थे। छठे तहखाने को नहीं खोला गया था। दरअसल जब खजाना निकालने के लिए तहखानों को खोला जा रहा था तो स्थानीय लोगों और त्रावणकोर के राज परिवार ने छठे तहखाने को खोले जाने पर अनहोनी होने की आशंका जताई थी। इसके बाद इस तहखाने को खोला नहीं गया था। सुब्रह्मण्यम ने रपट सौंपने के साथ राज परिवार के मंदिर के दैनिक कार्य में हस्तक्षेप करने को लेकर भी रोक लगाने की मांग की है। वहीं त्रावणकोर राज परिवार जो कि इस मंदिर के परंपरागत ट्रस्टी है ने सर्वोच्च न्यायालय में एक शपथपत्र दाखिल किया है कि इस रपट के आने के बाद मंदिर के दैनंदिन कार्यों में अवरोध उत्पन्न हो रहा है। शपथ पत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि जो रपट न्यायालय में दाखिल की गई है वह अर्थहीन और मनमाने तरीके से तैयार की गई है। रपट में ज्यादातर तर्क पूर्वाग्रह और द्वेष भावना से प्रे्ररित है, लेकिन राजसी परिवार ने मंदिर प्रबंधन के ऑडिट से मना नहीं किया है। ह्यएमेकस क्यूरीह्ण ने अपनी रपट में एक स्वर्णकार का जिक्र किया है- जिसने यह स्वीकार किया था कि त्रावणकोर के राज परिवार के पूर्व प्रमुख ने मंदिर परिसर के बाहर सोने को कुछ मात्रा में परीक्षण के लिए भेजा था। जब संवाददाता ने राजू नाम के उस स्वर्णकार से बातचीत की तो उसका कहना था कि यह बयान उसने दबाव में दिया था। श्रद्धालु और हिंदू संगठन मंदिर में चल रहे इस घटनाक्रम पर पैनी नजर रखे हुए हैं और उनका तर्क है कि मंदिर की संपत्ति को हिंदू और हिंदुत्व की भलाई के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।
क्या है मंदिर का मामला
* केरल में त्रावणकोर के राजा पद्मनाभ मंदिर के मालिक रहे हैं
* 3 साल पहले पद्मनाभ स्वामी मंदिर के 6 तहखानों में से पांच को खोलकर खजाना निकाला गया था।
* 9 फीट लंबी सोने के चेन,मूर्तियां व लाखों करोड़ों के जवाहरात मिले थे मंदिर से
* त्रावणकोर के राजपरिवार और स्थानीय लोगों के अनहोनी की आशंका जताए जाने और विरोध के चलते छठे तहखाने को नहीं खोला गया था
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