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मिजोरम के मामित जिले से अपहृत दीप मंडल को बंगलादेश ले जाया गया, उसे गत 23 मार्च को 15 लाख रुपये की फिरौती देकर मुक्त कराया गया। वह 120 दिनों तक बंगलादेश में आतंकी गुटों के शिविर में रहा।
दीप बंगाल के बांकुड़ा जिले का रहने वाला है। दीप, मामित में एक निजी कंपनी में कार्यरत था। गत 23 नवम्बर को उसका अपहरण कर लिया गया था और उसे छोड़ने के बदले फिरौती भी मांगी गई थी। अपहरणकर्ताओं ने दीप के घरवालों और दफ्तर वालों पर काफी समय
तक फिरौती देने के लिए दबाव बनाए रखा। इसके बाद फिरौती में बड़ी रकम लेकर उसे छोड़ दिया गया।
अपहरण के समय मामित जिले के पुलिस अधीक्षक रहे रोदोंलियाना, जो कि अब सीआईडी में अधीक्षक हैं, का बयान है कि दीप की रिहाई के लिए आतंकियों से सौदेबाजी चल रही थी।
गत 22 मार्च की शाम 5 बजे उदोलसिरि गांव में आतंकियों ने दीप को मिजोरम पुलिस के हाथों सुपुर्द किया था। दीप 120 दिनों तक बंदूकों के साये में जिंदगी और मौत के बीच झूलता रहा। आतंकी आएदिन अपना ठिकाना बदलते रहते थे। दीप के पिता निखिल मंडल ने कहा कि आतंकियों ने उसे छोड़ने के बदले 15 लाख रुपये की रकम वसूल की।
मिजोरम के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि फिरौती देकर किसी को मुक्त कराना शर्मनाक है।
इस घटना से स्पष्ट है कि बंगलादेश की सरकार चाहे अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, आतंकियों को मदद तो कर ही रही है वरना 120 दिनों तक बंगलादेश में दीप को अपने कब्जे में रखना और वहां से लगातार भारत में मोबाइल से फोन कर फिरौती मांगना बिना मिलीभगत के संभव नहीं है। यदि इस सूरत में बंगलादेश ने भारत क ी मदद की होती तो संभव है आतंकी पकड़े जा सकते थे। *बासुदेब पाल
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