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एक बार राजा कृष्णदेव राय और तेनालीराम के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया। तेनालीराम उनसे रूठकर राजदरबार से चले गए। आठ-दस दिन बीते, तो राजा का मन उदास हो गया। उन्होंने तत्काल गुप्तचरों को तेनालीराम को तलाशने के लिए भेजा। महीनों बीत गए, गुप्तचरों ने पूरा क्षेत्र
छान डाला लेकिन तेनालीराम का कहीं पता
नहीं चला।
अचानक राजा को एक तरकीब सूझी। उन्होंने सभी गांवों में मुनादी करवा दी कि राजा अपने राजकीय कुंए का विवाह रचा रहे हैं, इसलिए गांव के सभी मुखिया अपने-अपने गांव के कुओं को लेकर राजकीए कुंए के विवाह में शामिल होने के लिए राजधानी पहुंचें। जो भी मुखिया
इस आज्ञा का पालन नहीं करेगा, उसे दंडित किया जाएगा साथ ही उसकी जमीन जब्त कर ||
ली जाएगी।
मुनादी सुनकर सभी लोग परेशान हो गए। भला कुंए भी कहीं लाए-ले जाए जा सकते हैं। जिस गांव में तेनालीराम वेष बदलकर रह रहे थे, वहां भी यह मुनादी करवाई गई थी। गांव का मुखिया परेशान था। तेनालीराम समझ गए कि उसे खोजने के लिए ही महाराज ने यह चाल चली है।
तेनालीराम ने मुखिया को बुलाकर कहा मुखियाजी, आप चिंता न करें, आपने मुझे गांव में आश्रय दिया है, इसलिए आपके उपकार का बदला मैं जरूर चुकाऊंगा। मैं एक तरकीब बताता हूं,आप आसपास के मुखियाओं को इकट्ठा करके राजधानी की ओर प्रस्थान करें। उन्होंने मुखिया के कानों में तरकीब बता दी। निश्चित दिन ढोल नगाड़ों के साथ साथ सभी मुखिया राजधानी की तरफ चल दिए। तेनालीराम भी उनके साथ साथ ही थे। राजधानी के बाहर पहुंचकर वे एक जगह पर रूक गए। एक आदमी को मुखिया का संदेश देकर राजदरबार में भेजा गया। वह आदमी दरबार में पहुंचा और तेनालीराम की राय के अनुसार बोला, महाराज! हमारे गांव के सभी कुंए राजकीए कुएं के विवाह में शामिल होने के लिए राजधानी के बाहर डेरा डाले हैं। आप मेहरबानी करके राजकीय कुएं या अन्य किसी कुंए को उनकी अगवानी के लिए भेजें, ताकि हमारे गांव के कुंए ससम्मान राजदरबार में आ सकें। ऐसा हो ही नहीं सकता, भला कुएं भी कहीं चलकर जाते हैं। राजा कृष्णदेवराय को समझते देर नहीं लगी कि तेनालीराम ने उन्हें यह तरकीब बताई है। राजा ने पूछा सच-सच बताओ कि तुम्हें यह तरकीब किसने दी हैं? राजन! थोडे़ दिन पहले हमारे गांव में एक परदेसी आकर रुका था। उसी ने हमें यह तरकीब बताई है। सारी बात सुनकर राजा स्वयं रथ पर बैठकर राजधानी से बाहर आए और ससम्मान तेनालीराम को दरबार में वापस लाए। इसके अलावा उन्होंने तेनालीराम के साथ वहां पहुंचे सभी गांव के लोगों को पुरस्कार देकर विदा किया। प्रतिनिधि
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