|
-शादाब जफर 'शादाब' कवि, गजलकार
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों में न केवल जान और माल का ही नुकसान हुआ बल्कि इसमें आपसी सौहार्द को भी करारी चोट पहुंची है। जो लोग बेघर हुए, जो बच्चे अनाथ हुए, महिलाएं विधवा हुईं वे चाहे हिन्दू हों अथवा मुसलमान ये हम सभी को गहरा घाव दे गए हैं। हमें इन दंगों को सियासी नजर से नहीं बल्कि एक संवेदनशील मानवीय दृष्टि से देखना चाहिए। ये घटनाएं मानव समाज के लिए बहुत बड़ा कलंक हैं। आम आदमी की नजर से अगर देखें तो ये दृश्य पीड़ादायक हैं। अब हमारे जागरूक मतदाताओं को बुद्धि और विवेक से काम लेना चाहिए, जो व्यक्ति शिक्षित और सर्वस्वीकार्य हो, जिसके कार्य के अच्छे प्रमाण हमारे सामने हों उसको जिताने में भरपूर सहयोग देना चाहिए। आज सभी राजनीतिक दलों को ईमानदारी के साथ सोचने-विचारने की जरूरत है, लंबे समय तक किसी को भी बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता, इस समय सही मौका है मतदाताओं के पास झूठे रहनुमाओं को धूल चटाकर राजनीति की मुख्यधारा से जुड़ते हुए ठोस लोगों का समर्थन करें। हमें नौनिहालों के लिए अच्छी तालीम और बेरोजगारों के लिए रोटी का इंतजाम करना पड़ेगा। आपसी नफरत को मिटाकर प्यार-मोहब्बत का भाव समाज-देश में जगाना पड़ेगा तभी एक खुशहाल और समृद्ध शक्तिशाली देश की तस्वीर उभर सकेगी। उत्तर प्रदेश की ही नहीं पूरे देश की जनता को जागरूक होने की जरूरत है और मौका भी मिला है, इसे चूक गए तो फिर मन में मलाल ही रह जाएगा। ल्ल
टिप्पणियाँ