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– प्रशांत पोल –
लगभग 20 वर्ष पूर्व, 90 के दशक के पूर्वार्ध में, चार ऐसी घटनाएं घटीं कि दुनिया ही बदल गयी। पहली थी विंडोज का आना, दूसरी इंटरनेट का उपयोग, तीसरी जीएसएम तकनीक और चौथी चैनल्स का डिजिटलाईजेशन।
90 के दशक के प्रारंभ में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज नामक कंप्यूटर चलाने वाली प्रणाली सामने लाई। इसके आने से सामान्य लोग और कंप्यूटर के बीच की खाई दूर होती चली गई। लोग सरलता से कंप्यूटर का प्रयोग करने लगे। यह थी इन बदलावों की शुरुआत।
1993-94 में इंटरनेट लोगों के लिए खुला जिससे कंप्यूटर का प्रयोग करने वालों के लिए मानो ज्ञान का भण्डार ही खुल गया। लगभग इसी समय, 1991 अर्थात 1992 के अंत में दुनिया में पहला डिजिटल मोबाइल, ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल (जीएसएम) तकनीक के साथ अस्तित्व में आया, जो बाद में एक बड़ी क्रांति का वाहक बना। इन तीन घटनाओं को संयोगवश जोड़ती हुई चौथी घटना घटी 1995 के आसपास, जब सेटेलाइट चैनल्स का डिजिटलाइजेशन हुआ। इसके कारण हमारे ड्राइंग रूम में ढेरों चैनल आने का मार्ग सुलभ हुआ। चार-पांच वर्ष में ही संयोगवश इन चार घटनाओं के होने से एक क्रांति हुई। संचारक्रांति! भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। विशेषत: इंटरनेट और डिजिटल मोबाइल जीएसएम ने सब कुछ बदल दिया।
1991 में भारत में मोबाइल फोन आने का निर्णय हो चुका था। तब तक अमरीका, यूरोप और जापान जैसे चुनिन्दा देशों में एनालॉग स्वरूप में मोबाइल फोन प्रयोग हो रहे थे। डिजिटल मोबाइल फोन का उदय अभी होना था। जीएसएम और डेक्ट, इन दो तकनीकी में स्पर्धा चल रही थी। ऐसे समय में हमारे देश ने निर्णय लिया जीएसएम का। यह निर्णय लेने वाले हम दुनिया के पहले देश थे। आज दुनिया में 80 फीसदी मोबाइल जीएसएम तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं और इसको अपनाने की घोषणा करने वाला दुनिया का पहला देश, इस 2जी स्पेक्ट्रम के भ्रष्टाचार में उलझा नजर आ रहा है। 2जी में ह्यजीह्ण का अर्थ है, ह्यजनरेशनह्ण यानी तकनीकी का एक पूरा स्वरूप। 1जी यानी एनालॉग मोबाइल फोन, तो 2जी मतलब डिजिटल मोबाइल फोन। 1984-91 में दुनिया में 1जी मोबाइल का ही अस्तित्व था। 1991 में 2जी मोबाइल सेवा प्रारंभ हुई। इसी कड़ी में 3जी सेवाओं का शुभारंभ हुआ 2001 में और 4जी सेवाएं विश्व में शुरू हुईं 2011-2012 में अर्थात मोबाइल सेवाओं की एक ह्यजनरेशनह्ण लगभग 10 वर्ष होती है।
आज जिस संचार क्रांति की बात सारी दुनिया कर रही है उसका व्यापक प्रभाव भारत पर पड़ रहा है। हमारे यहां 1991 में प्रति व्यक्ति मात्र 0.98 टेलीफोन हुआ करते थे। और आज देश में 8 फीसदी लोगों के पास टेलीफोन हैं तो लगभग 65 फीसदी से ज्यादा लोगों के पास मोबाइल फोन हैं। देश में लगभग 80 करोड़ से ज्यादा प्रयोग में लाये जाने वाले सिम कार्ड अस्तित्व में हैं। अनुमान है कि एक व्यक्ति के पास एक से ज्यादा सिम कार्ड्स हैं।
आज विश्व के अनेक देशों में 4जी का प्रयोग हो रहा है, हमारे यहां भी 3जी और 4जी तकनीकें प्रस्थापित हो रही है। 4जी की तो खैर शुरुआत हैं। किन्तु 3जी तकनीक जिसे कहा जाता है, वह आज प्रमुख जिलों में उपलब्ध है। 4जी के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी हो चुकी है और रिलायंस द्वारा इस क्षेत्र में दमदारी से प्रवेश करने से अन्य सेवा प्रदाता भी 4जी को लेकर गंभीर हुए हैं। अगले दो साल में हमारे देश में मोबाइल वायरलेस का जाल और गहरा
होगा। इस वर्ष अंत तक राजधानी एक्सप्रेस समेत कुछ रेल गाडि़यों में इंटरनेट की सुविधा शुरू हो जायेगी, तो दो वर्ष के भीतर देश के प्रमुख बस ऑपरेटर्स भी वाई-फाई के माध्यम से बस में यात्रा करते समय इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराएंगे।
लेकिन यह तो तय है कि पिछले 20 वर्ष में दुनिया पूरी बदल चुकी है। सूचना प्रौद्योगिकी का तेज झोंका आया है। इंटरनेट अब गांवों तक पहुंच चुका है। स्मार्ट फोन और टेबलेट ने इंटरनेट से 24 घंटे खेलने की सुविधा प्रदान की है। आज भारत में 17 करोड़ से भी
ज्यादा इंटरनेट उपभोक्ता हैं, जो विश्व में
तीसरे क्रमांक का उपयोगकर्ताओं का समूह है। इस इंटरनेट का हमारे जीवन में योगदान दो प्रतिशत है।
मोबाइल में डाटा की गति 3जी और 4जी से बढ़ने के कारण मोबाइल से इंटरनेट का प्रयोग सुलभ और सहज हो गया है। एक ओर 3जी सेवाएं प्रारंभ हुईं, तो दूसरी ओर स्मार्ट फोन और टेबलेट कम कीमत पर उपलब्ध होने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत के 17 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताआंे में लगभग 10 करोड़ मोबाइल द्वारा इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। आज हमारे देश में 5 करोड़ से भी ज्यादा स्मार्टफोन हंै, तो कंप्यूटर्स की संख्या 7 करोड़ के आसपास है। भारत में फेसबुक इस्तेमाल करने वालों में एक तिहाई उपयोगकर्ता केवल मोबाइल द्वारा ही फेसबुक का उपयोग करते हैं।
यह सब तकनीक के दमदार प्रयोग के उदाहरण हैं।?संचार साधनों ने भारत को बदला है। इन सब का सीधा प्रभाव ई-कॉमर्स, ई-गवर्नेंस आदि में दिख रहा है। अनेक राज्य ई-गवर्नेंस का प्रभावी उपयोग कर रहे हैं। भ्रष्टाचार कम करने के लिए ई-गवर्नेंस कारगर सिद्ध हुआ है। मोबाइल में विविध सेवाओं के उपयोग के लिए विभिन्न ह्यएप्लीकेशन्सह्ण का प्रयोग किया जाता है। यह अपने आप में एक बहुत बड़ा व्यवसाय है। भारत की अनेक छोटी-बड़ी कम्पनियां ह्यएप्लीकेशन्सह्ण बनाने और उसका निर्यात करने का व्यवसाय करती हैं। भारत का एप्लीकेशन्स का बाजार वर्ष 2016 तक पांच गुना बढ़ने के आसार हैं। अर्थात एक वर्ष में 2000 करोड़ रुपये का व्यवसाय मात्र ह्यएप्लीकेशन्स डवलपमेंटह्ण से होगा।
इन सब के लिए आवश्यक संचार की आधारभूत संरचना अभी भी हमारे देश में लचर है। बाकी देश जब सामान्य ग्राहकों को 1 जीबीपीएस की गति से इंटरनेट सेवा देने की बात कर रहे हैं, तब हम बड़ी मुश्किल से 1 एमबीपीएस की गति वाली सेवा देने से जूझ रहे हैं। अन्य देशों में ह्यसंचार महामार्गह्ण (इनफॉर्मेशन सुपर हाइवे) बने हुए हैं। उच्च क्षमता के इंटरनेट ह्यबैकबोनह्ण बने हैं। हमें इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना है। प्रत्येक ग्राम पंचायत तक जब उच्च गति का इंटरनेट पहुंचेगा, तभी ई-गवर्नेंस जैसी परियोजना सफल हो पाएगी। ल्ल
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